ओटीपी स्कैम में, फ्रॉड करने वाले किसी अनजान व्यक्ति से बात करते समय आपके फ़ोन पर एक ओटीपी भेजते हैं। फिर, वे ओटीपी देखकर ऐसा दिखाते हैं कि सामने वाला व्यक्ति पूछ रहा है कि आप कितने बजे पहुंचे। उदाहरण के लिए, अगर सामने वाला व्यक्ति पूछता है कि आप कितने बजे पहुंचे और ओटीपी 1055 है, तो बात करने वाला व्यक्ति कहेगा 10 बजकर 55 मिनट पर। इस तरह, ओटीपी शेयर हो जाता है और आपका बैंक अकाउंट खाली हो सकता है।
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सरकार ने ओटीपी के जरिए होने वाले फ्रॉड को रोकने के लिए एक अलर्ट सिस्टम तैयार करने का विचार किया है। इस प्रणाली में, अगर कोई जालसाज धोखे से ग्राहकों की ओटीपी हासिल कर लेता है, तो इसकी चेतावनी उस व्यक्ति को चली जाएगी और ठगी को रोका जा सकेगा। ओटीपी का मतलब है वन टाइम पासवर्ड। यह एक अस्थायी, सुरक्षित पिन-कोड होता है, जो आपको एसएमएस या ईमेल के जरिए भेजा जाता है। यह केवल एक सत्र के लिए वैध होता है। ऑनलाइन शॉपिंग से लेकर ट्रांजैक्शन करने जैसी हर एक्टिविटी के लिए ओटीपी भरना होता है। जब आप ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करते हैं।
ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) एक अत्यंत गोपनीय कोड होता है। इसे एक बार इस्तेमाल करने के बाद दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। अगर आप अपना ओटीपी किसी के साथ साझा करते हैं, तो आप अनिवार्य रूप से उन्हें अपनी ऑनलाइन पहचान तक पहुंच प्रदान करते हैं। हैकर्स इस जानकारी का इस्तेमाल आपके अकाउंट में लॉग-इन करने के लिए कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पहचान की चोरी, धोखाधड़ी और वित्तीय नुकसान हो सकता है।
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अगर आप किसी को अपना ओटीपी देते हैं, तो आप उन्हें अपनी ऑनलाइन पहचान तक पहुंच प्रदान करते हैं। हैकर्स इस जानकारी का इस्तेमाल आपके अकाउंट में लॉग-इन करने के लिए कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पहचान की चोरी, धोखाधड़ी और वित्तीय नुकसान हो सकता है।
ओटीपी एक सिक्योरिटी कोड होता है, जो ज्यादातर 6 से लेकर 8 अंकों का होता है। ऑनलाइन शॉपिंग से लेकर ट्रांजैक्शन करने जैसी हर एक्टिविटी के लिए ओटीपी भरना होता है। जब आप ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करते हैं, तो उसे पूरा करने के लिए आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आता है। ओटीपी भरने के बाद ही आपका ट्रांजैक्शन पूरा होता है। इसे एक बार इस्तेमाल करने के बाद दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा इसकी एक वैलिडिटी होती है जिसके खत्म होते ही ये ऑटोमेटिक एक्सपायर हो जाता है।
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