आधुनिक युग में तकनीक के बाद अगर किसी और चीज में सबसे ज्यादा बदलाव आया है तो वह है फैशन इंडस्ट्री में। फैशन इंडस्ट्री इतनी तेजी से आगे बढ़ रही है कि हर दिन एक नए स्टाइल और पैटर्न के साथ कोई न कोई डिजाइनर हाजिर हो जाता है। इंट्रेस्टिंग बात तो यह है कि वैस्टर्न कलचर का इंडियन फैशन में इनफ्लूएंस बढ़ता ही जा रहा है। सबसे ज्यादा महिलाओं के आउफिट्स में इस इंफ्लूएंस को देखा जा सकता है। वैस्टर्न आउटफिट्स में महिलाओं के पास इतनी च्वॉइस हैं कि इंडियन आउटफिट्स की तरफ उनका ध्यान ही नहीं जाता है। खासतौर पर आज के जनरेशन की महिलाओं को तो इंडियन ड्रेसेस से खास परहेज है।
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इंडियन कलचर को डिफाइन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली साड़ी तो बहुत सी महिलाओं को ड्रैप करनी भी नहीं आती। इस बात की जानकारी फेमस फैशन डिजाइनर सब्यसाची को हुई तो वह इस बात को हजम ही नहीं कर सके और उनका गुस्साू सातवें आसमान पर पहुंच गया। दरअसल हार्वर्ड इंडिया कॉन्फ्रेंस में इंडियन स्टूडेंट्स को लेक्चर देते वक्त कई महिला स्टूडेंट्स ने सब्यसाची से साड़ी ड्रैप कैसे की जाती है, पर सवाल पूछा तो सब्यसाची को गुस्सा आगया और उन्होंने कहा, ' मुझे लगता है भारतीय होने के बाद भी जिन महिलाओं को साड़ी पहननी नहीं आती, उन्हें शर्म आनी चाहिए। हालाकि सब्यसाची ने गुस्से को कंट्रोल करते हुए फिर स्टूडेंट्स को साड़ी ड्रैपिंग भी सिखाई।
गौरतलब है , सब्यसाची एक बहुत बड़े फैशन डिजाइनर हैं और केवल इंडियन वूमेन आउटफिट्स ही बनाते हैं। हालही में उन्होंने डिजाइनर साडि़यों का एक कलेक्शन भी लांच किया है जिसे दीपिका पादुकोण के द्वारा सब्यासाची ने पेश किया था। अपने इस कलेक्शन के बाद से सब्यसाची काफी लाइमलाइट में आ गए थे और अब अपने इस बयान की वजह से वह सुर्खियों में छाय हुए हैं।
दीपिका की तारीफ
सब्यसाची ने लेक्चर के दौरान पदमावत एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण का उदाहरण देते हुए कहा कि दीपिका एक स्टार है। मगर अपने फिल्म प्रमोशन के लिए वह जहां भी गईं उन्होंने साड़ी ही पहनी। दीपिका साड़ी में हर बार कितनी खूबसूरत लगी। हर महिला साड़ी में खुबसूरत लगती हैं।
महिला और साड़ी का रिश्ता
सब्यसाची ने लेक्चर के दौरान स्टूडेंट्स के साड़ी से जुड़े सवालों का जवाब तो दिया ही साथ ही उन्हें साड़ी के महत्व को भी समझाया । सब्यसाची ने कहा, साड़ी को दुनिया के सबसे खूबसूरत आउटफिट्स में काउंट किया जाता है। दुनिया भर की महिलाएं साड़ी पहनना चाहती हैं, मगर उन्हें साड़ी पहननी नहीं आती है। मगर भारत की हर महिला का साड़ी ड्रैप करनी आनी चाहिए क्योंंकि यह उनके कलचर का प्रतीक है। एक समय था जब हमारी दादी नानी दिन रात सुबह शाम साड़ी से लिपटी रहती थीं। साड़ी में ही वह रसोई के सारे काम करती थीं और साड़ी में ही सो जाती थीं। मगर आज की महिलाओं को तो साड़ी पहने कर उठने बैठने में दिक्कत होती है। ऐसा नहीं होना चाहिए। साड़ी और महिला का एक दूसरे से अटूट रिश्ता है। साड़ी से रिश्ता टूटना यानी संस्कृति से दूर जाना है।
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