मैनेजमेंट की फील्ड में करियर बनाने की इच्छा रखने वाले बच्चों का सबसे बड़ा सपना होता है कि कैट (कॉमन ऐडमिशन टेस्ट) के एग्जाम में अच्छा कट ऑफ आ जाए ताकि मन चाहे कॉलेज में उन्हें एडमिशन मिल जाए। इसके लिए साल भर बच्चे कोचिंग में महनत करते हैं मगर फिर भी अच्छे कटऑफ वही बच्चे ला पाते हैं जो स्मार्ट पढ़ाई करते हैं। ऐसी ही स्मार्ट तैयारी इस वर्ष दिल्ली के झंडेवालान इलाके की रहने वाली छवि गुप्ता ने की थी। छवि को इस तैयारी का नतीजा भी मिला और कैट- 2017 में 100 पर्सेंटाइल ला वह देश के टॉप 20 टॉपर्स में से एक बन गईं। खास बात तो यह है कि जहां बच्चे कैट की तैयारी करने के लिए स्कूल टाइम से ही कोचिंग ज्वाइन कर लेते हैं वहीं छवि ने नौकरी करते हुए इस एग्जाम की तैयारी करी और सफलता भी हासिल की। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए छवि ने किस तरह से स्मार्ट प्रिपरेशन की इस बारे में पूछने पर उनहोने बताया, ' अगर मन लगा कर और डिटरमिनेशन के साथ किसी भी चीज को हसिल करने के लिए सोचा जाए तो उसमें 100 प्रतिशत सफलता मिलती ही है। मैं भी 7-8 महिने सब कुछ भूल कर केवल एक ही जगह फोकस सेट कर रही। मुझे कैट केवल क्रैक नहीं करना था बल्कि अच्छे पर्सेंटाइल भी लाने थे। मैंने यही सोच कर एग्जाम की तैयारी की थी।'
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छवि बताती हैं, ' मैं पेशे से इंजीनियर हूं और पढ़ना मुझे बचपन से ही बहुत अच्छा लगता है। मैंने पिछले वर्ष के रिजल्ट देखें तो टॉप 20 की लिस्ट में एक भी लड़की का नाम नहीं था। मगर सारे टॉपर्स इंजीनियर थे। तब ही मैने तय कर लिया था कि अगली बार ऐसा नहीं होगा। टॉपर्स की लिस्ट में लड़की का नाम भी आएगा और वो नाम मेरा होगा। ' हुआ भी ऐसा ही। इस वर्ष के टॉपर्स में टॉप-20 की लिस्ट में दो लड़कियों ने जगह बनाई और कुछ टॉपर्स तो नॉन-इंजीनियरिंग बैकग्राउंड्स के भी थे। एग्जाम के लिए अपनी स्पेशल तैयारी के बारे में छवि बताती हैं, ' जब मैंने सोचा कि मुझे एग्जाम देना है तब मैं एक अच्छी टेक कंपनी में जॉब कर रही थी। मैं जॉब नहीं छोड़ना चाहती थी। क्योंकि मैं पढ़ाई को कभी भी प्रेशर की तरह लेकर नहीं करती। मुझे पढ़ना फन लगता है। इसलिए नौकरी तो मैने नहीं छोड़ी मगर घर आकर मैं जम कर पढ़ती थी। ' छवि ने इसके लिए कोई कोचिंग भी नहीं ज्वॉइन की बल्कि अपने पास मौजूद किताबोंसे ही पढ़ाई की और मात्र 7-8 महीनों की मेहनत में यह मुकाम हासिल किया और वह भी अपने पहले ही प्रयास में।
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कैट का रिजल्ट आने पर जब छवि की 100 पर्सेंटाइल आई तो वह सरप्राइज़ रह गईं। छवि कहती हैं, मेरा पेपर काफी अच्छा हुआ था इसलिए यह तो मुझे पता था कि मेरी पर्सेंटाइल बहुत अच्छी आएगी। मुझे 99.9 पर्सेंटाइल की उम्मीद थी। 100 पर्सेंटाइल आने पर मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि मैं इतना अच्छा स्कोर कर सकती हूं। मगर टॉपर्स की लिस्ट में उनके साथ बस एक ही लड़की का नाम शामिल था। इस बात ने उन्हें काफी उदास कर दिया। वह कहती हैं, ' लड़कियां आज अगर कहीं से भी पीछे हैं तो मैं उसका दोषी लड़कियों को नहीं बल्कि समाज को मानती हूं। समाज ही लड़कियों को आगे नहीं बढ़ने देता। कुछ घरों में लड़कियों को ज्यादा पढ़ाया तक नहीं जाता क्योंकि लोगों का मानना है कि जब शादी करके लड़की को विदा ही करना है तो पैसे लड़की की पढ़ाई पर खर्च करने की जगह उसकी शादी में लगा देने चाहिए। इस मानसिकता की वजह से ही लड़कियां आगे नहीं बढ़ पाती। '
इस बड़ी सफलता के बाद अब छवि आईआईएम-अहमदाबाद में दाखिला लेना चाहती हैं। मगर आईआईएम की सभी ब्रांचों में पहले साल का कोर्स एक जैसा ही होता है और दूसरे साल में स्टूडेंट्स को स्पेशलाइजेशन की स्ट्रीम चुननी होती है। छवि कहती हैं कि अभी उन्होंने इस संबंध में कोई फ़ैसला लिया नहीं लिया है। बचपन से ही पढ़ाई में टॉपर रही हैं। सोच समझ कर फैसला लेने वालों में हैं। वह जल्दबाजी में कोई डिसीजन नहीं लेतीं। छवि बताती हैं, सीबीएसई बोर्ड से पढ़ीं छवि ने 10वीं में 91.2% और 12वीं में 94.4% अंक हासिल किए थे। मगर इन सबके लिए महन और फोकस की जरूरत होती है।
आपको बता दें कि छवि ने दिल्ली आईआईटी से बायोटेक्नॉलजी में इंजीनियिंग की डिग्री ली है। कॉलेज से ही उनका प्लेसमेंट हुआ। वह बताती हैं, हफ़्ते में 5 दिनों तक ऑफ़िस की वजह से वह सिर्फ वीकैंड पर ही अपनी तैयारी को ठीक तरह से वक़्त दे पाती थीं। मगर फिर भी छवि मानती हैं कि अगर उचित ढंग से फ़ोकस किया जाए तो तैयारी के लिए इतना समय पर्याप्त है।
छवि अगले कैट एग्जाम की तैयारी कर रहे बच्चों को सलाह देती हैं कि मॉक टेस्ट जरूर दें। छवि ने तैयारी के पहले दिन से ही मॉक टेस्ट पर फ़ोकस किया। अगर आज वह सफल हो पाई हैं तो इसके पीछे मॉक टेस्ट की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। छवि कहती हैं कि मॉक टेस्ट आपके अंदर के डर को खत्म करता है और आप को कॉनफीडेंट बनाता है। इतना ही नहीं छवि कभी भी पढ़ाई का खुद पर दबाव नहीं बनने देती थीं। वह बताती हैं, जब मुझे पढ़ते-पढ़ते थोड़ी भी बोरियत होती थी तो मैं नॉवेल और फिल्म देख लिया करती थी। वह कहती हैं पेशेंस और फोकस के साथ एग्जाम देने से सफलता जरूर मिलती है।
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