डायबिटीज के रोक-थाम के लिए सही जानकारी का होना जरूरी है और इसके लिए चिकित्सकीय सलाह सबसे अधिक उपयोगी साबित होती है। इसलिए आपको अपने डॉक्टर से इस बारे मे पूरी जानकारी लेने का प्रयास करना चाहिए, ताकि मन में किसी तरह की आशंका न रह जाए। ऐसे में डॉक्टर से सवाल पूछना भी बेहद जरूरी है, ताकि आपको अपनी स्थिति विशेष के बारे में उचित जानकारी मिल पाए।
यहां हम ऐसे ही कुछ सवालों की बात कर रहे हैं, जिनके जवाब डायबिटीज पेशेंट के लिए काफी मददगार साबित हो सकते हैं। बता दें कि हमने इस बारे में लखनऊ के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. बृजेंद्र सिंह से बात की और उनसे मिली जानकारी यहां आपके साथ शेयर कर रहे हैं। तो चलिए जानते हैं इन सवालों के बारे में...
मुझे अपनी डायबिटीज की जांच कितने अंतराल पर करवानी होगी?
डायबिटीज पेशेंट के लिए यह सवाल बेहद अहम कि है डायबिटीज की जांच कब और कितने अंतराल पर करवानी चाहिए। इसका जवाब काफी हद तक आपके शुगर लेवल और शारीरिक परिस्थिति पर निर्भर करता है। वहीं सामान्य परिस्थितियों में डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को हर 3 महीने के अंतराल में ब्लड शुगर टेस्ट जरूर कराना चाहिए।
डायबिटीज को नियंत्रित रखने के लिए मुझे कैसा आहार लेना होगा?
डायबिटीज को नियंत्रित के लिए आपके आहार का संतुलित होना बेहद जरूरी है। इसलिए इस बारे में सही जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। दरअसल, आहार के निर्धारण में डायबिटीज की गंभीरता और व्यक्ति विशेष की शारीरिक स्थिति काफी हद तक मायने रखती है। ऐसे में डाइटीशियन से डाइट प्लान बनवाने से पहले आपको डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
डायबिटीज की दवाओं का साइड इफेक्ट क्या हो सकता है?
डायबिटीज की कुछ दवाओं के कारण पेट दर्द, उल्टी, दस्त और जी मिचलाने जैसी समस्याएं पेश आ सकती है। ऐसे में दवाओं के सेवन से पहले मरीज को इस बारे में जानकारी होनी चाहिए। इसलिए अगर आपके डॉक्टर किसी नई दवा की सलाह दे रहे हैं तो आपको उसके साइड इफेक्ट यानी उसके प्रयोग से होने वाले संभावित नुकसान के बारे में जरूर पूछना चाहिए।
दवाओं के साथ पूरक या वैकल्पिक उपचार का प्रयोग कितना उचित है?
आज के समय में डायबिटीज के इलाज के लिए कई सारे आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार भी प्रचलित हो चुके हैं। ऐसे में अगर आप दवाओं के साथ इस तरह का कोई भी उपचार आजमाना चाहते हैं तो उससे पहले अपने डॉक्टर की राय जरूर लें। ऐसा इसलिए क्योंकि दवाओं के साथ इस तरह के उपचार का प्रयोग आपके लिए कितना उचित है, इस बारे में आपके डॉक्टर ही सही जानकारी दे पाएंगे।
उपचार के दौरान मेरी एक्सरसाइज रूटीन कैसी होनी चाहिए?
डायबिटीज के रोकथाम में शारीरिक सक्रियता और गतिविधि भी काफी मायने रखती है, लेकिन किसी भी नई एक्सरसाइज को अपने रूटीन में शामिल करने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर परामर्श लें। असल में डायबिटीज की गंभीर स्थिति में कई बार थकान, चक्कर आने जैसी समस्याओं के साथ ही हाथ-पैरों में सुन्नता भी आ सकती है। ऐसी स्थिति में हैवी एक्सरसाइज का अभ्यास मरीज के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि डॉक्टर के परामर्श के आधार पर ही अपनी एक्सरसाइज रूटीन बनाए।
शुगर स्तर में परिवर्तन के क्या संकेत हो सकते हैं?
ब्लड टेस्ट के जरिए जहां आप शुगर लेवल की सही जानकारी पाते हैं, वहीं आपके शरीर में आए बदलाव भी इस बारे में काफी कुछ संकेत देते हैं। जैसे कि शरीर में शुगर का स्तर बढ़ने पर भूख और प्यास का अधिक लगना, बार-बार यूरिन आना और चक्कर आने जैसी समस्याएं पेश आती हैं। तो वहीं शुगर स्तर के गिरने की स्थिति में ठंड लगना, पसीना आना, कंपकंपी महसूस होना और हृदय गति में असामान्य रूप से परिवर्तन आने जैसे लक्षण शामिल हैं। ऐसे में आप इस बारे में अपने डॉक्टर से सही जानकारी पा सकते हैं।
उम्मीद करते हैं कि सेहत से जुड़ी यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करना न भूलें।
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