सिम पोर्ट कराने का मतलब है कि आप अपना मौजूदा मोबाइल नंबर बदले बिना एक टेलीकॉम ऑपरेटर से दूसरे ऑपरेटर में बदल सकते हैं। यह सुविधा मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) के तहत प्रदान की जाती है। यहां कुछ जरूरी बातें हैं, जो सिम पोर्ट कराने से पहले ध्यान में रखनी चाहिए।
सिम पोर्ट क्यों जरूरी होती है?
बेहतर नेटवर्क और सर्विस के लिए, अगर आप किसी खास क्षेत्र में अपने वर्तमान ऑपरेटर के नेटवर्क से संतुष्ट नहीं हैं, तो आप सिम पोर्ट करके ऐसे ऑपरेटर का चुनाव कर सकते हैं, जो उस क्षेत्र में बेहतर कवरेज और सेवाएं प्रदान करता हो। आप कम टैरिफ और बेहतर ऑफर पाने के लिए भी अपनी सिम पोर्ट करा सकते हैं। वहीं, अगर आप अपने वर्तमान ऑपरेटर की ग्राहक सेवा से संतुष्ट नहीं हैं, तो आप सिम पोर्ट करके ऐसे ऑपरेटर का चुनाव कर सकते हैं, जो बेहतर कस्टमर सर्विस प्रदान करता हो।
सिम पोर्ट कैसे करें?
सिम पोर्ट करने की प्रक्रिया सरल है। अपने नए ऑपरेटर का चयन करें यानी अपनी जरूरत और बजट के मुताबिक नया ऑपरेटर चुनें। अपने नए ऑपरेटर से कांटेक्ट करें और पोर्टिंग के लिए रिक्वेस्ट करें। इसके लिए आपको अपना आधार कार्ड और पहचान पत्र की जमा करनी होगी। ज्यादातर ऑपरेटर पोर्टिंग के लिए फीस लेते हैं। भुगतान करने की विधि ऑपरेटर के हिसाब से अलग हो सकती है। एक बार जब आपका नया सिम एक्टिव हो जाए, तो आप अपने पुराने सिम को इनएक्टिव कर सकते हैं।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) के मुताबिक एसएमएस भेज कर सिम पोर्ट करें। सबसे पहले, अपने मौजूदा सिम से मैसेज एप्लिकेशन खोलें। फिर 'PORT' लिखकर स्पेस दें और अपना मोबाइल नंबर टाइप करें। उदाहरण: PORT 9000000000 इस मैसेज को 1900 पर भेज दें। एसएमएस भेजने के बाद, आपको अपने वर्तमान मोबाइल ऑपरेटर से एक 8 अंकों का यूनिक पोर्टिंग कोड (UPC) हासिल होगा। यह कोड चार दिनों के लिए वैध होता है। जम्मू और कश्मीर, उत्तर पूर्व और असम में यह 30 दिनों के लिए मान्य होता है। पोर्टिंग प्रक्रिया में आमतौर पर 3 से 7 वर्किंग डे लगते हैं। इस दौरान आपको 2 से 4 घंटे के लिए नेटवर्क सर्विस में व्यवधान का सामना करना पड़ सकता है।
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सिम पोर्ट करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
- पोर्टिंग प्रक्रिया में आमतौर पर 24-48 घंटे लगते हैं।
- पोर्टिंग प्रक्रिया के दौरान, आपका पुराना सिम कुछ समय के लिए काम नहीं करेगा।
- सभी ऑपरेटर MNP का समर्थन नहीं करते हैं।
- अलग-अलग ऑपरेटरों के पोर्टिंग फीस भिन्न हो सकते हैं।
- ग्राहक ने समय पर बिल का भुगतान नहीं किया है, तो पुराना ऑपरेटर पोर्टिंग अनुरोध को स्वीकार नहीं कर सकता है।
- पुराने ऑपरेटर का कम से कम 90 दिनों तक उपयोग न करना
- आपराधिक मामला दर्ज होना
- नए ऑपरेटर की सेवा उपलब्ध न होना
- मोबाइल नंबर किसी फर्म या संस्था के नाम पर रजिस्टर्ड होना
- ग्राहक द्वारा प्रदान की गई यूपीसी पुराने सिम कार्ड से मैच न करना
- ध्यान रखें कि आपका पुराना सिम कार्ड एक्टिव है और उसमें सफिशिएंट बैलेंस है।
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सिम पोर्ट करते समय
- अपने पुराने फोन को बंद न करें।
- अपने नए सिम कार्ड को अपने फोन में डालें।
- अपने नए ऑपरेटर द्वारा भेजे गए निर्देशों का पालन करें।
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