Yoga for Kids: बच्‍चों का ब्रेन होगा सुपर एक्टिव अगर रोजाना करेंगे योग

अगर आप चाहती हैं कि आपके बच्‍चे का ब्रेन एक्टिव रहें तो उसे रोजाना योग करने के लिए कहें। एक्‍सपर्ट से जानें कि बच्‍चों के लिए योग कैसे फायदेमंद होता है। 

benefits of yoga in schools

माता-पिता बच्चे की जिंदगी में आदर्श पात्र होते हैं। बच्चे बहुत ही ध्यान रखने वाले होते है, जो भी माता-पिता करते हैं वो ही सब देखकर बच्चे भी करते हैं इसीलिये माता-पिता की जिम्मेदारी होती है कि इस बात को ध्यान में रखकर ही कोई भी काम करें। बच्चे की ग्रहणशीलता बहुत ही उम्दा होती है इसलिये माता-पिता को अपने हर बर्ताव पर ध्यान रखना चाहिए। पिता अगर पीछे हाथ बांधकर चलते हैं तो बच्चा भी वही दोहराता है। उसकी यह हरकत माता-पिता को बड़ी प्रसन्न करती है पर उन्हें यह दिमाग में रखना चाहिए कि बच्चा छोटा व्यवहार कॉपी करता है तो उनके दुर्व्यवहार का भी उस पर असर होगा।

योग संस्थान के डायरेक्‍टर डॉक्‍टर हंसाजी जयदेव योगेंद्र का कहना है कि 5 साल की उम्र होने के बाद बच्चे समझना शुरू कर देते हैं तब आप उन्हें कुछ भी सीधे से सिखा सकते हैं क्योंकि इस उम्र के बच्चे शांत बैठना और सुनना अच्छे से सीख लेते हैं। इस समय उनको मूल्य, शिष्टाचार, उचित व्यवहार, स्वस्थ व सही दिनचर्या और घर के रिवाजों को भी सिखा देना चाहिए पर हमें सिखाने का क्रिएटिव तरीका अपनाना चाहिए, जैसे शास्त्रों से ली गई कहानी, खेलों के द्वारा अपनी बात बतायें।

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सबसे गौर करने की बात यह है कि माता-पिता स्वयं भी वही अपनाएं जो वे सिखाना चाहते हैं अन्यथा सिखाने का कोई अर्थ नहीं रहेगा क्योंकि बच्चे कभी नहीं सीखेंगे। एक कहानी है एक अध्यापक और विद्यार्थी की। एक दिन विद्यार्थी की माता शिक्षक से मिलने आई और कहा कि आप मेरी लड़की को सिखाइये कि वह मीठा न खाये यह अच्छा नहीं होता है। शिक्षक ने कुछ नहीं कहा व 15 दिन के बाद आने को कहा। 15 दिन के बाद शिक्षक ने विद्यार्थी को कहा कि वह मीठा नहीं खाये, यह अच्छा नहीं होता। तब माता परेशान हो गई, पूछा कि आपने क्यों हमें 15 दिन के बाद आने को कहा, यह बात उसी दिन कह दी होती। इस पर शिक्षक ने कहा कि मुझे भी मिठाइयों का शौक है तो मैं अपने विद्यार्थी से मीठा खाना बंद कराने के पहले स्वयं यही दोहराना चाहता था तभी मेरे विद्यार्थी मेरी बातों को विश्वास करेंगे और वही करेंगे जो मैंने सिखाया।

आसन की प्रैक्टिस प्रकृति के बीच सिखानी चाहिए

योग की तकनीक जैसे –आसन सिखाते समय बच्चों को प्रकृति की महत्ता के बारे में भी बताएं। उन्हें पर्वत, पेड़, जानवर, पक्षी और फूल इत्यादि की खूबियां बताना चाहिए। आसन की प्रैक्टिस प्रकृति के बीच सिखानी चाहिए, जैसे-बगीचे में, समुद्र तट पर ताकि योग आसन को वे मात्र शारीरिक व्यायाम के तौर पर नहीं समझें।

8 साल की उम्र के बाद तुम उन्हें सीधे आसन की विधि सिखा सकते हो। आसन को उत्तम व सही तरीके से करना सिखायें। बच्चे संतुलन के आसन पसंद करते हैं, इससे उनकी एकाग्रता भी बढ़ती है। माता-पिता को बच्चे के समग्र विकास पर ध्यान देना चाहिए न कि कोई गिने-चुने एक-दो क्षेत्र में। जब बच्चा 12 साल का हो जाये तब उन्हें भावनात्मक बातों के बारे में समझाना चाहिए, जैसे- गुस्से की समस्या, परीक्षा की घबराहट। साथ ही उनसे उबरने का सही तरीका भी समझाना चाहिए। माहौल ऐसा हो माता-पिता के आसपास वे आरामदायक महसूस करें। उन्हें एक बहुत महत्वपूर्ण विषय के बारे में भी समझाएं वह है कर्म सिद्धांत- ताकि वे अन्य लोगों व प्रकृति की मदद करें जिससे उन्हें बगैर किसी अपेक्षा के खुशी मिलेगी। उन्हें दोस्तों व अन्य पड़ोसियों के साथ प्यार से व दोस्ताना व्यवहार करना सिखाइये।

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benefits of yoga in early childhood

बराबर श्वास लेना सिखायें यानि श्वास-प्रश्वास में समानता एवं ओम का उच्चारण बहुत अच्छा श्वास का व्यायाम होता है। यह उन्हें संयम से रहने व एकाग्रता बढ़ाने में मदद करेगा। बच्चों के लिये योग शारीरिक हलन-चलन तक ही सीमित नहीं होना चाहिए, अन्य प्रक्रियाओं के माध्यम से भी उनके संपूर्ण विकास पर गौर करना चाहिए। माता-पिता को बच्चों के आसपास खुश रहना चाहिए क्योंकि अंत में जो माता-पिता होते हैं वो ही बच्चे बनते हैं।

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