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ब्रेस्‍ट कैंसर के खतरे को कम करते हैं ये 5 योग, रोजाना करें

ब्रेस्‍ट कैंसर का खतरा सताता है, तो एक्‍सपर्ट के बताए कुछ योगासन को अपने फिटनेस रूटीन में शामिल करके रोजाना कुछ देर जरूर करें।
Editorial
Updated:- 2021-08-02, 15:42 IST

भारत में ब्रेस्‍ट कैंसर उन टॉप तीन प्रकार के कैंसरों में से एक है, जो तेजी से बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रकाशित रिपोर्टों के अनुसार, दुनिया भर में सालाना कैंसर के लगभग 1.38 मिलियन मामले सामने आते हैं। इन आंकड़ों में, ब्रेस्‍ट कैंसर के कारण लगभग 458 हजार मौतें होती हैं। हमारे देश में हर 20 में से 1 शहरी महिला को ब्रेस्‍ट कैंसर होने की संभावना रहती है और हर चार मिनट में एक निश्चित रूप से डायग्‍नोज होता है। इसलिए शीघ्र पता लगाकर उपचार और उपशामक देखभाल पर जागरूकता फैलाने की आवश्यकता बढ़ गई है।

20 से 30 वर्ष की आयु की महिलाओं में ब्रेस्‍ट कैंसर के मामलों की संख्या में असामान्य वृद्धि हुई है, जिसे महामारी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने कोविड को कैंसर से पीड़ित रोगियों में जटिलताओं के लिए एक बढ़ा जोखिम घोषित किया है। इस वृद्धि के अन्य कारण जीवनशैली में बदलाव, प्रजनन के समय को लेकर बदलती प्राथमिकताएं, हार्मोनल असंतुलन आदि भी हो सकते हैं।

लेकिन आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्‍योंकि कुछ योगासन को अपने रूटीन में शामिल करके आप ब्रेस्‍ट कैंसर के खतरे को कम कर सकती हैं। इन योगासन के बारे में हमें योगा मास्टर, फिलांथ्रोपिस्ट, धार्मिक गुरू और लाइफस्टाइल कोच ग्रैंड मास्टर अक्षर जीबता रहे हैं।

योग आसन - अपनी सांसों पर जागरूकता के साथ निम्नलिखित आसनों का अभ्यास करें। धीरे-धीरे शरीर के संरेखण पर ध्यान दें और 15 सेकेंड तक पकड़ें।

शलभासन विविधता

Shalabhasana Variation

  • इसे करने के लिए हथेलियों को कंधों के नीचे रखकर पेट के बल लेट जाएं।
  • अपने पैरों को एक साथ और पैर की उंगलियों को बाहर की ओर रखें।
  • श्वास भरते हुए दाहिना हाथ ऊपर और बायां पैर पीछे की ओर उठाएं।
  • सिर और चेस्‍ट को ऊपर उठाते हुए उन्हें सीधा रखें।
  • सांस छोड़ते हुए अपने धड़ को नीचे लाएं और दूसरी तरफ से दोहराएं।
  • 10-15 सेकेंड के लिए मुद्रा में रहें।

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मार्जरी आसन विविधता

Marjariasana Variation

  • टेबलटॉप पोजीशन में, धीरे-धीरे श्वास लेते हुए दाहिने हाथ को कंधे की सीध में रखते हुए और फर्श के समानांतर ऊपर उठाएं।
  • इसके साथ ही अपने पीछे के विपरीत पैर को सीधा करते हुए उठाएं और इसे पेल्विक के साथ संरेखित करें।
  • गर्दन और सिर को आराम की पोजीशन में रखते हुए अपनी बाईं हथेली और दाहिने घुटने पर संतुलन रखें।
  • 10-15 सेकेंड के लिए मुद्रा में रहें, फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
  • दूसरे हाथ और उसके विपरीत पैर से दोहराएं।

अश्वसंचलन विविधता

Ashwasanchalan Variation

  • पैरों को आपस में मिलाकर खड़े होकर समस्ती में शुरुआत करें।
  • अपने कंधों को रिलैक्स रखें।
  • दाहिने पैर के साथ पीछे हटें और दाहिने घुटने को नीचे रखें।
  • यह सुनिश्चित करते हुए पीठ सीधी रखें कि आपका बायां घुटना और टखना 90° पर संरेखित हो।
  • अपनी हथेलियों को हृदय चक्र से मिलाएं और आगे की ओर देखें।
  • दूसरी तरफ से दोहराएं।

वशिष्ठासन

Vashishtasana

  • टेबल टॉप पोजीशन या मार्जरीआसन में, घुटनों को धीरे से फर्श से उठाएं।
  • उन्हें सीधा करके प्लैंक पोजीशन में आ जाएं।
  • अपनी बाईं हथेली पर संतुलन बनाते हुए अपने दाहिने ओर मुड़ें।
  • अपने दाहिने पैर को अपनी बाईं ओर ले आएं।
  • यदि संभव हो तो एड़ी और पैर की उंगलियों को संरेखित करें।
  • आप स्‍पोर्ट के लिए दाहिने पैर को अपनी बाईं जांघ के सामने रख सकते हैं।
  • 10-15 सेकेंड के लिए मुद्रा में रहें फिर सांस छोड़ें।
  • दूसरी तरफ से इस योग को दोहराएं।

तिर्यक भुजंगासन

Triyaka Bhujangasana

  • कंधों के नीचे हथेलियों के साथ पेट के बल लेटें।
  • अपने पैरों को लगभग 2 फीट की दूरी पर अलग रखें।
  • अपना सिर उठाते हुए श्वास लें, बाईं एड़ी पर अपने दाहिने कंधे को देखें।
  • अपने धड़ को नीचे लाते हुए सांस छोड़ें।
  • दूसरी तरफ दोहराएं।

योग और आध्यात्मिकता समग्र स्वास्थ्य और भलाई प्राप्त करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। नम्हो हिमालय और सिद्धोहम क्रिया जैसे योग मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्‍छे होते हैं। योग प्रथाओं में विभिन्न प्रकार की तकनीकें जैसे आसन, श्वास, ध्यान, मुद्रा, जप और बहुत कुछ शामिल हैं।

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योग को एक उपकरण के रूप में माना जा सकता है जिसे परिस्थितियों के अनुसार अनुकूलित किया जा सकता है। दर्द के किसी भी लक्षण को कम करने और रोग प्रबंधन और ठीक होने में मदद करने के लिए योग मुद्राएं एक सौम्य और प्रभावी तरीका हो सकते हैं। फिटनेस से जुड़ी ऐसी ही और एक्‍सपर्ट जानकारी के लिए हरजिंदगी से जुड़ी रहें।

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