सर्दियों में अस्‍थमा को आसानी से कंट्रोल करते हैं एक्‍सपर्ट के बताये ये 3 योग

अगर आपको अस्थमा है तो आप खुद को सुरक्षित रखने का तरीका निकाल सकते हैं और इसका जवाब योग में है।

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हम सभी लंबे समय से जलवायु परिवर्तन पर होने वाली बहस देख रहे हैं। दिवाली के दौरान तो सोशल मीडिया पर ग्रीन दिवाली की खूब चर्चा होती है और इसके पक्ष में अंधाधुंध तर्क दिये जाते हैं। इसके बाद जो होता है, वह हम दिल्ली में देखते हैं। इसकी क्या जरूरत है? हमारी सांस में जाने वाली वायु की गुणवत्‍ता और जीवन के लिये उसका महत्व। दिल्ली में वायु की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच गई और अफवाहें उड़ीं कि लोगों के स्वच्छ वायु में सांस लेने के लिये ऑक्सीजन हब खुल गये हैं, जो काफी महंगे हैं।

अगर स्वच्छ वायु की कमी एक सामान्य व्यक्ति को परेशान कर सकती है, तो अस्थमा जैसे श्वसन रोगों से पीड़ित लोगों पर उसका प्रभाव कैसा होता होगा? उनके लिये तो जीवित रहना ही एक संघर्ष बन जाता है, क्योंकि धूल की थोड़ी मात्रा भी उनके लिये घातक हो सकती है। अगर आपको अस्थमा है, तो वायु की गुणवत्ता में सुधार सभी की जिम्मेदारी है, यह केवल आपके नियंत्रण में नहीं है, लेकिन आप खुद को सुरक्षित रखने का तरीका निकाल सकते हैं। इसका जवाब योग में है। जी हां, योग की प्राचीन विद्या में अस्थमा को काबू करने की कुंजी है। कैसे? इस बारे में हमें सर्वा योगा, माइंडफुलनेस एंड बियोंड के को फाउंडर श्री सर्वेश शशि का बता रहे हैं।

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सर्वेश शशि का कहना है कि '' योग से सांस और शरीर की जागरूकता भी बढ़ती है, श्वसन की दर धीमी होती है और शांति का अनुभव होता है, जो अस्थमा के रोगियों के लिये बहुत फायदेमंद है। अस्थमा के उपचार में योग की भूमिका पर कोई अध्ययन नहीं हुआ है, लेकिन लंबे समय तक योग करने से रोगियों पर प्रभाव अच्छा होता है। ऐसा देखा गया है कि नियमित योग करने से कंधों, पीठ, बगल और श्वास की पेशियां लचीली हो जाती हैं, क्योंकि वे नियम से बंध जाती हैं और अगर इसके साथ सांस से संबंधी जागरुकता मिल जाए, तो अस्थमा का अटैक होने पर सुरक्षा मिलती है। नीचे कुछ आसन और स्‍टेप-बाई-स्‍टेप मार्गदर्शन दिया गया है, ताकि आप आज से ही शुरूआत कर सकें।

1. भुजंगासन- कोबरा पोज

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  • इसे आसन को करने के लिए छाती के बल लेट जाइये, आपके पैर ऊपर और आपके ठीक पीछे होने चाहिए।
  • फर्श पर अपने पंजे रखिये, जो आपके कंधों और कमर की सीध में हों।
  • अब अपने सिर को धीरे-धीरे उठाइये, और उठते समय अपनी कुहनियों को अपने कंधों की सीध में रखिये और आपकी उंगलियां आगे की ओर होनी चाहिये।
  • रीढ़ को सीधा रखें, सामने की ओर देखें और ठोड़ी फर्श के समानांतर हो।
  • इसके आगे जाना चाहते हैं, तो अपनी छाती को और उठाते हुए धीरे-धीरे अपनी भुजाओं को सीधा करें और रीढ़ को भी।
  • 30 सेकंड तक इसी पॉजीशन में रहें।अस्‍थमा में संजीवनी बूटी की तरह काम करते हैं ये 7 हर्ब्‍स

2. उत्तानासन- आगे की ओर झुककर खड़े होना

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  • सांस लीजिये, चटाई पर आइये और अपने पैरों को थोड़ा फैलाइये।
  • सांस छोड़िये, धीरे-धीरे हिप्‍स से अपने शरीर को मोड़िये, ऐसा कि आपका चेहरा आपकी थाइज के बीच आ जाए।
  • अगर कमर में ऐंठन लगे, तो घुटनों को थोड़ा मोड़िये।
  • अब अपनी भुजाओं को मोड़िये, दोनों कुहनियां विपरीत हाथों में लीजिये और शरीर को लटकाइये, फिर आंखें बंद करके पांच बार गहरी सांस लीजिये।
  • अपने हाथों को फर्श पर रखिये, अपने पैरों के पास। अगर फर्श पर पहुंचने में कठिनाई हो, तो अपने हाथों से टखनों को पीछे से पकड़िये।
  • आपके पैर एक-दूसरे के समानांतर होने चाहिये।
  • इस पॉजीशन में जब तक रह सकते हैं, रहें।अस्‍थमा का जबरदस्‍त इलाज है कई रोगों की 1 दवा कलौंजी, एक्‍सपर्ट से जानें कैसे

3. सीटेड स्पाइनल ट्विस्ट- अर्द्ध मत्स्येन्द्रासन

  • चटाई पर बैठिये और पैरों को सामने फैलाइये। अपने हाथों को अपनी थाइज पर रखिये।
  • सांस लीजिये, अपने दायें पैर को बाईं थाई के ऊपर ले जाइये और आपका घुटना मुड़ा होना चाहिये।
  • उसेअपनी बायीं थाई के पास रखें और आपकी एड़ी आपके हिप्‍स के पास होनी चाहिये।
  • अब, अपने बायें घुटने को ऐसे मोड़ें कि बायां टखना आपके दायें हिप्‍स के पास हो।
  • अपने हिप्‍स को बराबर रखें और आपका दायां पैर फर्श पर होना चाहिये।
  • सांस लीजिये, अपने शरीर को सौम्यता से दायीं ओर मोड़िये।
  • खुद को चौड़ा करें और अपने दायें हाथ को पीछे ले जाएं तथा बायीं भुजा को उठाएं। अपनी बायीं भुजा को दायें घुटने पर रखें।
  • सांस छोड़ें और कुछ सेकंड के लिये खुद को और मोड़ें। धीरे से मुक्त हों और दूसरी ओर से यही क्रिया दोहरायें।

एक्‍सपर्ट के बताये इन 3 योगासन को करके आप आसानी से सर्दियों में अस्‍थमा को कंट्रोल कर सकती हैं।

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