दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है। हवा गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार, नोएडा में हवा की गुणवत्ता गिर कर 444 एक्यूआई के गंभीर लेवल पर आ गई है। इसका बुरा असर लोगों की हेल्थ पर पड़ रहा है। सांस की बीमारियों, आंखों और स्किन इंफेक्शन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अस्थमा के मरीजों की संख्या 3 गुना बढ़ गई है। नोएडा के जेपी हॉस्पिटल में पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर ज्ञानेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि इस मौसम में प्रदूषण के इस लेवल के कारण अस्थमा के मरीजों की संख्या 3 गुना बढ़ गई है और अगर प्रदूषण में सुधार नहीं हुआ तो यह संख्या और भी बढ़ सकती है। इसलिए अस्थमा मरीजों के लिए कुछ सावधानी अपनाना बेहद जरूरी है।
डॉक्टर ज्ञानेन्द्र अग्रवाल ने कहा, “ऐसे समय में यथासंभव घर के अंदर ही रहें। आउटडोर एक्टिविटी जैसे रनिंग, जॉगिंग, साइक्लिंग, जिम आदि न करें। नवम्बर से जनवरी के बीच सुबह के समय घर से बाहर न जाएं। धूल की एलर्जी से बचने के लिए अपने मुंह को रूमाल से ढक कर रखें।”
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डॉक्टर ज्ञानेन्द्र अग्रवाल ने कहा, “अस्थमा के मरीज अपने साथ हमेशा इन्हेलर रखें। अच्छी गुणवत्ता का मास्क पहनें, जो पीएम 2.5 को फिल्टर कर सके, ताकि आपके फेफड़ों पर स्मॉग का असर न हो। सांस लेने में परेशानी हो तो भाप लें। विटामिन सी, ई और बीटा-कैरोटीन का सेवन करें। इससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। अगर आपको कोई भी परेशानी हो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।”
उन्होंने कहा, “वायु प्रदूषण बेहद घातक होने के कारण कई तरह की बीमारियां और यहां तक कि अपंगता भी हो सकती है। यह ब्रोंकोस्पाज्म, साइनसाइटिस, सांस की बीमारियों का कारण बन सकता है। सांस के साथ अधिक मात्रा में कार्बन के शरीर में जाने से व्यक्ति थकान महसूस करने लगता है।”
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