आजकल के बच्चे दिन भर कंप्यूटर के आगे बैठे रहते हैं या मोबाइल हाथ में लिए रहते हैं। दो साल के बच्चे को भी मोबाइल में गेम खेलने आता है। मां-बाप बच्चे को शांत से बैठने के लिए मोबाइल पकड़ा देते हैं जबकि ये धीरे-धीरे बच्चों के लिए लत बनते जाती है। इस लत के कारण बच्चे चिड़चिड़े बनते जाते हैं और कई बार तो अंत में सुसाइड भी कर लेते हैं।
ब्लू व्हेल चैलेंज
पिछले साल ब्लू व्हेल चैलेंज के कारण बहुत से बच्चों के सुसाइड करने की खबरें आईं थीं। Blue whale challenge एक गेम है जो चालिस दिन तक लगातार खेला जाता है। इसमें हर दिन बच्चे को कुछ ना कुछ चैलेंज दिए जाते हैं जिन्हें पूरा करने के लिए बच्चों को एक समय दिया जाता है। चालीसवें दिन बच्चों को सुसाइड करने का चैलेंज दिया जाता है जिसके कारण कई बच्चे पूरी दुनिया में सोसाइड कर चुके हैं।
यह चैलेंज गेम भारत समेत कई देशों में बैन है।
कैंडी क्रश
2014 के आसपास कैंडी क्रश का चलन काफी देखा गया था जो कि अब भी देखने को मिल जाता है। इसे बड़े भी खेलते हैं। इस खेल की खासियत है कि ये गेम काफी कलरफुल है जिसके कारण बच्चे इस गेम की तरफ काफी अट्रेक्ट होते हैं। ऐसे में एक बार खेलने के चक्कर में बच्चों में कब इस खेल की लत पड़ जाती है ये खुद उन्हें भी मालूम नहीं चलता।
टेक की लत
Mobile और कंप्यूटर में बच्चे ज्यादातर गेम ही खेलते हैं। खेलते-खेलते उन्हें कब इन टेक्स की आदत लग जाती है उन्हें खुद भी नहीं पता चलता और ना ही माता-पिता को। इसका पता तब चलता है जब बच्चे चिड़चिड़े होना शुरू होते हैं।
बच्चों में टेक की लत काफी बढ़ गई है। मां-बाप और साइक्लॉजिस्ट भी इसका इलाज नहीं निकाल पा रहे हैं। बच्चे ऑनलाइन गेम खेलने के कारण ऑफलाइन गेम और दोस्तों के साथ गेम खेलना भूल गए हैं। ऐसे में कई सारी बीमारियां उन्हें घेर रही हैं।
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'ट्रुथ अबाउट टेक' (Truth About Tech)
बच्चों में बढ़ते टेक की लत को कम करने के लिए गूगल के पुराने कर्मचारियों ने एक अभियान चलाया है जो बच्चों में टेक की लत को कम करने में मदद करेगा। बच्चों को टेक्नोलॉजी की लत से बचाने के लिए फेसबुक और गूगल के पुराने कर्मचारी 'ट्रुथ अबाउट टेक' अभियान शुरू किया है। बच्चों के लिए काम करने वाली अमेरिकी संस्था 'कॉमन सेंस' भी इसमें उनकी मदद कर रही है। यह अभियान टेक वर्ल्ड को ऐसे प्रोडक्ट बनाने के लिए प्रेशराइज़ करेगा जिससे कि बच्चों को उनकी लत ना लगे।
अभी तो फिलहाल इस अभियान को शुरू किया गया है। देखना ये है कि ये कितना सफल होता है। अगर ये सफल होता है तो हर किसी के लिए ये सबसे बड़ी खुशखबरी होगी और आने वाली पीढ़ी बर्बाद होने से बच जाएगी।
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