35 की उम्र के बाद महिलाएं करें ये योग, शरीर रहेगा स्वस्थ और दिखेंगी सुंदर

अगर आपकी उम्र 35 साल से ज्‍यादा है तो हेल्‍दी और सुंदर दिखने के लिए बॉलीवुड एक्‍ट्रेस सोनल चौहान की तरह इन योगासन को करें। 

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महिलाएं अपने घर-परिवार और ऑफिस की जिम्‍मेदारियां निभाने में इतनी बिजी रहती हैं कि वह खुद की सेहत को अक्‍सर नजरअंदाज कर देती हैं। इसके चलते बढ़ती उम्र के साथ उन्‍हें कई तरह की समस्‍याएं घेरने लगती हैं। 35 की उम्र के बाद अक्‍सर महिलाओं को बढ़ता वजन, जोड़ों और कमर में दर्द, थायरॉयड और डायबिटीज जैसी समस्‍याएं होने लगती हैं।

लेकिन शायद वह यह नहीं जानती हैं कि वह खुद को फिट रखकर ही परिवार और ऑफिस की जिम्‍मेदारियों को बखूबी निभा सकती हैं। इसलिए हम समय-समय पर उनका घर पर फिट रहने के तरीकों के बारे में बताते रहते हैं ताकि वह खुद के लिए थोड़ा सा समय निकालकर इन उपायों को आजमा सकें। आज हम आपको 3 ऐसे योगासन के बारे में बता रहे हैं जो 35 से उम्र की ज्‍यादा की महिलाओं के लिए बेस्‍ट हो सकते हैं।

अगर आप भी चाहती हैं कि 35 के बाद भी आप एकदम फीट रहें तो अपने रूटीन में इन योगासन को शामिल करें। इन योगासन की जानकारी हमें बॉलीवुड एक्‍ट्रेस सोनल चौहान का इंस्‍टाग्राम अकाउंट देखने के बाद मिली है।

इमरान हाशमी की फिल्म 'जन्नत' से बॉलीवुड में डेब्यू करने वाली सोनल चौहान भले ही लाइमलाइट से दूर हों लेकिन सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं। वह आए दिन सोशल मीडिया पर अपने योग की तस्वीरें और वीडियोज शेयर करती रहती हैं। कुछ दिनों पहले उन्‍होंने इंस्‍टाग्राम से 3 ऐसे योगासन की फोटोज शेयर की है जो महिलाओं के लिए बेस्‍ट हो सकते हैं। आइए इन योगासन के बारे में विस्‍तार से आर्टिकल के माध्‍यम से जानें।

चक्रासन

  • अपनी पीठ के बल लेटकर शुरुआत करें।
  • अपने पैरों को मोड़ें, अपने पैरों को फर्श पर मजबूती से रखें।
  • अपनी हथेलियों को उल्टा करें और उन्हें अपने कानों के पास या कंधों के नीचे रखें।
  • आपकी उंगलियां आगे की ओर होनी चाहिए।
  • जैसे ही आप सांस लेती हैं, अपनी हथेलियों और पैरों को सहारा के लिए जमीन में दबाएं, अपनी बाहों और पैरों को सीधा करके अपने पेल्विक को ऊपर उठाएं।
  • प्रारंभ में, आप अपने सिर के शीर्ष को नीचे रख सकती हैं।
  • धीरे-धीरे, अपने पूरे शरीर को एक आर्च बनाने के लिए ऊपर उठाएं।
  • सिर को धीरे से पीछे की ओर रखकर अपनी गर्दन को आराम दें।
  • अपना वजन अपने अंगों के बीच समान रूप से वितरित रखें।

चक्रासन के फायदे

  • इससे चेस्‍ट का विस्तार होता है और फेफड़ों को अधिक ऑक्सीजन मिलती है।
  • यह मुद्रा अस्थमा के रोगियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद बनाता है।
  • यह शरीर में तनाव को कम करता है।
  • आंखों को तेज करता है।
  • यह आसन पीठ को मजबूत करने में मदद करता है और रीढ़ की लोच को बढ़ाता है।
  • पेट के हिस्‍से और डाइजेशन और रिप्रो‍डक्टिव अंगों को टोन करता है।
  • हाथों और पैरों की मसल्‍स को मजबूत करता है।
  • शरीर के मेटाबॉलिज्‍म लेवल पर बनाए रखता है।
  • लिवर, प्लीहा और गुर्दे की प्रक्रियाओं को उत्तेजित करता है यह शुद्धिकरण को बढ़ाता है।
  • यह थकान को दूर करता है और आपको ऊर्जावान महसूस कराता है।
  • यह फर्टिलिटी और ऑस्टियोपोरोसिस के लिए अच्छा है।
  • यह सहनशक्ति का निर्माण करता है।
  • यह शरीर और दिमाग से सुस्ती को दूर करता है।

सावधानी

चूंकि चक्रासन कलाई पर भार डालता है, इसलिए, यदि आपको लगता है कि आपकी बाहों या कलाई में उठाने के लिए पर्याप्त ताकत नहीं है, तो इस मुद्रा को चेयर से करने का प्रयास करें। किसी भी डिस्क संपीड़न के मामले में इस मुद्रा से बचें। प्रेग्‍नेट महिलाओं को चक्रासन करने से परहेज करने की सलाह दी जाती है!

अगर आपको निम्‍नलिखित समस्‍या है तो कृपया चक्रासन से बचें:

  • हार्ट संबंधी समस्याएं
  • कार्पल टनल सिंड्रोम
  • सिरदर्द
  • दस्त
  • असंतुलित ब्‍लडप्रेशर
  • हाथ, कूल्हे, कंधे या पीठ में पुराना दर्द या चोट
  • वर्टिगो, हाई ब्लड प्रेशर
  • कलाई या गर्दन में कोई चोट

हलासन

हल मुद्रा, हलासन, संस्कृत शब्द 'हला' से लिया गया है जिसका अर्थ है 'हल'। इसका नाम इसलिए रखा गया है क्योंकि इसमें आपकी मुद्रा हल, एक कृषि उपकरण की तरह दिखाई देती है।

  • सबसे पहले जमीन पर मैट बिछाकर कमर के बल सीधा लेट जाएं।
  • दोनों हाथों को थाइज के पास जमीन पर रखें।
  • फिर सांस लेते हुए धीरे-धीरे दोनों पैरों को सीधा ऊपर की ओर उठाएं।
  • हाथों को नीचे की ओर दबाएं और कमर को मोड़ते हुए पैरों को सिर के पीछे हल की तरह लगा दें।
  • फिर बिना सिर उठाए 2-3 मिनट बाद धीरे-धीरे नॉर्मल पोजीशन में आ जाएं।

हलासन के फायदे

  • यह आसन पीठ की मसल्‍स और रीढ़ की हड्डी की ताकत में सुधार करता है क्योंकि पीठ को मोड़ा जाता है, साथ ही पैर और पेट की मसल्‍स को भी।
  • यह स्‍पाइनल नर्वस पर दबाव बनाकर रीढ़ की नसों के कामकाज में सुधार करता है।
  • यह थायरॉयड, पैराथायरॉयड और पिट्यूटरी ग्‍लैंड्स के कार्य में भी सुधार करता है। अन्य सभी एंडोक्राइन ग्‍लैंड्स इन मुख्य ग्‍लैंड्स द्वारा नियंत्रित होते हैं और इसलिए एंडोक्राइन सिस्‍टम के समग्र कार्य में सुधार होता है।
  • हलासन ब्‍लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है और अपच के लिए अच्छा है।
  • मनो-शारीरिक प्रणाली को सक्रिय, गर्म और हल्का करता है।
  • अस्थमा, ब्रोंकाइटिस के लिए उपयोगी।
  • लचीलापन बढ़ाता है और पैरों में ऐंठन के दौरान आराम की भावना प्रदान करता है।
  • रीढ़ की हड्डी को मजबूत और लचीला बनाता है।
  • पाचन तंत्र में सुधार करता है, जो इस मुद्रा को उपयोगी बनाता है जो कब्ज और गैस्ट्रिक समस्याओं से पीड़ित हैं।
  • डायबिटीज से परेशान महिलाओं के लिए फायदेमंद है क्योंकि यह ब्‍लड शुगर लेवल को सामान्य करता है।
  • रिप्रोडक्टिव अंगों को उत्तेजित करता है।
  • मेनोपॉज के दौरान महिलाओं की मदद करता है।
  • इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत करता है।
  • यह पीठ दर्द, सिरदर्द, इनफर्टिलिटी, अनिद्रा, साइनसाइटिस के लिए भी चिकित्सीय है।

अंजनेयासन

इस योग का फोटो शेयर करते हुए सोनल ने कैप्‍शन में लिखा, 'अंजनेयासन करें और धैर्य, सद्भाव, ध्यान और कल्याण की शक्ति का सम्मान करें।'

  • सबसे पहले वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
  • अपने बाएं पैर को पीछे की तरफ ले जाएं और दाहिने पर के तलवे को जमीन पर रखें।
  • दोनों हाथों को सिर के ऊपर से ले जाकर आपस में जोड़ लें।
  • धीरे-धीरे पीछे की तरफ झुकने की कोशिश करें।
  • इस दौरान अपने हाथों को जितना संभव हो सके पीछे की तरफ ले जाएं।
  • कुछ देर इसी पोजीशन में रहें और फिर वापस पुरानी पोजीशन में आ जाएं।

अंजनेयासन के फायदे

  • थायरॉयड ग्रंथियों के कार्य को सक्रिय करता है। लो लंज पोज़ में, जब आप अपने हाथों को सिर के ऊपर उठाते हैं, तो यह स्वाभाविक रूप से पीठ को झुकाता है, जिससे थायरॉयड क्षेत्र के आसपास गर्दन की मसल्‍स को एक अच्छा खिंचाव मिलता है। खिंचाव थायरॉयड ग्रंथियों को उत्तेजित करता है जिससे शरीर के मेटाबॉ‍लिज्‍म कार्यों को बढ़ावा मिलता है।
  • दिल को खोल देने वाली योग मुद्रा: अंजनेयासन हृदय को खोलने वाला योग आसन है, जिसमें बेहतर श्वास और ब्‍लड सर्कुलेशन में वृद्धि के स्वास्थ्य पुरस्कार हैं। मुद्रा में चेस्‍ट को आगे की ओर उठाने से हार्ट की मसल्‍स खुलती हैं और फेफड़े फैलते हैं। प्राण का बेहतर प्रवाह, ऑक्सीजन की आपूर्ति में वृद्धि और ब्‍लड सर्कुलेशन अंजनेयासन के परिणामी स्वास्थ्य लाभ हैं।
  • निचला शरीर लचीला होता है- लो लंज पोज़ कूल्हों, जांघों, हैमस्ट्रिंग, कमर और क्वाड्रिसेप्स को मजबूती से जोड़ता है जो गहरी स्ट्रेचिंग और गति की एक बड़ी रेंज की सुविधा प्रदान करता है। लो लंज पोज़ के इस लाभ के कारण, यह धावकों, एथलीटों, साइकिल चालकों और उन महिलाओं के लिए अत्यधिक उपयुक्त है जो बैठे-बैठे दिन बिताते हैं।
  • साइटिका- अंजनेयासन को साइटिका दर्द के लिए भी चिकित्सीय गुणों के लिए जाना जाता है। इस मुद्रा के नियमित प्रदर्शन से आपको पूरे पैर में होने वाले साइटिका दर्द से राहत मिल सकती है।
  • पेट के लिए फायदेमंद-अन्य सभी हृदय खोलने वालों की तरह, लो लंज पोज़ भी आंतरिक अंगों और पेट के लिए फायदेमंद है। मुद्रा पेट में अपने कार्यों में सुधार करता है। एक अच्छी तरह से काम करने वाला पेट प्रभावी पाचन की ओर जाता है।
  • ए जेंटल बैकबेंड-मुद्रा में पीठ का आकार धनुषाकार हो जाता है इसलिए इसे लो लंज पोज़ का एक सौम्य बैकबेंड माना जाता है। बैकबेंड रीढ़ की गतिशीलता को बढ़ाते हैं जिससे मुद्रा में सुधार होता है, पीठ और गर्दन के दर्द से राहत मिलती है और शरीर में जागरूकता बढ़ती है।
  • वारियर पोज I का अच्‍छा विकल्प- जो महिलाएं विभिन्न कारणों से वरियर I मुद्रा (वीरभद्रासन) नहीं कर सकती हैं, वे शरीर, मन और आत्मा के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए इस मुद्रा का अभ्यास कर सकती हैं।

सावधानी

जिन लोगों को हृदय संबंधी कोई समस्या है, उन्‍हें इस आसन को करने से बचना चाहिए।

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आप भी इन योगासन को करके फिट और हेल्‍दी रह सकती हैं। अगर आपने इससे पहले कभी भी योगासन नहीं किए हैं तो किसी एक्‍सपर्ट की निगरानी में इन योगासन को करें। योग से जुड़ी ऐसी ही जानकारी के लिए हरजिंदगी से जुड़ी रहें।

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