कभी खुशी में तो कभी गम में, कभी थकान मिटाने के लिए तो कभी आराम पाने के लिए शराब पीने वाले पीने का कोई ना कोई मौका ढूंढ ही लेते हैं। यह जानते हुए भी कि शराब पीने से हमारी बॉडी पर बुरा असर होता है। लेकिन क्या आप जानती हैं कि शराब पीने से आपकी बॉडी ही नहीं बल्कि ब्रेन पर भी बुरा असर होता है। यह बात यह रिसर्च से सामने आई है।
स्मोकिंग और शराब का अधिक सेवन जीवन भर के लिए तीव्र व अनियमित हार्ट रेट के जोखिम को बढ़ाता है, जो आगे चलकर स्ट्रोक, डिमेंशिया, हार्ट फेल्योर और अन्य जटिलताओं का कारण बन सकता है जिसे एट्रियल फाइब्रिलेशन के रूप में जाना जाता हैं। एक नई रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है। अध्ययन के मुताबिक, सामान्य परिस्थितियों में धड़कते समय हार्ट सिकुड़ता है और आराम की स्थिति में होता है। एट्रियल फाइब्रिलेशन में, दिल के ऊपरी कक्ष (एट्रिया) में अनियमित धड़कन होती है, जबकि वेंट्रिकल्स में ब्लड पहुंचाने के लिए इसे नियमित रूप से धड़कने की जरूरत होती है।
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हार्ट केअर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉक्टर के के अग्रवाल ने कहा, वेंट्रिकल्स से ब्लड पंप करने से लेकर एट्रिया में ब्लड की प्राप्ति से शुरू होने वाली प्रक्रिया बहुत अच्छी तरह से व्यवस्थित होती है और इसके बारे में दिल सहित विद्युत सर्किट पूरा हो जाता है। इन घटनाओं में कोऑर्डिनेशन की थोड़ी सी भी कमी दिल की लय में परेशानी पैदा कर सकती है और एट्रियल फाइब्रिलेशन ऐसी ही एक परेशानी है।
उन्होंने कहा, उन लोगों में इसका जोखिम अधिक रहता है जो शराब ज्यादा पीते हैं। इस स्थिति में, एट्रियल कक्ष अनियमित रूप से सिकुड़ता है, जिसकी गति कई बार 400 से 600 गुना प्रति मिनट की हो सकती है। कार्डियक चैम्बर में, मुख्य रूप से बाएं एट्रिया में, ब्लड के वेंट्रिकल्स में भरने और रक्त के स्टेसिस के कारण थक्का जमने लगता है। यह थक्का कार्डियक चैम्बर से निकल कर परिधीय अंगों में माइग्रेट कर सकता है और इसके कारण ब्रेन में स्ट्रोक हो सकता है।
40 प्रतिशत से अधिक लोग एक ही बार में पांच स्टेंडर्ड ड्रिंक्स लेते है। 'हॉलीडे हार्ट सिंड्रोम' एक आम आपातकालीन दशा है, जिसमें अल्कोहल के कारण एएफ 35 से 62 प्रतिशत हो जाता है। तीन विश्लेषणों से पता लगा है कि कम मात्रा में शराब पीने की आदत से भी पुरुषों और महिलाओं में एएफ की घटनाओं में वृद्धि हो जाती है।
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डॉक्टर अग्रवाल ने आगे बताया, अन्य स्थितियों के साथ, आपके दिल के स्वास्थ्य को मैनेज करने का सबसे अच्छा तरीका यह सुनिश्चित करना है कि आप नियमित रूप से अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें और जोखिम को कम करें। कम उम्र में किए गए जीवन शैली संबंधी बदलाव दिल को किसी भी नुकसान से बचा सकते हैं। बचपन से ही ऐसी आदतों को जन्म देना जरूरी है जो आगे चलकर लाभदायक साबित हों। बुजुर्ग लोग खाने, पीने और स्वस्थ जीवन शैली के मामले में एक उदाहरण पेश कर सकते हैं।
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