प्रेग्नेंसी किसी भी महिला की लाइफ का अद्भुत समय होता है। जब कोई भी महिला पहली बार प्रेग्नेंट होती है तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता है। लेकिन इस समय के दौरान प्रेग्नेंट को अपना विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है ताकि मां और होने वाला बच्चा हेल्दी रहें। और हेल्दी रहने के लिए डाइट की विशेष भूमिका होती है। इस समय आपकी बॉडी को अतिरिक्त पोषक तत्वों, विटामिन और मिनरल की जरूरत होती है। डाइट में जरूरी पोषक तत्वों की कमी के चलते होने वाले बच्चे के विकास नेगेटिव असर पड़ सकता है। इसलिए हर प्रेग्नेंट को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि उसे प्रेग्नेंसी के दौरान कौन सी चीजें खानी चाहिए और किन चीजों को खाने से बचना चाहिए।
प्रेग्नेंसी में खट्टे फलों जैसे संतरा, आंवला, आम, पपीता, अंगूर, खजूर, किशमिश और स्ट्रॉबेरी का सेवन करें। सभी फल सब्जियां एक बैलेंस बना कर खाएं, कुछ फलों की तासीर गर्म होती है जैसे अंगूर इसलिए इसे थोड़ी मात्रा में खाएं। इसके अलावा प्रेग्नेंसी में गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, सरसों, ब्रोकली को खाना चाहिए इसके अलावा फूलगोभी, चुकंदर, शकरकंदी, गाजर, मटर, शलगम, मूली, टमाटर, प्याज, गोभी, आलू का सेवन भी करना चाहिए। ब्रोकली से कैल्शियम और कई एंटी ऑक्सीडेंट मिलते हैं और विटामिन सी भी। साथ ही यह सब्जी बॉडी में आयरन को अवशोषित करने में भी हेल्प करती है। साथ ही शकरकंदी से प्रेग्नेंट को विटामिन सी, फोलेट और फाइबर तो मिलते ही हैं, साथ इसमें कैरोटिनॉयड भी होते हैं, जो बॉडी में जाकर विटामिन ए में बदल जाते हैं।
ये सब्जियां हमें फोलेट तो देती ही है, साथ ही इसमें आयरन और अन्य जरूरी विटामिन, मिनरल, कैल्शियम और जिंक भी भरपूर मात्रा में होता है। जैसे पालक में फोलेट के साथ आयरन भी भरपूर मात्रा में होता है। इसके अलावा फाइबर व प्रोटीन के लिए बींस बहुत जरूरी है क्योंकि इनमें सभी सब्जियों से ज्यादा फाइबर और प्रोटीन होता है। प्रेग्नेंसी में सबसे बड़ा खतरा कब्ज का होता है। इस खतरे को बींस कम करती हैं।
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अंडे में 12 से ज्यादा विटामिन और मिनरल्स होते हैं। जो बच्चे के विकास के लिए बेहद जरूरी होते है। इसके अलावा बढ़िया प्रोटीन होता है, जो प्रेग्नेंसी के लिए अच्छा होता है। लेकिन अंडे में कोलेस्ट्रॉल बहुत अधिक होता है इसलिए इसे कंट्रोल मात्रा में ही खाना चाहिए। प्रेग्नेंसी में अगर महिला को पहले से कोलेस्ट्रॉल की समस्या है तो अंडे के पीले हिस्से को खाने से बचना चाहिए।
प्रेग्नेंसी में कैल्शियम भी बहुत जरूरी है, क्योंकि इसकी जरूरत प्रेग्नेंट और होने वाले बच्चे दोनों को होती है। कैल्शियम की कमी होने पर बच्चे और मां दोनों हड्डियां कमजोर हो जाएंगी। इसलिए दूध, दही, पनीर का सेवन प्रेग्नेंट के लिए बेहद जरूरी होता है।
साबुत अनाज में भी आयरन बहुत अधिक मात्रा में होता है। इसके अलावा इसमें फाइबर, विटामिन ई, सेलेनियम, आयरन, जिंक और कोशिकाओं की रक्षा करने वाले कई फाइटोन्यूट्रिएंट होते हैं। साथ ही विटामिन बी भी होता है, जिसकी जरूरत प्रेग्नेंट को पूरे नौ महीने के दौरान पड़ती है। इसलिए प्रेग्नेंट को साबुत अनाज यानी दलिया, ओटमील, ब्राउन राइस, पॉपकॉर्न आदि का सेवन जरूर करना चाहिए। आजकल बहुत ज्यादा पोषक तत्वों के कारण क्निवा भी बहुत चर्चा में है। इसलिए इसे भी अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।
फोलेट की उपस्थिति के कारण प्रेग्नेंट को नट्स (बादाम, अखरोट, मूंगफली आदि) खाने चाहिए, इसके अलावा अगर आप वेजिटेरियन हैं तो भी आपको अपनी डाइट में नट्स को शामिल करना चाहिए क्योंकि इससे आपको अच्छा फैट यानी ओमेगा-3 फैटी एसिड पाने में हेल्प मिलती है। साथ ही इनसे प्रोटीन और फाइबर भी मिलते हैं।
अगर आप नॉनवेजिटेरियन हैं तो आपको कच्चा या अधपका मीट खाने से बचना चाहिए। इससे कई तरह के बैक्टीरिया के इंफेक्शन का खतरा रहता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान कैफीन की मात्रा सीमित कर देनी चाहिए। ज्यादा कैफीन एक उत्तेजक के रूप में काम करती है जो आपके होने वाले बच्चे के हार्ट रेट को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा ज्यादा कैफीन लेने से डिहाइड्रेशन की समस्या भी हो सकती है। और साथ ही कैफीन से बॉडी में कैल्शियम की कमी हो सकती है, जो प्रेग्नेंट के लिए सही नहीं है।
कच्चे या कम उबले दूध में लिस्टीरिया नाम का बैक्टीरिया हो सकता है, इसलिए ऐसे दूध को पीने से बचें। इससे इन्फेक्शन का खतरा हो सकता है। दूध को बहुत अच्छी तरह उबालकर ही पिएं। इसी तरह दही और पनीर भी उबले हुए दूध से बनाकर ही खाना चाहिए!
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बॉडी में एल्कोहल की मौजूदगी से होने वाले बच्चे के विकास में बाधा आ सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, शराब से ना केवल प्रेग्नेंसी के दौरान, बल्कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान भी दूर रहना चाहिए।
बहुत काम के पोषक तत्वों के बावजूद ज्यादातर मछलियों में मिथाइल मकरी नामक पदार्थ बहुत अधिक मात्रा में होता है, जो गर्भ में पल रहे बच्चे के नर्वस सिस्टम के विकास के लिए हानिकारक हो सकता है। सालमन मछली में हालांकि यह कम होता है, इसलिए अगर आपको मछली इतनी पसंद हैं कि इसे खाएं बिना आप नहीं रह सकती हैं तो इस मछली को कंट्रोल मात्रा में लें।
कच्चे अंडे और इससे बने चीजों में साल्मोनेला नामक बैक्टीरिया से इन्फेक्शन का खतरा रहता है। घर में बनी आइसक्रीम, कस्टर्ड, मेयोनेज, केक, सीजर सलाद ड्रेसिंग आदि में कच्चे अंडे का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि बाजार में बनाई गई आइसक्रीम और अन्य प्रोडक्ट में अंडे को बैक्टीरिया फ्री करके इस्तेमाल करने का दावा किया जाता है, लेकिन फिर भी कच्चे अंडे से बने प्रोडक्ट को लेकर प्रेग्नेंसी में तो कम से कम सावधानी बरतनी ही चाहिए।
सब्जियां हमारी हेल्थ के लिए बहुत अच्छी होती है यह बात तो हमें आपको बताने की जरूरत नहीं। लेकिन सब्जियों को बिना धोए खाना आपकी हेल्थ के लिए नुकसादायक हो सकता है। खासतौर पर प्रेग्नेंट की हेल्थ के लिए तो यह बहुत ही नुकसान पहुंचाती है। बिना धुली सब्जी से भी इन्फेक्शन का खतरा रहता है। इसलिए खाने से पहले सब्जियां अच्छी तरह धोकर खाना बहुत जरूरी है।
अपनी डाइट में कुछ चीजों को शामिल कर और कुछ चीजों को छोड़कर आप तैमूर जैसा हेल्दी बच्चा पा सकती हैं।
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