Interesting Facts: कहां से आया माथे पर सजने वाला मांग टीका, जानें रोचक तथ्‍य

मांग टीके को पहनने का शौक रखने वाली महिलाएं उससे जुड़ी ये रोचक बातें जानकर रह जाएंगी हैरान। 

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भारत में ज्‍वेलरी का रिवाज बहुत पुराना है। यदि इसके इतिहास पर बात की जाए तो सतयुग से ही महिलाएं और पुरुष आभूषण पहनते आ रहे हैं और आज के युग में भी आपको अनेक प्रकार के आभूषण मिल जाएंगे। इनमें से एक है मांग टीका जिसे महिलाएं माथे पर धारण करती हैं, तो अपने आप ही उनका रूप निखर आता है। वैसे तो हिंदू शास्‍त्रों में हर आभूषण से जुड़ा एक अलग ही तथ्‍य है, मगर मांग टीके शरीर के एक महत्‍वपूर्ण चक्र से जोड़ा गया है।

जी हां, हमारे शरीर में 6 चक्र होते हैं। मांग टीके को माथे पर पहना जाता है और यहां पर छठवें चक्र का घर होता है, जिसे अजना चक्र कहा जाता है। इसे आप तीसरी आंख कह सकते हैं। शास्‍त्रों में माना गया है कि माथे पर तीसरी आंख शिव और पार्वती के अर्धनारिश्‍वर स्‍वरूप को दर्शाती है। यह चक्र भी उसी स्‍थान पर होता है और मांग टीका भी यही पहना जाता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि जब एक महिला इस गहने को धारण करती है, तो यह उसके तीसरे नेत्र का काम करता है और उसे आत्‍मविश्‍वासी, विचारक और शक्तिशाली बनाता है।

वर्तमान समय में आपको बाजार में तरह-तरह की वैरायटी में मांग टीके मिल जाएंगे। मगर आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि आखिर मांग टीका आया कहां से और यह अब कितने स्‍वरूप बदल चुका है।

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भारतीय कलचर में मांग टीका

सुहागनों के सोलह श्रृंगार का यह एक महत्‍वपुर्ण हिस्‍सा है। मांगटीके को सुहगन होने की निशानी माना गया है। यह मांग टीका आपको कई आकार-प्रकार में मिल जाएगा। राजस्‍थानियों में इस बोड़ला कहा जाता है और गुजरातियों में मांग पट्टी। उत्‍तर भारत में इसे मांग बेंदी के नाम से जाना जाता है। पहले के समय में तो केवल एक पतले से सोने या चांदी के तार में एक बड़ी सी सिक्‍के नुमा बेंदी लटकी होती थी। मगर अब आपको यह लड़ों में नजर आ जाएगा।

मांग टीके की बनावट

मांग टीके की बनावट में भी पहले से काफी अंतर आ चुका है। पहले यह साधारण सा दिखता था, मगर अब आपको बाजार में यह भारीभरकम काम में मिल जाएगा। मोती, सोने, चांदी और कुंदन के अलावा, अब आपको मांग टीके में पन्‍ना, हरा, रूबी आदि भी दिख जाएंगे। आपको फुल पट्टी और हाफ् पट्टी में भी यह मांग टीका मिल जाएगा। अब तो इसे ट्रेडिशनल की जगह फैशन ज्‍वेलरी मी काउंट किया जाने लगा है। यदि डिजाइन की बात करें तो अब आपको इसमें कंटेम्‍प्रेरी और टेम्‍पल ज्‍वेलरी मिल जाएगी।

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मांग टीके का महत्‍व

एक समय था जब नथ को सबसे ज्‍यादा ट्रेडिशनल माना जाता था और शादी-विवाह के अवसरों पर इसे पहने बिना रस्‍म को अधूरा माना जाता था। मगर अब आप देखेंगे कि नथ का फैशन लगभग आउट हो चुका ह और अब तो दुल्‍हनें बिना नथ के ही बेहद खूबसूरत नजर आती हैं, बस मांग टीके की डिजाइन बेहतरीन होनी चाहिए। अब तो मांग टीके को कई माहिलाएं माथे के संटर में पहनने की जगह पर पाशे की तरह या फिर अन्‍य तरह कसे सेंटिंग करके पहनती हैं। मगर शास्‍त्रों के मुताबिक यह तरीका सही नहीं है।

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