
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और मोबाइल-ऑनलाइन की दुनिया में लोग यह भूल गए हैं कि वे क्या और क्यों खा रहे हैं। ज्यादातर लोग जल्दी-जल्दी, स्क्रीन देखते हुए या बस पेट भरने के लिए खाना खाते हैं, बिना यह समझे कि भोजन शरीर और मन दोनों को पोषित करता है।
ऐसे असंतुलित जीवन में योग हमें सिखाता है कि थोड़ा रुकें, गहरी सांस लें और प्रकृति के साथ तालमेल बनाएं। योग बताता है कि भोजन केवल खाने की क्रिया नहीं है, बल्कि यह ध्यान और आभार का पवित्र अभ्यास है, जहां हर निवाला पूरे ध्यान और शांति से लिया जाता है। जब हम कृतज्ञता के साथ खाते हैं, तब भोजन अमृत समान हो जाता है, जो न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि मन को भी शांत और संतुलित बनाता है।
इसके बारे में अक्षर योग केंद्र के लेखक और फाउंडर हिमालयन सिद्धा अक्षर बताते हैं कि माइंडफुल ईटिंग आज के समय की जरूरत बन गई है। यह हमें न सिर्फ अच्छा पाचन और स्वास्थ्य देता है, बल्कि जीवन में संतुलन भी लाता है।

योग के अनुसार, माइंडफुल ईटिंग का अर्थ कैलोरी गिनना या वजन घटाना नहीं है। इसका मतलब है कि खाने के रंग, स्वाद, बनावट और खुशबू को पूरी जागरूकता से महसूस करना।
यह अभ्यास हमें भूख और तृप्ति के शरीर के प्राकृतिक संकेतों को पहचानना सिखाता है। जब हम ध्यानपूर्वक खाते हैं, तब पाचन सुधरता है, ऊर्जा बढ़ती है और मन शांत होता है। भोजन तब एक ध्यान की प्रक्रिया बन जाता है, जब शरीर और मन के बीच मजबूत रिश्ता स्थापित करता है।
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योग दर्शन कहता है कि आप कैसे खाते हैं, यह उतना ही जरूरी है जितना कि आप क्या खाते हैं। भोजन से पहले मन को शांत करना, आभार व्यक्त करना और भोजन के प्रति सम्मान रखना, शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है।
ऐसी साधारण आदतें पाचन को बेहतर बनाती हैं और भीतर शांति तथा संतोष का भाव जगाती हैं।

योग कुछ हल्के आसनों का सुझाव देता है, जो हमारे अंदरूनी अंगों को एक्टिव करते हैं, ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाते हैं और तनाव को दूर करते हैं, जिससे खाने की गलत आदतें भी सुधरती हैं।
| योगासन | फायदे |
| वज्रासन | खाना खाने के बाद किया जाता है। यह भोजन पचाने में मदद करता है, ऊर्जा को नीचे की ओर प्रवाहित करता है और एसिडिटी से बचाता है। |
| अर्ध पवनमुक्तासन | यह आसन पेट की हल्की मालिश करता है, जिससे ब्लोटिंग कम होती है और पाचन तंत्र सही रहता है। |
| उष्ट्रासन | यह चेस्ट को खोलता है, पेट को मजबूत करता है, पाचन अंगों को सक्रिय करता है और जागरूक खाने को बढ़ावा देता है। |
| शशांकासन | यह आरामदायक मुद्रा है, जो ब्रेन में ब्लड फ्लो को सुधारती है, मन को शांत करती है और अचानक ज्यादा खाने की आदत को कम करती है। |
| मत्स्यासन | यह नई ऊर्जा देने वाली मुद्रा है, जो चेस्ट को खोलती है, गहरी सांस को बढ़ाती है और पाचन में मदद करती है, जिससे शरीर ताजा और ऊर्जावान महसूस करता है। |
जब योग और जागरूक भोजन मिलते हैं, तब भोजन सिर्फ पेट भरने का काम नहीं रहता, बल्कि उपचार का माध्यम बन जाता है। हमारा शरीर बाहरी इच्छाओं के बजाय असली जरूरतों पर प्रतिक्रिया करना शुरू कर देता है। हर कौर ध्यान बन जाता है और हम भोजन को आदर और कृतज्ञता के साथ ग्रहण करते हैं।
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इस अभ्यास से हम भोजन को जीवन, ऊर्जा और संतुलन का स्रोत मानना सीखते हैं। योग हमें यह सिखाता है कि सच्चा पोषण केवल शरीर के लिए नहीं, बल्कि आत्मा के लिए भी जरूरी है।
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