पनीर की बनी डिशेज सबसे ज्यादा पसंद की जाती हैं। अगर शाकाहारी लोगों की बात करें तो प्रमुख त्योहारों, शादी और उत्सवों पर पनीर की डिशेज खासतौर पर बनाई जाती हैं। अमूमन पनीर की कीमत 240 से 300 रुपये के बीच मिलता है, लेकिन अगर आपसे कहा जाए तो यूरोप के देश सर्बिया में दुनिया का सबसे महंगा पनीर मिलता है तो शायद आप हैरान हो जाएं। इस दूध की कीमत 1000 या 2000 रुपये नहीं बल्कि 78 हज़ार रुपये किलो है। गधी का यह खास दूध अपनी कीमत और स्वाद की वजह से दुनियाभर में फेमस है। सफेद रंग का गाढ़ा और फ्लेवर युक्त इस दूध से जब पनीर तैयार किया जाता है, तो उसका स्वाद भी गजब का होता है। इस दूध को तैयार करते हैं स्लोबोदान सिमिक। उनके अनुसार ये पनीर खाने में तो टेस्टी होता ही है, साथ ही हेल्थ के लिए भी यह रामबाण है।
उत्तरी सर्बिया के एक नेचुरल रिज़र्व का नाम है जैसाविका। यहां सिमिक ने 200 से ज़्यादा गधी पाली हुई हैं और इनके दूध से यहां कई तरह के मिल्क प्रॉडक्ट्स तैयार किए जाते हैं। सिविक का मानना है कि इन गधी का दूध काफी पौष्टिक और शरीर को सेहतमंद बनाने वाला है। नन्हे शिशु के लिए मां का दूध सर्वोत्तम माना जाता है। इस दूध की तुलना सिविक गधी के दूध से करते हैं। उनका कहना है कि गधी का दूध मां के दूध के जितना गुणकारी है।
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अमूमन बच्चों को भैंस का दूध देने की मनाही होती है क्योंकि इसे गाढ़ा और बच्चे के डाइजेस्टिव सिस्टम के हिसाब से भारी माना जाता है, लेकिन सिमिक के अनुसार, 'शिशु को शरीर को जन्म के पहले दिन से ही गधी का यह दूध दिया जा सकता है और इसे बगैर करने की जरूरत भी नहीं होती।' सिमिक यह भी दावा है कि इस दूध का सेवन अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी हेल्थ प्रॉब्लम्स में भी फायदा देता है। हालांकि गधी के दूध पर अभी तक कोई साइंटिफिक रिसर्च नहीं हुई है। इससे पहले यूनाइटेड नेशंस की तरफ से भी दूध के बारे में कहा था कि ये दूध लोगों के लिए बढ़िया ऑप्शन है, जिन्हें गाय का दूध सूट नहीं करता। एक और खास बात ये है कि इस दूध में प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है और यह बढ़ते बच्चों के शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
सामान्य तौर पर पनीर तैयार करने में ठीकठाक दूध लग जाता है। यही वजह है कि दूध की तुलना में पनीर की कीमत काफी ज्यादा होती है। यही बात गधी के दूध से बने पनीर पर भी लागू होती है। गधी के दूध से अगर 1 किलोग्राम पनीर तैयार करना हो तो 25 किलो ग्राम दूध लग जाता है। वैसे इस दूध का स्वाद भेड़ के दूध के काफी मिलता-जुलता होता है।
यूरोप में अक्सर इस बात की चर्चा की जाती है कि पुराने समय में मिस्र की खूबसूरत रानी क्लियोपेट्रा गधी के दूध से नहाया करती थीं। इस चर्चा की वजह से यहां गधी का दूध काफी ज्यादा लोकप्रिय हो गया। सिमिक का मानना है कि दुनिया में उनसे पहले किसी ने गधी के दूध से पनीर नहीं बनाया। हालांकि इस दूध से पनीर तैयार करने में मुश्किल ये थी कि इसमें कैसीन का स्तर कम होता है, जो पनीर को बांधने के लिए जरूरी होता है। लेकिन इस मुश्किल को दूर करने के लिए गधी के दूध में थोड़ा सा बकरी का दूध मिलाया गया और इससे पनीर बनाना आसान हो गया।
गधी गाय और भैंस की तुलना में बहुत ज्यादा दूध नहीं देती। एक अनुमान के अनुसार गधी एक दिन में एक लीटर दूध भी नहीं देती है, जबकि गाय और भैंस से इसकी तुलना में कहीं ज्यादा दूध मिल जाता है। गधी का दूध सीमित होने की वजह से इससे तैयार होने वाला पनीर भी बहुत कम हो पाता है। एक साल में इस फॉर्म में 6 से 15 किलो के लगभग पनीर तैयार किया जाता है। इस पनीर की कमी और इसकी भारी मांग की वजह से ही इसकी कीमत बहुत ज़्यादा हैं।
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इसे खरीदने वाले ज़्यादातर विदेशी सैलानी होती है। जैसाविका में जिन गधी को पाला गया है, वे बाल्कन प्रजाति के हैं। ये गधी सर्बिया और मांटेनेग्रो प्रांत में पाई जाती हैं। कमी के बावजूद दुनियाभर में इन गधी के दूध से तैयार पनीर की मांग काफी ज्यादा है।
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