ये ऑफ बीट कोर्सेज कर आप कर सकती हैं लाखों की कमाई

अगर आप लीक से हटकर नई तरह के पेशे में अपना करियर बनाना चाहती हैं तो आप करियर एक्सपर्ट के सुझाए कुछ अच्छे ऑफ बीट कोर्सेस में दाखिला ले सकती हैं। 

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अगर आप रेगुलर कोर्सेस से हटकर अलग तरह का करियर बनाने में दिलचस्पी रखती हैं तो कुछ ऑफ बीट कोर्सेज में आप दाखिला ले सकती हैं। ऑफबीट कोर्सेस में इतने विकल्प उपलब्ध हैं कि इन्हें देखते हुए आप आसानी से अपना मनचाहा विषय चुनकर उसमें अपना करियर बना सकती हैं। हमने बात की करियर काउंसलर यशोधरा अरोड़ा से और उन्होंने हमें कुछ अच्छे सर्टिफिकेट/डिप्लोमा कोर्सेज और उनमें रोजगार की संभावनाओं के बारे में बताया-

डिप्लोमा इन बिजनेस कोर्सेज

बिजनेस जर्नलिज्म एंड कॉरपोरेट कम्युनिकेशन, पीजी डिप्लोमा इन इंटरनेशनल मार्केटिंग, ग्लोबल बिजनेस ऑपरेशन्स जैसे कोर्सेज देश-विदेश में चल रही बिजनेस गतिविधियों और उसमें आने वाले नए परिवर्तनों से रू-ब-रू कराते हैं। आप चाहें तो बिजनेस में स्पेशलाइजेशन कर सकती हैं या फिर बिजनेस जर्नलिज्म में करियर तलाश सकती हैं। एन्टरप्रिन्योरशिप, एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट, बिजनेस पॉलिसी आदि बनाने से जुड़े कई अहम काम इसके अंतर्गत आते हैं। इन कोर्सेज में भारत में बिजनेस का माहौल, देश की वित्तीय व्यवस्था, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, साइबर जर्नलिज्म, पीआर और कॉरपोरेट कम्युनिकेशन, एडवर्टाइजिंग, मार्केटिंग, वैश्विक सूचनातंत्र जैसे विषयों की जानकारी दी जाती है।

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फॉरेन लैंग्वेज में बेहतरीन करियर

डीयू में पंजाबी, संस्कृत जैसी लोकभाषाओं में डिप्लोमा कर सकती हैं। फॉरेन लैंग्वेजेज़ में डिप्लोमा के ढेर सारे विकल्प उपलब्ध हैं। मसलन क्रोएशियाई, फ्रेंच, हंगेरियन, अरबी, पोलिश, सर्बियाई, स्पेनिश, चेक, बुल्गारियाई, पर्शियाई, इतालवी, रूसी, जर्मन जैसी विदेशी भाषाओं में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स उपलब्ध हैं। वैश्वीकरण के इस दौर में कंपनियां विदेशों में व्यवसाय बढ़ा रही हैं। कड़ी प्रतियोगिता के दौर में योग्यता बढ़ाना समझदारी भरा कदम है और इसकी यूटिलिटी भी है।

काउंसलिंग एंड गाइडेंस का बढ़ता दायरा

चाहे करियर हो या रिश्ता, जिंदगी के अलग-अलग पड़ावों पर हम पारिवारिक, सामाजिक या भावात्मक मुश्किलों से गुजरते ही हैं। कई बार ये मुश्किलें इतनी बढ़ जाती हैं कि इन्हें सुलझाने के लिए सलाहकार की जरूरत पड़ती है। पारिवारिक समस्या, घरेलू हिंसा, डिप्रेशन, ड्रग्स की लत, तनाव जैसी परेशानियां दूर करने में सलाहकार अहम भूमिका निभाते हैं। काउंसलिंग एंड गाइडेंस में डिप्लोमा करने के बाद आप मैरिज काउंसलिंग एजेंसियों, वृद्धाश्रम, जनकल्याण विभाग, काउंसलिंग सेंटर, स्कूल, कॉलेज आदि में संभावनाएं तलाश सकती हैं या फिर स्वतंत्र रूप से अपना काम भी शुरू कर सकती हैं।

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ट्रेवल एंड टूरिज्म में हैं ढेरों संभावनाएं

पर्यटन के बढ़ते बाजार को देखते हुए इस क्षेत्र में रोजगार की अच्छी संभावनाएं हैं। यह कोर्स करने के बाद हॉलीडे रिप्रजेंटेटिव, मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव, टूरिस्ट इन्फॉर्मेशन सेंटर मैनेजर, टूर मैनेजर,ट्रेवल एजेंसी मैनेजर, कस्टमर सर्विस मैनेजर, टूरिज्म ऑफिसर, ईवेंट ऑर्गनाइजर की जॉब पा सकते हैं। इस कोर्स में टूरिज्म इंडस्ट्री और इसकी परिधि में आने वाले विषयों जैसे टूर ऑपरेटर्स, एयरलाइन्स, होटल, टूरिस्ट बोड्र्स आदि की जानकारी दी जाती है। ट्रैवल एंड टूरिज्म का कोर्स करने के बाद होटल मैनेजमैंट का स्पेशलाइज्ड कोर्स भी किया जा सकता है।

क्वालिटी कंट्रोल एंड फूड सेफ्टी साइंस

यह कोर्स करके फूड टेक्नोलॉजी साइंटिस्ट या फिर फूड सेफ्टी एंड क्वालिटी मैनेजर की जॉब की संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं। तकरीबन सभी बड़े होटलों में फूड एंड क्वालिटी मैनेजरों की भर्ती की जाती है। ताज और ओबेरॉय जैसे होटलों में दिन के बचे हुए खाने के निस्तारण का काम भी क्वालिटी मैनेजरों की देखरेख में होता है।

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वीमेंस डेवलपमेंट स्टडीज

महिलाओं की भूमिका को रेखांकित करने वाले इस कोर्स में दाखिला लेने पर आपके पास रोजगार के कई विकल्प खुल जाते हैं। इसके जरिये सरकारी जनकल्याण विभाग, मानवाधिकार आयोग, गैर-सरकारी संगठन, लोक प्रशासन, स्वास्थ्य सेवा, वर्कप्लेस कंडीशन, पर्सनल रिलेशन्स, पब्लिक रिलेशन्स आदि के क्षेत्र में आप जा सकते हैं। इसके अलावा आप पॉलिसी एनालिस्ट या कंसल्टेंट बन सकते हैं, रिसर्च कर सकते हैं या फिर टीचिंग के क्षेत्र में जा सकते हैं। साइकोलॉजी या सोशल वर्क में डिग्री हासिल करने वाली महिलाएं इस कोर्स को करके सरकारी संस्थाओं, जनकल्याण विभाग, स्कूल, कॉलेज आदि में थेरेपिस्ट का काम कर सकती हैं।

हेल्थ एंड सोशल जीरन्टोलॉजी

बुढ़ापे में तमाम तरह की मुश्किलें बढ़ जाती हैं। इस कोर्स में इन समस्याओं और उनसे जुड़े निदानों के बारे में पढ़ाया जाता है। हेल्थ एंड सोशल जीरन्टोलॉजी में कोर्स करने के बाद रिसर्च वर्क किया जा सकता है। हमारे देश की तुलना में पश्चिमी देशों में बुजुर्गों की देखभाल की बेहतर व्यवस्था है। इसके मद्देनजर समाज शास्त्र, मनोविज्ञान जैसे विषयों में डिग्री हासिल कर चुकी महिलाएं यह कोर्स करने पर विदेशों में भी रोजगार तलाश सकते हैं।

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