एक्सपर्ट से जानिए देरी से कंसीव करने पर कैसे रखें अपने बच्चे को सुरक्षित

देरी से कंसीव करने पर बच्चे को हेल्दी रखना सबसे बड़ी प्रायोरिटी होती है। इस बारे में एक्सपर्ट के बताए सुझाव अपनाकर अपनी और अपने बच्चे की हेल्थ, दोनों सुरक्षित रख सकती हैं।

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आजकल देरी से प्रेगनेंसी का चलन जोर पकड़ रहा है। आज के समय में चूंकि महिलाएं अपने करियर पर ज्यादा फोकस करती हैं और रीप्रोडक्टिव मेडिसिन में भी कई तरह की सुविधाएं हो गई हैं, इसीलिए 35 की उम्र में महिलाएं ज्यादा कंसीव कर रही हैं।

बॉलीवुड की ऐसी कई सेलेब्रिटीज हैं, जिन्होंने 35 के बाद अपनी प्रेगनेंसी प्लान की।शिरीश कुंद्रा और फराह खान की जोड़ी की बात करें तो फरहा ने 40 की उम्र में आइवीएफ के जरिए ट्रिपलेट्स को जन्म दिया। बात अगर आमिर खान और किरण राव की जोड़ी की करें, तो आमिर की पहले से दो संतान थीं लेकिन किरण राव से नहीं थी और दोनों ही अपने 40वें में थे। तब इन्होंने आईवीएफ का रास्ता अपनाया और किरण ने आजाद राव खान को जन्म दिया। वहीं संजय दत्त और मान्यता दत्त का केस भी जरा पेचीदा था। संजय दत्त की पहले से ही एक बेटी त्रिशाला दत्त थी। शादी के समय मान्यता 30 की थीं, वहीं संजय दत्त 50 साल के हो रहे थे, इसके बावजूद मान्यता ने शहरान और इकरा को जन्म दिया।

35 से ज्यादा की महिलाओं के होने वाले बच्चों को हार्ट प्रॉब्लम्स हो सकती हैं, भले ही उन्होंने अपने फ्रोजन एग्स से कंसीव किया हो। एक ताजा रिसर्च में यूनिवर्सिटी ऑफ एल्बर्टा के रिसर्चर्स ने पाया कि 35 से ज्यादा की महिलाओं में कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम कमजोर होता है। ऐसा एग्स और प्लेसेंटा की ऐज की वजह से होता है। इसका अर्थ यह है कि आईवीएफ से कंसीव करने वाली हर महिला जोखिम में हो सकती है। उम्र बढ़ने से महिलाओं में प्रीक्लेंपसिया भी हो सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ एल्बर्टा के रिसर्चर्स ने फीमेल रैट्स की स्टडी की और पाया कि उनके वयस्क होने पर इंपेयर्ड ब्लड वेसल्स और हार्ट प्रॉब्लम का जोखिम बढ़ जाता है।

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देरी से कंसीव करने के नतीजों के बारे में बढ़ेगी जानकारी

यूनिवर्सिटी ऑफ एल्बर्टा के रिसर्चर्स ने कहा कि जो महिलाएं आईवीएफ के जरिए कंसीव करती हैं, उनके बच्चों को कार्डियोवेस्कुलर प्रॉब्लम का जोखिम हो सकता है। साथ ही एग और प्लेसेंटा की एज बच्चे के ब्लड वेसल्स के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। स्टडी की लीड ऑथर डॉ. सेंड्रा डेविज का कहना है, 'यह रिसर्च इस लिहाज से अहम है कि इसके जरिए देरी से कंसीव करने के नतीजों के बारे में समझ विकसित होती है। इस रिसर्च को पढ़कर महिलाओं को देरी से कंसीव करने से डरना नहीं चाहिए, बल्कि प्रेगनेंसी के लिए खुद को बेहतर तरीके से तैयार करना चाहिए।

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देरी से कंसीव करें तो इन बातों का रखें ध्यान

अर्चना धवन बजाज, कंसल्टेंट ऑब्स्टीट्रीशियन, गायनेकोलॉजिस्ट एंड आईवीएफ एक्सपर्ट, नर्चर आईवीएफ दिल्ली बताती हैं, '35 के बाद अगर आप कंसीव करती हैं तो उसमें बच्चा देरी से होने पर उसमें ग्रोथ से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं और क्रोमोसोम की एबनॉर्मेलिटी हो सकती है जैसे कि डाउन सिंड्रोम। लेट कंसीव करने पर बच्चों में कई तरह की प्रॉब्लम हो सकती हैं जैसे कि हार्ट डिजीज, इंट्रा यूट्राइन ग्रोथ रेस्ट्रिक्शन आदि। इसके अलावा 35 के बाद मां बनने वाली महिलाओं में इंड्यूस्ड हाइपरटेंशन, जनरल हाइपरटेंशन, जेस्टेशनल डायहबिटीज ज्यादा कॉमन होती हैं। इस एज ग्रुप की महिलाओं के बच्चों में हार्ट डिजीज विशेष रूप से कंजेनिटल हार्ट डिजीज हो सकती है। आपके लिए सबसे अच्छा यह रहेगा कि आप 30-32 तक फैमिली कंप्लीट कर लें। अगर आप लेट प्रेगनेंसी प्लान कर रही हैं तो आपको अपनी हेल्द अच्छी रखने पर जोर देना होगा मसलन स्मोकिंग, एल्कोहॉल, ड्रग्स से दूर रहें, फॉलिक एसिड भरपूर मात्रा में लें, हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं।

अगर हायर एज ब्रेकट में कंसीव कर रही हैं तो यह किसी अच्छे डॉक्टर के सुपरविजन में होनी चाहिए। इसके अलावा प्रेगनेंसी के हर लेवल की स्क्रीनिंग होनी चाहिए। इससे बच्चे को हो सकने वाले किसी भी तरह के हेल्थ इशु के बारे में आप अवेयर रहेंगी और उसके बचाव के लिए समय रहते डॉक्टरी सलाह ले सकेंगी।

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