ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर के बारे में आप क्या जानती हैं? इस डिसऑर्डर को OCD नाम दिया गया है। आजकल ये बहुत ही कॉमन टर्म हो गई है जिसके बारे में कई लोग ठीक से जानते भी नहीं हैं। ऐसा कितनी बार हुआ है कि आपने कोई एक चीज चेक कर ली हो, लेकिन मन में दोबारा उसे देखने का ख्याल आया हो? ये आदत भी हो सकती है और OCD का एक लक्षण भी। पर पहचानें कैसे कि कौन सा लक्षण OCD है? आज हम आपको इसी डिसऑर्डर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट की सीनियर चाइल्ड और क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और हैप्पीनेस स्टूडियो की फाउंडर डॉक्टर भावना बर्मी ने हमें OCD के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी। उनका मानना है कि लोग छोटी-छोटी आदतों को भी OCD समझ लेते हैं और इससे ये बीमारी जनरलाइज हो गई है। डॉक्टर भावना के अनुसार, "इसे एक साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर की तरह ही देखना चाहिए। हो सकता है दिन में 7-8 बार हाथ धोना आपकी आदत ही हो, लेकिन उसे OCD का नाम देने से लगता है कि इस तरह के लक्षण नॉर्मल हैं।"
ये एक तरह का साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर है जिसमें कोई इंसान एक ही जैसी हरकत बार-बार करता है। किसी एक चीज को लेकर ऑब्सेशन हो जाता है। हम अपने इस व्यवहार को ही सही मानने लगते हैं। अगर आपको लगता है कि OCD सिर्फ एक ही तरह का होता है, तो ये गलत है। ओसीडी के चार प्रकार होते हैं और हर प्रकार में लक्षण भी अलग होते हैं।
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ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर के कुछ लक्षण हैं जिनका ध्यान रखना जरूरी है। इनमें एक ही तरह का काम बार-बार करना, बिना इच्छा के भी चीजों को निश्चित तरीके से करना, चीजें आपके हिसाब से ना होने पर चिंता या घबराहट महसूस होना शामिल हैं। कई बार OCD के कारण लोगों की हरकतें बिल्कुल ही बदल जाती हैं। हाथ बार-बार धोने की इच्छा हो सकती है, ताले या दरवाजे को बार-बार चेक करने का मन कर सकता है, नोटों को एक ही तरीके से गिनने की तीव्र इच्छा हो सकती है।
नॉर्मल आदत और ओसीडी में अंतर ये है कि अगर आपको ये डिसऑर्ड है, तो आपके हिसाब से कुछ ना होने पर आपको एंग्जाइटी महसूस होगी। कुछ गंभीर मामलों में तो आपको दौरे भी पड़ सकते हैं। आपके रिएक्शन ऐसे मामलों में त्वरित होंगे।
ओसीडी स्ट्रेस के कारण और भी ज्यादा खराब हो जाता है। नींद में कमी, खराब डाइट, कुछ खास तरह की मेडिकल कंडीशन, ट्रीटमेंट की कमी, बार-बार ओसीडी ट्रिगर होने की स्थिति आदि से ये समस्या बढ़ जाती है। अगर किसी को OCD है, तो उसे कोशिश करनी चाहिए कि एंग्जाइटी ट्रिगर ना हो।
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डॉक्टर भावना के मुताबिक सिर्फ चीजों को चेक करने की आदत को ही OCD नहीं कहा जा सकता है। हां, अगर ये आदत बहुत ज्यादा बढ़ रही है और बिना निश्चित काम किए आपको एंग्जाइटी हो रही है, तो ये OCD हो सकता है। डॉक्टर भावना कहती हैं, "ये समझने की जरूरत है कि हर इंसान की पर्सनैलिटी में कुछ हद तक चीजों को रिपीट करने की आदत होती ही है। ऐसे में उसे OCD मान लेना गलत होगा।"
अगर आपको अपने व्यवहार या फिर ख्यालों को लेकर कोई भी डाउट है, तो बेहतर होगा कि आप किसी मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से इसकी चर्चा करें।
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