ऑनलाइन धोखाधड़ी होने के बाद सबसे पहले करें ये काम

ऑनलाइन होने वाले फ्रॉड से निपटने के लिए और उसकी शिकायत दर्ज करवाने के लिए सरकार ने एक हेल्पलाइन सुविधा दी है। जानें कहां करना है आपको फोन। 

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ऑनलाइन फ्रॉड इस समय किसी के साथ भी हो सकता है क्योंकि हम अधिकतर ट्रांजैक्शन्स डिजिटल ही कर रहे हैं। डिजिटल ट्रांजैक्शन्स के कारण हमारा पैसा और उससे जुड़ी जानकारी हैकर्स, डीलर्स आदि के पास पहुंचना बहुत ही आम बात है। जितने डिजिटल ट्रांजैक्शन्स बढ़ते जा रहे हैं उतने ही ज्यादा ऑनलाइन फ्रॉड भी बढ़ रहे हैं। ऑनलाइन फ्रॉड जरूरी नहीं है कि पैसे से जुड़ा ही हो वो किसी भी तरह का हो सकता है जैसे आइडेंटिटी फ्रॉड, डॉक्युमेंट्स से जुड़ा फ्रॉड आदि।

अगर देखा जाए तो ऑनलाइन फ्रॉड और ये सारी समस्याएं बहुत ज्यादा परेशानी वाली साबित होती हैं और साथ ही साथ आपको ये भी नहीं समझ आता है कि आखिर इसके लिए शिकायत कहां की जाए। शिकायत करने और उसपर क्या कार्यवाही हो रही है और कैसे अपने ऑनलाइन फ्रॉड के पैसे वापस लिए जाएं इसके कई स्टेप्स होते हैं, लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि सबसे पहले क्या किया जाए?

इस समस्या का हल निकालने के लिए हाल ही में भारत सरकार की तरफ से एक सरकारी हेल्पलाइन जारी की गई है जो ऑनलाइन फ्रॉड से जुड़े केस की शिकायत दर्ज करवाने के लिए है।

किस नंबर पर करना है तुरंत कॉल?

अगर आपके साथ ऑनलाइन फ्रॉड हुआ है तो आपको तुरंत 155260 पर कॉल करना होगा। इसे एक नेशनल हेल्पलाइन के तौर पर स्थापित किया गया है और यही नया रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म है।

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कितनी असरदार है ये हेल्पलाइन?

इस हेल्पलाइन को छोटे स्तर पर 1 अप्रैल 2021 को लॉन्च किया गया था और जून तीसरे हफ्ते में आई रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ दो महीनों में इस हेल्पलाइन के जरिए 1.85 करोड़ रुपए की रकम को जालसाजों से बचाया गया है। इसमें दिल्ली से 58 लाख और राजस्थान से 53 लाख रुपए की धोखाधड़ी को रोका गया है। फिलहाल सभी प्रमुख वॉलेट, मर्चेंट और बैंक इस हेल्पलाइन के साथ काम कर रहे हैं। यही नहीं ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म भी इससे जुड़े हुए हैं।

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कैसे काम करती है ये हेल्पलाइन-

  • आपको सबसे पहले किसी भी तरह के ऑनलाइन फ्रॉड की जानकारी होते ही 155260 पर कॉल करना है। इसके बाद संबंधित राज्य की जानकारी देनी है और उसी राज्य के हिसाब से आपकी डिटेल्स ली जाएंगी।
  • सबसे पहले ऑपरेटर आपके साथ हुई धोखाधड़ी का विवरण लेगा और कॉलर की बुनियादी जानकारी मांगेगा। इसके बाद आपकी जानकारी साइबर क्राइम रिपोर्टिंग और मैनेजमेंट के पास जाएगी।
  • ये जानकारी इसके बाद बैंक, वॉलेट, मर्चेंट आदि तर पहुंचाई जाएगी।
  • शिकायत की डिटेल्स और नंबर SMS द्वारा शिकायतकर्ता के पास जाएगी।
  • 24 घंचे के अंदर इसी शिकायत नंबर से पूरी जानकारी डिटेल में नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल में जमा होती है।
  • इसके बाद संबंधित बैंक, वॉलेट आदि इसी नंबर से अपने इंटरनल सिस्टम में जांच-पड़ताल करेगा।
  • इसके बाद अगर फ्रॉड का पैरा ट्रांसफर नहीं हुआ है तो बैंक से उसे रोक दिया जाता है और बैंक उसे रिवर्स कर देता है जहां से पैसा आया है।
  • अगर ये दूसरे बैंक में चला गया है तो आपका बैंक दूसरे बैंक के पास रिक्वेस्ट भेजेगा कि वो वापस ट्रांजैक्शन रिवर्स करे।
  • अगर कैश नहीं निकाला गया है तो ट्रांजैक्शन रिवर्स होने की गुंजाइश बहुत बढ़ जाती है, लेकिन अगर कैश निकाल लिया गया है तो ये मुश्किल हो जाएगा।
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इसके अलावा क्या करें ऑनलाइन फ्रॉड होने पर?

तुरंत अपने बैंक को जानकारी दें। इंतज़ार न करें और ऑनलाइन फ्रॉड से जुड़े सारे डॉक्युमेंट्स, मैसेज, ईमेल आदि सेव करके रखें।

अगर आपको स्पैम के जरिए कोई परेशान कर रहा है तो नजदीकी पुलिस स्टेशन में इसकी रिपोर्ट लिखवाएं।

किसी भी इंसान से अपना ओटीपी, लिंक, पासवर्ड आदि शेयर न करें।

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