NCERT ने किया ये बड़ा बदलाव.. अब हड़प्पा सभ्यता को कुछ और नाम से जानेंगे छात्र, जानिए यहां

NCERT ने किताब में एक बड़ा बदलाव किया है। इसके तहत छठी कक्षा के सामाजिक विज्ञान के किताब में हड़प्पा सभ्यता को सिंधु-सरस्वती सभ्यता का नाम दिया गया है।

Greenwich Mean Time in class  book

एनसीईआरटी ने छठी कक्षा की पाठ्यपुस्तक में बड़ा संशोधन किया है। इसके तहत अब इसमें उज्जैन को ग्रीनविच से पहले की मध्य रेखा के रूप में शामिल किया गया है। वहीं, नई किताब में जाति शब्द का सिर्फ एक बार जिक्र किया गया है। जाति आधारित भेदभाव और असमानता का भी कोई जिक्र नहीं किया गया है। यही नहीं, बीआर आंबेडकर से जुड़े जाति आधारित भेदभाव के सेक्शन को भी किताब से हटा दिया गया है। इस किताब में हड़प्पा सभ्यता को अब सिंधु-सरस्वती सभ्यता का नाम दिया गया है। हम कह सकते हैं कि एनसीआरटी ने सरस्वती नदी पर ध्यान केंद्रित किया है। इसके अलावा, वेदों का भी विवरण दिया गया है।

नई पुस्तक में पिछली चार अध्यायों को हटाया

पुरानी किताब में इस बात की जिक्र थी कि पुजारियों ने लोगों को चार समूह में बांटा था, जिसे वर्ण व्यवस्था कहा जाता था। इन नियम के अनुसार, महिलाओं और शूद्रों को वैदिक अध्ययन की अनुमति नहीं। उस समय महिलाओं को भी शूद्रों के कैटेगरी में रखा जाता था। जानकारी के लिए बता दें, छठी कक्षा के इस नए पाठ्यक्रम में एनसीईआरटी ऐसे जातिवाद और छुआछूत जैसे नियमों को हटा दिया है।

ncert book syllabus

एनसीईआरटी निदेशक दिनेश सकलानी ने बताया कि नई पुस्तक में पिछली पाठ्यपुस्तक के चार अध्यायों को हटा दिया गया है, जिनमें अशोक व चंद्रगुप्त मौर्य के राज्यों, चाणक्य की भूमिका और उनके अर्थशास्त्र, गुप्त-पल्लव व चालुक्य राजवंशों और कालिदास के कार्य आदि शामिल थे। इसके अलावा, नए पुस्तक में लौह स्तम्भ, सांची स्तूप, महालीपुरम के मंदिरों और अजंता की गुफाओं के चित्रों का भी कहीं जिक्र नहीं है।

इसे भी पढ़ें-इन स्टडी हैक्स को करेंगे फॉलो, तो पढ़ने में नहीं होगी कोई परेशानी

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 के तहत बदली किताब

नसीईआरटी की छठी कक्षा की पुस्तक में किताब में बच्चों को यह पढ़ाया जाएगा कि भारत की भी अपनी एक प्रधान मध्याह् रेखा थी, जिसे उज्जैनी प्रधान मध्याह् रेखा कहा जाता था। जानकारी के लिए बता दें कि यह पुस्तक राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 के तहत तैयार की गई है। अब तक की यह पहली ऐसी सामाजिक विज्ञान की पुस्तक है जिसे मौजूदा शैक्षणिक सत्र से स्कूलों में पढ़ाया जाने वाला है। पहले सामाजिक विज्ञान के लिए इतिहास, राजनीति विज्ञान और भूगोल के लिए अलग-अलग पाठ्यपुस्तकें थी। अब सामाजिक विज्ञान के लिए एक ही पाठ्य पुस्तक होंगे, जो कि पांच खंडों में विभाजित किया रहेगा। पुरानी इतिहास के किताब में सरस्वती नदी का जिक्र सिर्फ एक बार ऋग्गवेद के एक खंड में किया गया था, लेकिन नए पाठ्यक्रम में सरस्वती नदी का कई बार जिक्र देखने को मिलेगा।

इसे भी पढ़ें-बच्चों की पढ़ाई सुधारने में ये टिप्स आएंगे काम

इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय भी आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही,अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हर जिन्दगी के साथ

आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है! हमारे इस रीडर सर्वे को भरने के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें। इससे हमें आपकी प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। यहां क्लिक करें

Image Credit- Herzindagi

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP