बच्चों से लेकर बड़ों तक, हर किसी को केले का शेक बनाकर पीना काफी अच्छा लगता है। कभी सुबह नाश्ते के समय तो कभी इवनिंग स्नैक टाइम पर जब हल्की भूख लगती है तो ऐसे में केले का शेक आपको फुलर अहसास करवाता है। केले का शेक बनाने में बहुत अधिक समय भी नहीं लगता है और यह बहुत अधिक टेस्टी भी होता है, इसलिए हर कोई इसे पीना काफी पसंद करता है।
लेकिन क्या आपको पता है कि केले के शेक को सेहत के लिहाज से बहुत अच्छा नहीं माना जाता है। केला और दूध एक अच्छा कॉम्बिनेशन नहीं है। हालांकि, दोनों ही अपने आप में बेहद पौष्टिक हैं, लेकिन इन्हें एक अच्छा फूड कॉम्बिनेशन नहीं माना जाता है। जब केले को दूध में ब्लेंड करके उसका शेक बनाया जाता है तो इससे आपकी सेहत को कुछ नुकसान भी उठाने पड़ सकते हैं। तो चलिए आज इस लेख में सेंट्रल गवर्नमेंट हॉस्पिटल के ईएसआईसी अस्पताल की डाइटीशियन रितु पुरी आपको बता रही हैं कि केले का शेक बनाकर पीना एक अच्छा आइडिया क्यों नहीं है-
बढ़ सकता है वजन
अगर आप वेट लॉस जर्नी पर हैं तो ऐसे में केले का शेक पीना बिल्कुल भी अच्छा विचार नहीं है। केले के शेक में कैलोरी की मात्रा अधिक होती है, खासकर अगर इसे फुल-फैट दूध, चीनी या आइसक्रीम के साथ बनाया जाए। इन्हें बार-बार पीने से आपका वजन बढ़ सकता है।
ब्लड शुगर हो सकता है स्पाइक
अगर आपको डायबिटीज या इंसुलिन रेसिस्टेंस की शिकायत है तो ऐसे में आपको केले का शेक बनाकर पीने से परहेज करना चाहिए। केले में नेचुरल शुगर होती है और जब इसे शेक के रूप में दूध के साथ ब्लेंड करके पिया जाता है, तो यह शुगर ब्लडस्ट्रीम में तेजी से अब्जॉर्ब हो जाती है। कई बार इसमें हम स्वीटनर या अन्य हाई शुगर फ्रूट को भी शामिल कर लेते हैं, जिससे आपकी स्थिति और भी खराब हो सकती है।
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डाइजेशन से जुड़ी समस्याएं
अगर आप केले का शेक अधिक मात्रा में लेते हैं तो इससे आपको डाइजेशन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि केले में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। जब लोग जरूरत से ज्यादा केले का शेक पीते हैं तो उन्हें ब्लोटिंग, गैस या कब्ज की शिकायत हो सकती है। इतना ही नहीं, अगर आप लैक्टोज इनटॉलरेंट हैं तो ऐसे में केले को दूध के साथ मिलाकर पीने से आपको काफी परेशानी हो सकती है।
कैविटी का बढ़ जाता है रिस्क
केले में नेचुरल शुगर होती है, और जब शेक के रूप में इसे लिक्विड फॉर्म में पिया जाता है तो इससे वे दांतों पर चिपक सकते हैं। जिससे कैविटी का रिस्क कई गुना बढ़ जाता है। खासतौर से, अगर आप ओरल हाइजीन का सही तरह से ख्याल नहीं रखते हैं तो ऐसे में समय के साथ आपको दांतों से जुड़ी अन्य समस्याएं जैसे प्लाक बनने और दांतों की सड़न की शिकायत भी हो सकती है।
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