आज भी बहुत से लोग लड़कियों को टीचर और बेकिंग जैसी नौकरी करने की सलाह देते हैं। ऐसी सारी रूढ़ियों को तोड़ती हैं नंदनी। नंदिनी मूल रूप से मछलीपट्टनम आंध्र प्रदेश की रहने वाली हैं। उन्होंने स्कूली शिक्षा के बाद आईआईटी भुवनेश्वर में एडमिशन लिया। कंप्यूटर और इंजिनियरिंग में बी टेक करने के बाद उन्हें डी.ई शॉ इंडिया कंपनी ने 55 लाख का पैकेज का ऑफर किया। आइए जानते हैं उन्होंने बी टेक के दौरान किन मुश्किलों का सामना किया और सफलता कैसे हासिल की।
नंदिनी मूल रूप से मछलीपट्टनम आंध्र प्रदेश की रहने वाली हैं। नंदनी के पिता किराने की दुकान चलाते थे, जिनका कोविड के कारण निधन हो गया। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मछलीपट्टनम में स्थित डॉ. केकेआर गौतम स्कूल से पूरी की है। 11वीं और 12वीं कक्षा की पढ़ाई नंदिनी ने विजयवाड़ा में श्री चैतन्य रमन भवन से की है।
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नंदिनी ने कहा, "आईआईटी भुवनेश्वर का मेरा सफर काफी खास रहा। बहुत कुछ सिखने के लिए मिला। सामाजिक-सांस्कृतिक दोनों पहलूओं पर मैंने काम किया। इसमें पढ़ाई के साथ-साथ डांस, संगीत, कला, और तकनीकी समाज जैसे न्यूरोमैंसर, वेबडिजाइन आदि शामिल हैं।"
नंदिनी कहती हैं, "बीटेक के दौरान स्टूडेंट्स के सामने सबसे बड़ी बाधा बैलेंस से जुड़ी आती है। पढ़ाई और पाठ्येतर गतिविधियों के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो जाता है। मैंने अपने पहले वर्ष में कोडिंग शुरू कर दी थी। प्रारंभ में, यह थोड़ा चुनौतीपूर्ण था। हालांकि, मैं लगातार अभ्यास करती रही। जब मैं कोई नई समस्या देखती थी तो मुझे तर्क नहीं मिल पाता था। लेकिन धीरे-धीरे काफी सारी समस्याओं का समाधान करने के बाद स्किल्स में काफी काफी सुधार हुआ।"
नंदिनी ने को कॉलेज में शीर्ष कंपनियों द्वारा चलाए जा रहे मेंटरशिप कार्यक्रम में हिस्सा लेने का मौका नहीं मिला, लेकिन उन्होंने अपने लक्ष्यों को हासिल करने का प्रयास जारी रखा। उन्होंने बताया कि बहुत सी कपंनी सिलेंक्ट ना होने पर मेल भी नहीं भेजती हैं जिससे स्टूडेंट्स को बहुत निराशा होती है। नंदनी कहती हैं कि इन सभी कारणों से भरोसा कम होने लग जाता है।
नंदनी बताती हैं कि कोडिंग के अलावा प्रोजेक्ट्स का होना बहुत जरूरी है। एमएल, वेब डेवलपमेंट, एंड्रॉइड डेव आदि जैसे कई रास्ते हैं। उन्होंने कहा ,"शुरुआत में स्टूडेंट्स को सभी रास्तों में अपना हाथ ट्राई करना चाहिए। इसके बाद उन्हें किस कार्य को करने में मजा आ रहा है, उसमें अपना करियर बनाना चाहिए। मैंने मॉक इंटरव्यू का अभ्यास किया। अन्य आईआईटी के अपने दोस्तों से उनके साक्षात्कार के अनुभवों, परीक्षा पैटर्न के बारे में पूछा जिससे मुझे तैयारी में बहुत मदद मिली।"
नंदनी रहती हैं, "मैं दूसरी कंपनी के लिए एचआर इंटरव्यू दे रही थी। अचानक मेरा मोबाइल वाइब्रेट होने लगा। जब मेरे परिवार ने यह खबर सुनी तो वे बहुत खुश हुए। उन्हें सचमुच मुझ पर गर्व था। इंटरव्यू के बाद मैंने अपना मोबाइल चेक किया तो मेरा फोन बधाई संदेशों से भरा हुआ था। मेरा मकसदमाता-पिता को गौरवान्वित महसूस कराना है। मैं आभारी हूं कि मैं ऐसा कर सकी।
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Photo Credit: HerZindagi
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