विटामिन, प्रोटीन, पोटेशियम और मैग्नीशियम से भरपूर होने के कारण दूध एक हेल्दी ड्रिंक्स माना जाता हैं। पोषण और डाइजेस्टिव गुणों के कारण आयुर्वेद में दूध की अपनी एक विशेष जगह है। लेकिन ज्यादातर महिलाओं की डाइट में इसकी कोई जगह नही हैं। क्या आप भी ऐसी ही महिलाओं में से एक हैं? तो शायद आप यह नहीं जानती हैं कि इसे अपनी डाइट में शामिल ना करने से आपकी हेल्थ को बहुत नुकसान हो सकता है। आइए World Milk Day के मौके पर जानें कि महिलाओं के लिए दूध कितनी जरूरी है।
जी हां दूध को अक्सर एक संपूर्ण आहार के रूप में माना जाता है, खासतौर पर उन महिलाओं के लिए जो वेजिटेरियन हैं। जैसे की हम आपको बता ही चुके हैं कि आयुर्वेद में इसके पोषण और पाचन गुणों के कारण विशेष स्थान है। प्रोटीन, विटामिन ए, बी 1, बी 2, बी 12, और डी के साथ ही पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों की मौजूदगी के कारण दूध हेल्दी ड्रिंक्स में से एक है। हालांकि, बहुत कम वयस्कों इसे खुशी से एक बार पीना पसंद करते है और बच्चे तो इसे देखकर मुंह बना लेते हैं।
फोर्टिस हॉस्पिटल की डाइटिशियन सिमरन सैनी कहती हैं कि, बड़ों को दूध जरूर पीना चाहिए, क्योंकि यह सबसे अच्छा नाइट टाइम ड्रिंक हैं। दूध में ट्रिपोफान नामक एमिनो एसिड होता है जिससे ना केवल आपको नींद आती हैं बल्कि बहुत अच्छी नींद आती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह आपकी बॉडी को सेरोटोनिन और मेलाटोनिन बनाने में हेल्प करता हैं। ये दो न्यूरोट्रांसमीटर हैं जो बॉडी के सोने के चक्र को कंट्रोल करते हैं। इतना ही नहीं, दूध अनिद्रा से पीड़ित महिलाओं में अच्छी नींद लाने के साथ-साथ कैल्शियम और मैग्नीशियम भी देता है।''
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डाइटिशियन सिमरन यह भी कहती हैं कि ''अगर आपको अनिद्रा की समस्या है तो रात को दूध पीना अच्छा माना जाता है। इससे बॉडी की दिनभर की थकान मिटती है और दूध में ट्रीप्टोफन नामक अमीनो एसिड की मौजूदगी से नींद के हार्मोन लेवल को बढ़ाने में हेल्प मिलती है जिससे आपको नींद अच्छी आती है।''
बच्चों के लिए नाश्ते के दौरान बच्चों के लिए तेजी से दूध पीना अच्छा आइडिया हो सकता है, लेकिन बड़ों के लिए नहीं, क्योंकि उनका डाइजेस्टिव सिस्टम इसे संभालने के लिए तैयार नहीं होता है। यह सुबह के समय आपके डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए बोझ हो सकता है और इससे आपको बाद में हार्ट बर्न और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रॉब्लम्स हो सकती है। इसलिए दलिया के रूप में हमेशा दूध लेने की सलाह दी जाती है।
इसके अलावा, अक्सर जब दूध को लेने की बात आती है तो पेरेंट्स इसे पर बहुत ज्यादा जोर देते हैं। डाइटिशियन सिमरन इस मिथ पर प्रकाश डालते हुए कहती हैं कि ''बच्चों के लिए, दो कप दूध, एक सुबह और दूसरा रात में सोने से पहले लेना पर्याप्त होता है, ना इससे ज्यादा ना इससे कम। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर पेरेंट्स अपने बच्चों को जरूरत से ज्यादा दूध देते हैं ताकी उनके बोन की ग्रोथ हेल्दी तरीके से हो सके, लेकिन वह यह नहीं जानते कि बहुत ज्यादा दूध पिलाने से आपकी बच्चों में आयरन की कमी हो सकती है।''
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डाइटिशियन सिमरन का यह भी कहना हैं कि हालांकि बच्चों को रेगलुर दूध लेने की सलाह दी जाती है, लेकिन यह सिफारिश महिलाओं के लिए भी होती है कि उन्हें अपनी डाइट में दूध को जरूर शामिल करना चाहिए, खासकर मेनोनॉज के बाद। "मेनोपॉज के बाद दूध लेने से ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को कम करने में हेल्प मिलती है, जो प्राथमिक रूप से 50 वर्ष से अधिक आयु के महिलाओं में होने वाली हड्डी की बीमारी से बचाता है। यह आवश्यक प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन डी प्रदान करता है, जो 'हड्डियों की कमजोरी से बचाता है ये ऑस्टियोपोरोसिस का लक्षण है।'
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