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महिलाओं का जीना मुश्किल ना कर दें ये ट्रॉमा

कई बार बिना कोई शारीरिक क्षति हुए भी लोग भावनात्‍मक और मनोवैज्ञानिक ट्रॉमा के शिकार हो सकते हैं। इस तरह के ट्रॉमा से खासतौर पर महिलाएं सबसे ज्‍यादा प्रभावित होती हैं।
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2017-10-23, 11:23 IST

हर साल 17 अक्‍तूबर को विश्‍व ट्रॉमा डे मनाया जाता है। इसे आधुनिक युग की महामारी कहा जाता है। यह दिन इस बात को रेखांकित करता है कि दुर्घटनाओं, चोटों और मानसिक आघातों की दर लगातार बढ़ रही है। World Health Organization के अनुसार, ''ट्रॉमा विश्‍वभर में मृत्‍यु और विकलांगता का सबसे अहम कारण है। अगर लोगों को आपातकालीन स्थितियों में इससे निबटने के उपायों के बारे में जानकारी और जरूरी प्रशिक्षण दिया जाए तो इन मौतों और विकलांगता को रोका जा सकता है।''

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क्‍या है ट्रॉमा?

गहरा आघात या क्षति को ट्रॉमा कहते है। यह गहरा आघात सामाजिक, मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्‍मक किसी भी रूप में हो सकता है। सभी तरह के ट्रॉमा अलग-अलग कारण होते हैं। शारीरिक ट्रॉमा का मतलब है शरीर को कोई भी क्षति पहुंचना। यह क्षति कई कारणों से पहुंच सकती है। सड़क दुर्घटना, आग, जलना, गिरना, हिंसा की घटनाएं, प्राकृतिक आपदाएं आदि प्रमुख है। इन सब कारणों में से पूरे विश्‍व में ट्रॉमा का सबसे प्रमुख कारण सड़क दुर्घटनाएं है। भावनात्‍मक-मनोवैज्ञानिक ट्रॉमा का कारण शारीरिक और मानसिक चोट, कोई रोग या सर्जरी हो सकता है, लेकिन कई बार बिना कोई शारीरिक क्षति हुए भी लोग भावनात्‍मक और मनोवैज्ञानिक ट्रॉमा के शिकार हो सकते हैं। परिवार के किसी भी सदस्‍य या प्रियजन की अचानक मृत्‍यु, अलगाव या तलाक, पारिवारिक झगड़े आदि इसका कारण हो सकते हैं। फोर्टिस हेल्थकेयर में mental health और behavioural sciences डिपार्टमेंट के डायरेक्‍टर डॉक्‍टर समीर पारिख के अनुसार, इस तरह के ट्रॉमा से खासतौर पर महिलाएं सबसे ज्‍यादा प्रभावित होती है। उनमें इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं।

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ट्रॉमा के शारीरिक लक्षण

  • नींद की कमी
  • चौकना
  • थकान
  • क्रोध, चिड़चिड़ापन और मूड में बदलाव
  • चिंता और डर
  • शर्म महसूस करना
  • निराशा और उदासी
  • अकेलेपन का अहसास
  • मूड में बदलाव
  • आत्‍मसम्‍मान में कमी
  • दूसरों की तुलना में कम महसूस करना
  • अविश्‍वास
  • भावनात्मक आघात

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Image Courtesy: Shutterstock.com

ट्रॉमा की स्थिति से कैसे उभरें?

जो हुआ, उसे तो आप बदल नहीं सकती, लेकिन आप फिर से नॉर्मल लाइफ जीने के लिए प्रयास तो कर ही सकती हैं। ऐसा करना ना केवल आपके शारीरिक और मानसिक हेल्‍थ के लिए बल्कि सामाजिक जीवन के लिए भी बेहद जरूरी है। इसलिए इन उपायों को ध्‍यान में रखना बेहद जरूरी है।

  • जितनी जल्‍दी हो सकें, अपनी दिनचर्या बनाएं।
  • कम से कम 30 मिनट डीप ब्रीदिंग, योग और मेडिटेशन करें। 
  • परिवार के सदस्‍यों, मित्रों से इस बारे में बात करें।
  • परिवार के साथ बिताएं।
  • खुद को पॉजिटीव रखें।
  • कॉमेडी फिल्‍में और शो देखें। चुटकले पढ़ें, सुनें और सुनाएं।
  • 7-8 घंटे की नींद लेने की कोशिश करें।
  • शराब और धूम्रपान के सेवन से बचें।

वैसे तो किसी भी सदमे से उबरने में समय लगता है। लेकिन अगर काफी समय बीतने के बावजूद सदमे से उबर नहीं पा रहीं तो तुरंत किसी डॉक्‍टर से संपर्क करें।

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