मिर्गी पुरानी बीमारियों में से है, जिसे अंधविश्वासी लोग देवी-देवताओ का प्रकोप या फिर जादू-टोना मानते हैं। और लोग की इस अंधविश्वास के चलते मरीज की परेशानी कम होने की बजाय और बढ़ जाती है। मिर्गी के दौरे के आने पर कई लोग मरीज को 'गंदे मोज़े' सुंघाते हैं, जो बिलकुल गलत है, बल्कि ऐसे समय मरीज को तुरंत ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। आपको बता दें कि मिर्गी एक ब्रेन डिजीज है जिसका इलाज आसानी से किया जा सकता है। यही जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए 15 नवंबर हर साल National Epilepsy Day मनाया जाता है और लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जाता हैं।
ब्रेन खो देता है अपना कंट्रोल
मिर्गी दिमाग की नसों से जुड़ी बीमारी है जिसे neurological disorder कहते हैं। इस बीमारी को ऐपिलेप्सी के नाम से भी जानते हैं। आमतौर पर इसमें मरीज को 30 सेकंड से लेकर 2 मिनट तक का दौरा पड़ता है, जिसके दौरान मरीज अपनी सुध-बुध खोकर बेहोशी की हालत में चला जाता है। इसमें ब्रेन अपना कंट्रोल खो देता है और इसके साथ ही इसका असर बॉडी के किसी एक हिस्से पर कुछ ज्यादा ही दिखने लगता है जैसे चेहरे, हाथ या पैर पर! इसके दौरे पड़ने पर मरीज का बेहोश हो जाना, दांत भिंचना, शरीर लडख़ड़ाना, मुंह से झाग निकलना नॉर्मल है। ऐसे समय मरीज को तुरंत इलाज की जरूरत पड़ती है।
50 लाख लोग हैं इस समस्या से पीड़ित
मिर्गी एक क्रोनिक और नॉन-संक्रामक स्थिति है जिसे डर, भेदभाव और अत्यधिक कलंकित माना जाता है, क्योंकि यह नॉर्मल लोगों के समझ के परे हैं। यह उन लोगों की लाइफ की गुणवत्ता को बढ़ाता है जो इससे या उनके परिवार का कोई सदस्य इससे पीड़ित हैं, क्योंकि इसे कंट्रोल करना बेहद मुश्किल हो जाता है। 50 लाख लोग इस समस्या से पीड़ित हैं और हर साल 2.4 मिलियन नए मामले सामने आते हैं। 80% लोग जो मिर्गी से पीड़ित हैं कम और मध्यम आय वाले देशों से हैं। इनमें से तीन-चौथाई इलाज नहीं कर सकते क्योंकि इस तक पहुंच नहीं पाते हैंं। जिन लोगों के उपचार की इजाजत होती है, उनमें से केवल 70% ही मददगार होते हैं और इसका प्रतिक्रिया देते हैं। मिर्गी अक्सर आकस्मिक का कारण भी हो सकता है।
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इस National Epilepsy Day पर नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी विभाग के Senior Consultant Dr. Atampreet Singh हमें मिर्गी के दौरान क्या करना चाहिए क्या नहीं के बारे में बता रहे हैं।
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क्या करें
- व्यक्ति को चोट से बचाने के लिए उसे धीरे-धीरे सुरक्षित नीचे रखें।
- एक बार दौरा खत्म होने के बाद उसे रिकवरी पोजीशन (एक तरफ) में रखें।
- एम्बुलेंस के लिए कॉल करें अगर:
- अगर मिर्गी का दौरा पांच मिनट से अधिक देर तक जारी रहता है।
- अगर मिर्गी दौरान व्यक्ति घायल हो जाता है।
- एक के बाद दूसरा दौरा पड़ने के बीच में भी व्यक्ति सचेत नहीं होता।
क्या ना करें
- मूवमेंट कंट्रोल करने की कोशिश।
- व्यक्ति के मुंह में कुछ डालने की कोशिश।
- जब तक वह खतरे में ना हों तब तक व्यक्ति को मूव नहीं करना।
- पूरी तरह से ठीक हुए बिना व्यक्ति को कुछ खिलना या पिलाना।
- उसे सचेत अवस्था में वापस लाने की कोशिश।
मिर्गी के दौरे के दौरान कुछ ऐसी असामान्य परिस्थितियां भी हो सकती है, जिन पर ध्यान देना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि किसी भी खतरनाक परिस्थिति से उबारने में जागरूकता बहुत बड़ा योगदान होता है।इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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