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हाई बीपी और डायबिटीज के कारण युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है ब्रेन स्‍ट्रोक का खतरा

एक नई रिसर्च के अनुसार, बदलती लाइफस्‍टाइल, मोटापा, जंक फूड का सेवन और स्‍ट्रेस के कारण युवाओं में भी ब्रेन स्ट्रोक के मामले में वृद्धि हो रही है।
IANS
Updated:- 2018-07-04, 15:40 IST

बदलती लाइफस्‍टाइल, मोटापा, जंक फूड का सेवन और स्‍ट्रेस के कारण युवा कई तरह की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। लेकिन हाल ही में आई एक रिसर्च से पता चला है कि इसी लाइफस्टाइल की वजह से युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जिसके चलते वह जिंदगी भर के लिए विकलांग बन सकते हैं। जी हां एक नई रिसर्च के अनुसार ब्रेन स्ट्रोक के मामले में वृद्धि हो रही है। इसका इलाज नहीं कराने पर ब्रेन सेल्‍स को नुकसान हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप मरीज जीवन भर के लिए विकलांग बन सकता है।

फोर्टिस अस्पताल (नोएडा) में न्यूरोसर्जरी विभाग के डायरेक्‍टर एवं वरिष्ठ न्यूरो एवं स्पाइन सर्जन डॉक्‍टर राहुल गुप्ता ने हॉस्पिटल द्वारा आयोजित एक विशेष सेक्‍शन  में कहा, कुछ समय पहले तक युवाओं में स्ट्रोक के मामले सुनने में नहीं आते थे, लेकिन अब युवाओं में भी ब्रेन स्ट्रोक अपवाद नहीं है। युवाओं में स्ट्रोक के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण हाई ब्‍लडप्रेशर, डायबिटीज, ब्‍लड शुगर, हाई कोलेस्ट्रॉल, शराब, धूम्रपान और मादक पदार्थों की लत के अलावा आरामतलब जीवन शैली, मोटापा, जंक फूड का सेवन और स्‍ट्रोक है। युवा रोगियों में यह अधिक घातक साबित होता है, क्योंकि यह उन्हें जीवन भर के लिए विकलांग बना सकता है।

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ब्रेन स्‍ट्रोक

ब्रेन के किसी भाग में ब्‍लड सप्‍लाई रूकने या गंभीर रूप से कम होने के कारण ब्रेन अटैक होता है। स्ट्रोक के कारण ब्रेन के टिश्यूज में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी होने पर कुछ ही मिनटों में, ब्रेन के सेल्‍स मृत होने लगते हैं। ब्रेन हमारी बॉडी का सीपीयू है और ब्रेन स्ट्रोक के कारण ब्रेन के किसी हिस्से पर पड़ने वाले असर के मुताबिक यह बॉडी के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है। इसका सबसे गहरा असर हमारी बॉडी में लकवा होने पर नजर आता है, लेकिन इसका असर हमारे चलने, बोलने की क्षमता का कम होना, हमारे चेहरे के हिस्से में बदलाव होना आदि में भी देखा जा सकता है। इसलिए ब्रेन स्ट्रोक का नाम सुनते ही मन में एक खौफ सा आने लगता है।

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मौत का सबसे आम कारण है स्ट्रोक

वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. ज्योति बाला शर्मा ने कहा, 'देश में हर साल ब्रेन स्ट्रोक के लगभग 15 लाख नए मामले दर्ज किए जाते हैं। स्ट्रोक भारत में समय से पहले मृत्यु और विकलांगता का एक महत्वपूर्ण कारण बनता जा रहा है। दुनिया भर में हर साल स्ट्रोक से 2 करोड़ लोग पीड़ित होते हैं, जिनमें से 50 लाख लोगों की मौत हो जाती है और अन्य 50 लाख लोग अपाहिज हो जाते हैं।'

नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफार्मेशन (एनसीबीआई) के अनुसार, 'कोरोनरी धमनी रोग के बाद स्ट्रोक मौत का सबसे आम कारण है। इसके अलावा यह 'क्रोनिक एडल्ट डिसएबिलिटी' का एक आम कारण है। 55 वर्ष की आयु के बाद 5 में से एक महिला को और 6 में से एक पुरुष को स्ट्रोक का खतरा रहता है।'

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान परिषद (आई.सी.एम.आर) के एक अध्ययन के अनुसार, 'हमारे देश में हर तीन सेकेंड में किसी न किसी व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक होता है और हर तीन मिनट में ब्रेन स्ट्रोक के कारण किसी न किसी व्यक्ति की मौत होती है।'

कैंसर के बाद मौत का दूसरा प्रमुख कारण है ब्रेन स्‍ट्रोक

डॉक्‍टर राहुल गुप्ता ने कहा, 'ब्रेन अटैक के नाम से भी जाना जाने वाला ब्रेन स्ट्रोक भारत में कैंसर के बाद मौत का दूसरा प्रमुख कारण है। ब्रेन के किसी हिस्से में ब्‍लड सप्‍लाई बाधित होने या गंभीर रूप से कम होने के कारण स्ट्रोक होता है। ब्रेन के टिश्‍यु में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी होने पर कुछ ही मिनटों में ब्रेन सेल्‍स डेड होने लगते हैं जिसके कारण मृत्यु या स्थायी विकलांगता हो सकती है।

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डॉक्‍टर ज्योति बाला शर्मा ने कहा, 'इलाज में देरी होने पर लाखों न्यूरॉन्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और ब्रेन के ज्‍यादातर काम प्रभावित होते हैं। इसलिए रोगी को समय पर चिकित्सा सहायता प्रदान करना महत्वपूर्ण है क्योंकि स्ट्रोक होने पर शीघ्र बहुआयामी उपचार की आवश्यकता होती है।'

उन्होंने कहा, स्ट्रोक का इलाज किया जा सकता है। स्ट्रोक के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात समय का सदुपयोग है। एक स्ट्रोक के बाद हर दूसरे स्ट्रोक में अत्यधिक मस्तिष्क कोशिकाओं की मृत्यु हो जाती है। इसलिए स्ट्रोक होने पर रोगियों को निकटतम स्ट्रोक उपचार केंद्र में जल्द से जल्द ले जाया जाना चाहिए।

 

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