आप घर में कुछ भी परेशानी बताओ, मां अक्सर कह देती है- थोड़ी देर आराम कर ले, अच्छा लगेगा। जब कभी चीजों का प्रेशर बढ़ जाता है, तो हम खुद भी सोचते हैं कि एक अच्छी नींद सब ठीक कर देगी। यह मिथक नहीं है। ऐसा लगता भी है कि अब सब कुछ हैंडल हो जाएगा। मूड खराब हो, दिल टूटा हो, प्रमोशन न मिला हो, तबीयत खराब हो या घर की याद सता रही हो, ऐसा लगता है कि एक नींद सब कुछ आसान कर देगी।
यही सलाह डॉक्टर भी देते हैं। अब देखिए न, मैं पिछले 5-6 दिनों से फ्लू की गिरफ्त में हूं। जब डॉक्टर से संपर्क किया, तो उनका भी यही कहना था कि जितना हो सके, उतना आराम कीजिए। नींद जैसे हमारे लिए एक दवा जैसी है, जो किसी भी बीमारी और समस्या से लड़ने की ताकत दे जाती है। हालांकि, क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? क्यों सोकर उठने के बाद हमें अच्छा महसूस होता है? आइए इस आर्टिकल में जानें इसके पीछे का कारण क्या है?
बीमारी में नींद की आवश्यकता क्यों होती है?
जब आपका इंफेक्टेड होता है, तो ऑटोइम्यून के जरिए रिस्पॉन्स करता है। इससे आपको आलस और थकान लगती रहती है। इसलिए नींद, आपके लिए अति आवश्यक होती है, क्योंकि सोते वक्त हमारा शरीर खुद को रिपेयर करने की कोशिश करता है। किसी भी इंफेक्शन से लड़ने के लिए शरीर को ऊर्जा की जरूरी होती है। इससे हमारी इम्यूनिटी को बूस्ट मिलता है और शरीर की लड़ने की क्षमता भी बढ़ जाती है। जब आप सोते हैं, तो उस समय शरीर में साइटोकिन्स नामक प्रोटीन और एंटी-बॉडीज भी बढ़ती हैं, जो किसी भी तरह के वायरस से लड़ने के लिए जरूरी है।
आराम आपके शरीर को एक एक्टिव दिन के दौरान ऊर्जा और स्ट्रेंथ देने की बजाय, बुखार को तोड़ने, पैथोजन्स से लड़ने और मूड को बेहतर बनाने में मदद करता है। नींद की कमी आपको अधिक बीमार बना देती है और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए चीजों से लड़ना मुश्किल कर देती है।
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कितनी नींद है आपके लिए अच्छी
बीमारी में आपको कितनी देर की नींद लेनी चाहिए? इस सवाल का कोई एक सही जवाब नबीं हैं। बीमारी में आप जितना चाहें, उतना आराम करें। आपको जब भी नींद आ रही है और जितनी भी देर सोने का मन कर रहा है, सोएं क्योंकि यह आपके लिए ही बेहतर होगा।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन एंड स्लीप रिसर्च सोसाइटी के अनुसार, "बेहतर होने के लिए आपको 9 घंटे से ज्यादा की नींद लेनी चाहिए। जो लोग बहुत जल्दी और ज्यादा बीमार पढ़ते हैं, उनके लिए नींद की यह अमाउंट तय किया गया था।" जब तक आप अपने शरीर को वो आराम दे रहे हैं, जिसकी उसे जरूरत है, तब तक आप अपनी रिकवरी के लिए सही ढंग से काम कर रहे हैं। शरीर को जब भी जागने का मन होगा, वह जाग जाएगा।
ध्यान रखें कि रात की नींद सबसे अच्छी होती है। उस समय आप अपनी स्लीप साइकिल के सभी फेज को पूरा कर पाते हैं, इसलिए रात की नींद को कभी मिस न करें।
इमोशनल हेल्थ के लिए भी जरूरी है नींद
जब आपका मूड खराब होता है, तब भी आधे-एक घंटे की नींद आपके मन में काफी प्रभाव डालती है। जब आप सो रहे होते हैं, तो मस्तिष्क के काम करने की गतिविधि उन क्षेत्रों में बढ़ जाती है, जो इमोशन्स को रेगुलेट करते हैं। हमारे मस्तिष्क में एक हिस्सा अमिगडाला (Amygdala) जो इमोशन्स को रेगुलेट करता है, नींद से काफी प्रभावित होता है। यह ब्रेन का वो पार्ट है जो टेंपोरल लोब में होता है और डर और ट्रॉमा की प्रतिक्रियाओं को रेगुलेट करता है। जब आप किसी स्ट्रेसफुल स्थिति में होते हैं, तो यह रिएक्शन कंट्रोल करता है। अच्छी नींद लेने से यह काफी अडेप्टिव तरीके से काम करता है।
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न सोने से शरीर पर कैसा प्रभाव पड़ता है?
अगर आपको सही नींद नहीं मिलती है, तो आपका शरीर ठीक तरह से फंक्शन नहीं कर पाएगा। नींद की कमी कमी बीमारियों के जोखिम से भी जुड़ी है। यह आपके हृदय, किडनी, ब्रेन और मेंटल हेल्थ को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है। मूड में बदलाव, एंग्जायटी, डिप्रेशन, खराब यादाश्त, खराब फोकस, थकान, वजन का बढ़ना, हाई ब्लड प्रेशर और इंसुलिन रेसिस्टेंस जैसी बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है।
यही कारण है कि आपका मूड जब भी खराब हो या आप बीमार हों, तो थोड़ी देर सो जाइए। इससे आपको बेहतर लगेगा और किसी भी समस्या का हल निकालने में आपका मस्तिष्क अच्छी तरह काम करेगा।
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Image Credit: Freepik
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