इंसान का सबसे पहला सुख होता है उसका निरोगी शरीर। अगर व्यक्ति को किसी तरह की कोई बीमारी नहीं है तो ऐसे में वह अधिक सुखी व खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकता है। आमतौर पर, इसके लिए जरूरी होता है कि आहार पर ध्यान दिया जाए। कई बार अधिक वजन होने या फिर हाई बीपी और डायबिटीज जैसी समस्याएं होने पर भी आहार में बदलाव करके स्वास्थ्य स्थिति पर काबू पाया जा सकता है।
अमूमन लोग अपनी हेल्थ कंडीशन को इंप्रूव करने के लिए कई तरह की डाइट को फॉलो करते हैं। लेकिन फिर भी उन्हें कोई रिजल्ट नहीं मिल पाता है। ऐसे में उन्हें लगता है कि उनकी बॉडी पर कोई भी डाइट काम नहीं करती है। जिसके कारण वे बहुत अधिक निराश हो जाते हैं। हालांकि, आपको वास्तव में परेशान होने की जरूरत है। दरअसल, ऐसी कई वजहें होती हैं, जिनकी वजह से डाइट आप पर काम नहीं करती हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको ऐसे ही कुछ कारणों के बारे में बता रहे हैं-
जब आप कोई डाइट फॉलो करती हैं तो उसमें कैलोरी (कैलोरी इंटेक को कम करने के तरीके) काउंट पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है। लेकिन कई बार हम उस डाइट को फॉलो तो करते हैं, लेकिन उसे ओवरईट कर लेते हैं। मसलन, अगर आपकी डाइट में नाश्ते में एक पराठा है और आप उसकी जगह दो या तीन पराठे खाती हैं तो ऐसे में आपको उस डाइट का कोई लाभ नहीं मिल पाता है।
जब आप किसी डाइट पर होते हैं तो ऐसे में आपकी बॉडी एक तरह से काम कर रही होती है। लेकिन जब आप उसके बीच ब्रेक लेते हैं तो इससे आपकी बॉडी पर वह इफेक्ट नहीं आ पाता है, जो वास्तव में मिलना चाहिए। ऐसे में अगर आप किसी डाइट को फॉलो कर रही हैं तो उसे सही ढंग से फॉलो करने की कोशिश करें।
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कुछ लोग डाइट फॉलो करते समय जल्द से जल्द रिजल्ट पाना चाहते हैं। लेकिन जब उन्हें एक सप्ताह में फर्क नजर नहीं आता है, तो ऐसे में वे तुरंत दूसरी डाइट पर स्विच कर लेते हैं। लेकिन इस तरह डाइट स्विच करने से उन्हें किसी भी डाइट का लाभ नहीं मिलता है। ऐसे में उन्हें यह फील होता है कि उनकी बॉडी पर किसी भी तरह की डाइट काम नहीं करती है। जबकि बार-बार डाइट स्विच करने के कारण आपकी बॉडी पर उसका इफेक्ट नहीं पड़ता है।
किसी भी डाइट को फॉलो करने से आपको लाभ तभी मिल पाता है, जब आप उसके वास्तविक कॉन्सेप्ट को समझ पाते हैं। अक्सर हम डाइट को फॉलो करते हैं, लेकिन उनके बेसिक्स को समझने की कोशिश ही नहीं करते हैं। मसलन, अगर आप इंटरमिटेंट फास्टिंग कर रही हैं तो आपको सिर्फ आठ या दस घंटे की फास्टिंग (इंटरमिंटेट फास्टिंग से जुड़े मिथ्स) ही नहीं रखनी होती है, बल्कि हर दिन एक नियत समय पर ही अपना पहला मील लेना होता है। कुछ लोग कभी 7 बजे तो कभी 9 बजे ब्रेकफास्ट करते हैं और फिर उन्हें लगता है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग उनके लिए नहीं बनी है।
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अमूमन डाइट को चेंज करके हम खुद ही उसे कस्टमाइज करके खाना शुरू कर देते हैं। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं करना चाहिए। हो सकता है कि अपनी डाइट खुद बनाते समय आप कई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को मिस ना करें या फिर ऐसे कुछ फूड इंग्रीडिएंट को उसमें शामिल करें, जो आपके लिए ठीक नहीं है। ऐसे में आपको रिजल्ट नहीं मिलेंगे और आपको लगेगा कि आपकी बॉडी पर किसी भी डाइट का असर नहीं होता है। इसलिए सबसे बेहतर उपाय है कि आप किसी अच्छे डायटीशियन से कंसल्ट करें और उनकी गाइडेंस में ही डाइट लें। यकीन मानिए इससे आपको जल्द ही असर नजर आने लगेगा।
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