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बेहद अलग होता है साउथ इंडियन मंगलसूत्र, जानें इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें

साउथ इंडियन मंगलसूत्र से जुड़ी परंपराएं और मंगलसूत्र की अनोखी डिजाइन के पीछे छिपे अनोखे तथ्‍यों को जानने के लिए पढ़ें ये आर्टिकल। 
Editorial
Updated:- 2022-07-05, 18:45 IST

भारत में शादीशुदा महिलाओं की सबसे बड़ी पहचान उनका सिंदूर और मंगलसूत्र होता है। जहां सिंदूर हर महिला एक ही तरह से मांग में लगाती है, वहीं मंगलसूत्र अलग-अलग राज्‍य में अलग-अलग नाम और डिजाइन में नजर आते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इनसे जुड़ी कुछ रोचक मान्यताएं हैं।

अपनी 'ज्वेलरी सिग्निफिकेंस एवं हिस्ट्री' सीरीज के अंतर्गत हम आपको पहले भी कई तरह के जेवरों के महत्व के बारे में बता चुके हैं। आज हम आपको साउथ इंडियन मंगलसूत्र से जुड़े कुछ बेहद रोचक तथ्यों के बारे में बताएंगे।

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significance history of south indian mangalsutra

साउथ इंडियन मंगलसूत्र को क्या कहते हैं?

अलग-अलग राज्यों में मंगलसूत्र को नए-नए नाम से जाना जाता है। साउथ इंडिया में केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में मंगलसूत्र का थाली, बुट्टू, मिन्नु आदि के नाम से जाना जाता है।

Mangalsutra Significance

साउथ इंडियन मंगलसूत्र का महत्व?

  • तमिलनाडु में मंगलसूत्र को थाली कहा जाता है और यह कई आकार प्रकार का आता है। अलग-अलग आकार-प्रकार के मंगलसूत्र का महत्व भी अलग-अलग होता है। यह दूल्हा और दुल्हन की कास्ट और सब कास्‍ट पर निर्भर करता है।
  • थाली को गोल्ड चेन या फिर मांजा कायरू (पीले धागे) के साथ पहना जाता है। इस मंगलसूत्र में जो पेंडेंट होता है, उसमें देवी मीनाक्षी, सुंदरेश्वर देव, तुलसी का पौधा और भगवान शिव की प्रतिमा बनी होती है।
  • इस मंगलसूत्र में भगवान की प्रतिमा के साथ-साथ गोल्ड का सिक्का, कोरल, बुट्टू आदि भी लगे होते हैं।
  • यह मंगलसूत्र 4 से 8 ग्राम का और 22 या 18 कैरेट गोल्ड का होता है। इतना ही नहीं, इस मंगलसूत्र में हल्दी की गांठ का भी प्रयोग किया जाता है, जिससे मंगलसूत्र में लगने वाली डोरी को रंगा जाता है।
  • इस मंगलसूत्र को दूल्हे के घरवाले दुल्‍हन के लिए लेकर आते हैं।
  • मंगलसूत्र पहनाने के लिए तमिलियन शादियों में एक अलग रस्म होती है। मंगलसूत्र पहनाते वक्त उसमें 3 गांठ भी बांधी जाती हैं।
  • शादी के कुछ वक्त बाद मंगलसूत्र से पीले धागे को हटाकर नल्लपुसलु यानि कि मंगलसूत्र की चेन को बदल दिया जाता है और धागे की जगह सोने की डिजाइनर चेन डाली जाती है।
  • मंगलसूत्र में लगे पेंडेंट में अलग-अलग भगवान की प्रतिमा भी अलग-अलग बात को दर्शाती है। जैसे भगवान शिव लिंगा की प्रतिमा फर्टिलिटी का प्रतीक होती है, तुलसी की प्रतिमा शुद्धता का प्रतीक मानी जाती है।

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South Indian Mangalsutra Designs

साउथ इंडियन मंगलसूत्र के डिजाइन

साउथ इंडियन मंगलसूत्र में काले मोतियों का प्रयोग नहीं होता है। पूरा मंगलसूत्र सोने की चेन और पेंडेंट से बना होता है। अगर इस मंगलसूत्र की डिजाइन की बात की जाए, तो यह टेंपल ज्वेलरी की तरह नजर आता है। इसमें कई तरह की चेन डिजाइंस आपको बाजार में मिल जाएंगी, जिन्हें आप थाली में लगा सकती हैं। थाली यानि पेंडेंट की भी ढेरों डिजाइंस बाजार में मिल जाएंगी। आप चाहें तो अपने हिसाब से इसे कस्टमाइज़ भी करा सकती हैं।

केवल साउथ इंडियन महिलाएं ही नहीं, बल्कि नॉर्थ इंडिया में भी मंगलसूत्र पहनने का बहुत महत्व है और यदि आप टेम्पल ज्वेलरी स्टाइल मंगलसूत्र तलाश रही हैं, तो आप मंगलसूत्र के पेंडेंट की जगह साउथ इंडियन थाली लगवा सकती हैं।

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