आजकल की भाग-दौड़ की ज़िंदगी में महिलाओं को अपने लिए समय निकाल पाना मुश्किल होता जा रहा है। करियर और परिवार जैसी ज़िम्मेदारियों के बीच महिलाएं स्वयं को नजरअंदाज करती हैं। अस्त-व्यस्तता, लगातार काम का प्रेशर, तनाव, नींद में अनियमितता जैसी चीजें आजकल की जीवनशैली बनती जा रही हैं। ऐसे में कुछ महिलाएं, जो अपनी हेल्थ के लिए जागरूक हैं, वह अपने लिए कुछ समय निकालकर स्वास्थ्य संवर्धन के लिए कुछ कार्य करती हैं, लेकिन अधिकतर महिलाओं का ध्यान इन पर नहीं जाता है। नतीजन धीरे-धीरे उन्हें कई तरह की छोटी-छोटी समस्याएं होनी शुरू होती हैं। इन छोटी समस्याओं को जब भी नज़र- अंदाज़ किया जाता है तो ये ही किसी गंभीर रोग का सबब बनती हैं।
महिलाओं में कुछ समस्याएं इसलिए भी गंभीर बन जाती हैं क्योंकि वह कुछ समस्याओं के बारे में बात ही नही कर पाती हैं। ऐसी ही एक समस्या है पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसीज़ यानी पीसीओडी जो खासतौर पर भारत में लगातार बढ़ रही है। पीसीओडी, एंडोक्राइन ग्लैंड्स से जुड़ी समस्या है, क्योंकि ये समस्या महिलाओं के ओवरी से स्रावित होने वाले हार्मोन्स के स्राव में असंतुलन के कारण होती है। पीसीओडी का मुख्य कारण जीवनशैली का अस्त-व्यस्त होना है। अशुद्ध खान-पान, अनियमित तनाव, निराशा वाली जीवनशैली कारण शरीर के एंडोक्राइन ग्लैंड्स से होने वाला स्राव ज्यादा होने लगता है, असंतुलित स्राव के कारण ओवरीज में छोटी-छोटी गांठ या सिस्ट बन जाती हैं।
पीसीओडी के लक्षण
- थकान
- कमजोरी
- पीरियड्स में अनियमितता
- पीरियड्स न होना
- वजन बढ़ना
- चेहरे शरीर पर बाल आना
- मिसकैरेज होना
- कंसीव में परेशानी आना
- चिड़चिड़ापन
- तनाव
- डिप्रेशन
- चेहरे पर मुहांसे
- कब्ज
- पीसीओडी के कारण कई बार महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या भी देखी गई है।
योग से दूर करें समस्या
पीसीओडी के उपचार के लिए आमतौर पर हार्मोन संतुलन की दवाइयां दी जाती हैं, लेकिन जीवनशैली में परिवर्तन नहीं होने के कारण ये समस्या पूरी तरह ठीक नहीं हो पाती है। लेकिन योगासनों के नियमित अभ्यास से इसे कंट्रोल किया जा सकता है। वैसे तो सभी आसनों के फायदे हैं, लेकिन पीसीओडी के कुछ आसान विशेष रूप से लाभकारी हैं। इन योगासन के बारे में हमें बबिता मौर्य (योग साधक) जी बता रही हैं।
सिद्ध योनि आसन
ये आसन एनर्जी को निम्न चक्रों से ऊपर के चक्रों की ओर प्रवाहित करता है। यह मूलाधार चक्र को दबाता है, जिसके कर्म रिप्रोडक्टिव हार्मोन नियंत्रित होते हैं। यह रिप्रोडक्टिव सिस्टम को पुष्ट करता है जिससे ओवरी से जुड़ी ग्लैंड्स के स्राव को संतुलित करता है।
उष्ट्रासन
यह आसान पाचन और रिप्रोडक्टिव सिस्टम के लिए बहुत लाभकारी है। वे अमाशय व आंतों में स्ट्रेच पैदा करता है और कब्ज को दूर करता है जिससे पाचन सही होता है।
सेतुबंध आसन
यह बड़ी आंत और पेट को शक्ति प्रदान करता है और स्ट्रेच उत्पन्न होता है। मिसकैरेज से पीड़ित महिलाओं के लिए ये आसन विशेष तौर पर लाभकारी है।
तितली
यह आसन रिप्रोडक्टिव अंगों के साथ-साथ जांघों को मज़बूती देता है साथ ही तनाव कम करता है। पीरियड्स को नियमित करता है। शरीर को मजबूती प्रदान करता है।
भद्रासन
यह पाचन अंगों, पैरों, मसल्स और रिप्रोडक्टिव सिस्टमको मजबूत बनाता है। अनिद्रा दूर करने में सहायक है। यह चंचलता को दूर करता है और मन में एकाग्रता लाता है।
मार्जरी आसन
हालांकि इसके बहुत सारे फायदे हैं लेकिन महिलाओं के लिए यह जरूरी आसान है क्योंकि ये उनके रिप्रोडक्टिव सिस्टम को पुष्ट करता है और इनसे जुड़े रोगों को दूर करता है।
शशांक आसन
यह पेल्विक की मसल्स को मजबूत करता है साथ ही रिप्रोडक्टिव अंगों की गड़बड़ी को दूर करता है, जिससे रिप्रोडक्टिव ग्लैंड्स का हार्मोन स्राव संतुलित होता है।
भुजंगासन
शशांकासन और भुजंगासन का बारी-बारी अभ्यास महिलाओं के लिए ज्यादा लाभकारी है। भुजंगासन रिप्रोडक्टिव अंगों को शक्ति प्रदान करता है, साथ ही पीरियड्स की अनियमितता दूर करता है जो पीसीओडी की समस्या को दूर करने में सहायक है। इसके साथ ही किडनी और यूट्रस को भी मजबूत करता है।
सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार भी महिलाओं के लिए अत्यंत लाभकारी आसन है। इससे महिलाओं में स्फूर्ति आती है और मन शांत होता है। तनाव, अनिद्रा, अतिनिद्रा जैसी समस्याएं दूर होती हैं। एक रिसर्च के अनुसार सूर्य नमस्कार महिलाओं में डिप्रेशन को कम करता है।
उपरोक्त सभी आसनों से प्यूबिक एरिया की मसल्स, रिप्रोडक्टिव अंगों की शिराएं और नाभि और नाभि के निचले भाग के हिस्से मजबूत होते हैं, जिनसे महिलाओं की अधिकतर समस्याओं का निदान हित है। इसके साथ ही ये आसन ब्लड सर्कुलेशन को संतुलित करते हुए ब्लड प्रेशर को नियमित करते हैं। मानसिक तनाव कम करते हैं और तत्परता बढ़ाते हैं। आसनों के नियमित अभ्यास से पाचन सुचारू रूप से होता है जिससे शरीर को जीवन प्रदान करने वाले जूस मिल पाते हैं, ब्लड शुद्ध होता है और हार्मोन संतुलित होते हैं।
योगासनों को सही तरीके से करके हम अनेक रोगों से मुक्त हो सकते हैं, लेकिन इनका गलत अभ्यास हानिकारक भी हो सकता है। जिस प्रकार हर दवा, हर रोगी को नही दी जा सकती हैं, ठीक उसी प्रकार हर आसन हर व्यक्ति के लिए उपयुक्त नही होता है। इसलिए योगासनों का अभ्यास हमेशा किसी योग्य योग आचार्य के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए और अभ्यास से योगाचार्य या योग शिक्षक को पहले अपनी शारिरिक और मानसिक स्थिति से अवश्य अवगत कराना चाहिए, ताकि आपकी स्थिति के अनुसार अभ्यास कराया जाए।
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योगनिद्रा
पीसीओडी और महिलाओं की अन्य अनेक बीमारियों कारण उनकी मानसिक अशांति, तनाव, चिंता आदि मानसिक कारण होते हैं, क्योंकि नकारात्मक विचारों के कारण हमारे ग्लैंड्स शरीर को हानि पहुंचाने वाले या आवश्यकता से अधिक हार्मोन का स्राव करने लगते हैं, जो रोगों का कारण बनते हैं। योग निद्रा के अभ्यास से शरीर और मन दोनों शांत होते हैं, जिससे शरीर मे नई ऊर्जा का संचार होता है। योग निद्रा मानसिक विकारों को दूर करने में सहायक है क्योंकि यह हमारे शरीर और मन दोनों को एक साथ आराम देता है। कुछ विशेष स्थितियों को छोड़कर सभी लोग योग निद्रा का अभ्यास कर सकते हैं।
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