हर महिला के लिए मां बनना बेहद सुखद अहसास होता है, लेकिन बदलती लाइफस्टाइल, तनाव, डाइट में पोषक तत्वों की कमी, फिजिकल एक्टिविटी की कमी और कई शारीरिक समस्याओं के चलते प्रजनन क्षमता पर बुरा असर पड़ने लगता है और महिलाओं को कंसीव करने में परेशानी आती है। अगर आप भी ऐसी ही महिलाओं में से एक हैं तो प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए फिटनेस रूटीन में कुछ योगासन को शामिल करें। इन योगासन के बारे में हमें योगा मास्टर, फिलांथ्रोपिस्ट, धार्मिक गुरू और लाइफस्टाइल कोच ग्रैंड मास्टर अक्षर जी बता रहे हैं।
ग्रैंड मास्टर अक्षर जी के अनुसार, 'प्रजनन क्षमता न केवल आनुवंशिक और पारिवारिक इतिहास बल्कि विभिन्न बाहरी कारकों से भी प्रभावित होती है। इन कारकों में जीवनशैली की आदतें, आहार, एक्सरसाइज, अल्कोहल और तंबाकू का सेवन आदि शामिल हैं। मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य भी प्रजनन क्षमता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।'
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए योग
योग प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है और यह आसन, प्राणायाम, मुद्रा और ध्यान की तकनीकों के माध्यम से किया जाता है। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम तनाव और चिंता से दूर रहें। इन मुद्दों से निपटने के लिए योग हमारे मूड को ठीक करने और भावनाओं को नियंत्रित करने का एक सही तरीका है। योग के अभ्यास के दौरान शरीर में निकलने वाले केमिकल्स के कारण होता है।
प्राणायाम और मुद्रा का प्रभाव
योग मुद्राओं के साथ श्वास तकनीक जैसे ब्रह्मरी प्राणायाम और कपालभाती प्राणायाम किया जा सकता है। ब्रह्मरी श्वास तकनीक एक ऐसी विधि है जिसमें एक मधुमक्खी के शोर के साथ सांस छोड़ी जाती है। और कपालभाती को धौंकनी श्वास के रूप में भी जाना जाता है, यह पेट की मसल्स के संकुचन के साथ बलपूर्वक सांस छोड़ने के द्वारा किया जाता है। योनि मुद्रा और प्राण मुद्रा जैसी विशिष्ट मुद्राओं का भी अभ्यास कर सकते हैं।
चक्रासन
- पीठ के बल लेट जाएं।
- पैरों को अपने घुटनों पर मोड़ें और सुनिश्चित करें कि पैर फर्श पर मजबूती से टिके हुए हो।
- हथेलियों को आकाश की ओर रखते हुए कोहनियों पर मोड़ें।
- बांहों को कंधों पर घुमाएं और हथेलियों को सिर के दोनों ओर फर्श पर रखें।
- श्वास लें, हथेलियों और पैरों पर दबाव डालें और पूरे शरीर को एक आर्च बनाने के लिए ऊपर उठाएं।
- गर्दन को आराम दें और सिर को धीरे से पीछे गिरने दें।
बद्ध कोणासन
- दंडासन मानकर शुरुआत करें।
- पैरों को मोड़ें और पैरों के तलवों को एक साथ लाएं।
- एड़ी को पेल्विक के करीब खींचे।
- धीरे से घुटनों को नीचे की ओर धकेलें।
- सांस छोडें, ऊपरी शरीर को आगे की ओर झुकाएं और अपने माथे को फर्श पर रखें।
धनुरासन
- पेट के बल लेटकर शुरुआत करें।
- घुटनों को मोड़ें और टखनों को हथेलियों से पकड़ें।
- मजबूती से पकड़े।
- पैरों और बांहों को जितना हो सके ऊपर उठाएं।
- ऊपर देखें और कुछ देर के लिए इस आसन में बने रहें।
सर्वांगासन
- इसे करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं और बांहों को बगल में रखें।
- धीरे से पैरों को फर्श से ऊपर उठाएं और आकाश की ओर रखें।
- धीरे-धीरे अपने पेल्विक को ऊपर उठाएं और फर्श से पीछे हटें।
- सहारा देने के लिए हथेलियों को पीठ पर रखें।
- कंधे, धड़, पेल्विक और पैरों को संरेखित करने का प्रयास करें।
- टकटकी को अपने पैरों की ओर केंद्रित करें।
पश्चिमोत्तानासन (बैठकर आगे की ओर झुकना)
- दंडासनसे शुरू करें।
- सुनिश्चित करें कि घुटने थोड़े मुड़े हुए और पैर आगे की ओर खिंचे हुए हो।
- बांहों को ऊपर की ओर फैलाएं और रीढ़ को सीधा रखें।
- सांस छोड़ें और पेट की हवा को बाहर करें।
- सांस छोड़ते हुए, कूल्हे पर आगे की ओर झुकें और ऊपरी शरीर को निचले शरीर पर रखें।
- बांहों को नीचे करें और पैर की उंगलियों को पकड़ें।
- घुटनों को अपनी नाक से छूने की कोशिश करें।
- आसन में कुछ देर रुकें।
योग से डोपामाइन, ऑक्सीटोसिन, सेरोटोनिन और एंडोर्फिन का उत्पादन होता है जो तनाव और चिंता को कम करने के लिए जाने जाते हैं। सांसों पर जागरूकता के साथ निम्नलिखित आसनों का अभ्यास करें। इस क्रम को 2 बार तक दोहराएं और प्रत्येक आसन को 20-30 सेकेंड तक बनाए रखें।
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