आज के समय में लोग अपना वजन कम करने के लिए कई अलग-अलग तरीके अपनाते हैं। खासतौर से, वे अपनी डाइट पर खासतौर से ध्यान देते हैं। जब डाइट को बेहतर बनाया जाता है तो खुद ब खुद आपके शरीर में अंतर नजर आने लगता है। कीटो डाइट, इंटरमिटेंट डाइट या फिर वीगन डाइट के बारे में तो हम सभी ने सुना है, लेकिन कार्ब साइकिलिंग के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
कार्ब साइकिलिंग के दौरान कार्ब्स की मात्रा को समय-समय पर कम या ज्यादा किया जाता है, जिससे ग्लाइकोजन यानी बॉडी में पहले से स्टोर्ड फैट को एनर्जी के इस्तेमाल किया जाता है। यह एक तरह का खाने का पैटर्न है, जिसमें आप अपने मैक्रो न्यूट्रिएंट्स इनटेक पर खास ध्यान देते हैं। तो चलिए आज इस लेख में सेंट्रल गवर्नमेंट हॉस्पिटल के ईएसआईसी अस्पताल की डाइटीशियन रितु पुरी आपको कार्ब साइकिलिंग के बारे में विस्तारपूर्वक बता रही हैं-
कार्ब साइकिलिंग क्या है?
कार्ब साइकिलिंग वास्तव में डाइट का एक तरीका है, जिसमें रोजाना, साप्ताहिक या मासिक आधार पर आपके कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को कम या ज्यादा किया जाता है। आमतौर पर, जो लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं या फिर एथलीट्स और बॉडीबिल्डर कार्ब साइकिलिंग को फॉलो करते हैं। कार्बोहाइड्रेट इनटेक में ये बदलाव आपकी एनर्जी को एडजस्ट करते हैं, जिससे फैट लॉस मे काफी हद तक मदद मिलती है। इतना ही नहीं, इससे आपकी बॉडी की परफार्मेंस और मसल-बिल्डिंग गोल्स को पूरा करने में भी मदद मिल सकती है।
कार्ब साइकिलिंग कैसे की जाती है?
कार्ब साइकिलिंग के दौरान लोग अपने दिनों को हाई कार्ब, मॉडरेट कार्ब और लो कार्ब दिनों में बांटते हैं। जहां हाई कार्ब दिनों में कार्बोहाइड्रेट का सेवन अधिक किया जाता है, वहीं लो कार्ब वाले दिन में कार्बोहाइड्रेट के सेवन को काफी हद तक सीमित कर दिया जाता है। इसे कुछ इस तरह समझा जा सकता है
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हाई कार्ब वाले दिन
हाई कार्ब वाले दिनों में अमूमन अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट का सेवन किया जाता है। आमतौर पर, जब लोग इंटेंस फिजिकल एक्टिविटीज करते हैं, तब वे हाई कार्ब डाइट लेते हैं। दरअसल, जब आप हाई कार्ब लेते हैं तो मसल्स में ग्लाइकोजन स्टोर को फिर से भरने में मदद मिलती है। इतना ही नहीं, वर्कआउट के लिए एनर्जी मिलती है और मसल्स की रिकवरी को बढ़ावा मिलता है।
मॉडरेट कार्ब वाले दिन
मॉडरेट कार्ब वाले दिनों में आप मॉडरेट तरीके से कार्ब्स का सेवन करते हैं। जब आप बहुत अधिक इंटेंस वर्कआउट नहीं कर रहे हैं या फिर आपका रेस्ट डे है, तब आप मॉडरेट कार्ब ले सकते हैं। इससे आप कार्ब्स को ओवरलोड नहीं करते हैं और इससे आपको लगातार एनर्जी मिलती है, जिससे आप खुद को थका हुआ महसूस नहीं करते हैं।
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लो कार्ब वाले दिन
लो कार्ब वाले दिनों में कार्बोहाइड्रेट के सेवन को काफी हद तक सीमित कर दिया जाता है। आमतौर पर, रेस्ट डे के दौरान लोग लो कार्ब डाइट लेते हैं। लो कार्ब डाइट लेने के पीछे का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि शरीर को एनर्जी देने के लिए स्टोर फैट का उपयोग किया जा सके। इससे फैट लॉस में मदद मिलती है। हालांकि, इस दौरान कार्ब्स को पूरी तरह से बंद नहीं किया जाता है।
कार्ब्स की इस तरह की साइकिलिंग का पैटर्न हर व्यक्ति अपनी फिजिकल एक्टिविटीज और फिटनेस गोल्स के आधार पर अलग हो सकता है।
कार्ब साइकिलिंग के फायदे
- कार्ब साइकिलिंग से शरीर को कई फायदे मिल सकते हैं। मसलन-
- कार्ब्स इनटेक में हेरफेर करने से फैट लॉस में मदद मिलती है, क्योंकि शरीर एनर्जी के लिए स्टोर फैट का इस्तेमाल करता है।
- हाई कार्ब डाइट के दौरान ग्लाइकोजन स्टोर को फिर से भर दिया जाता है, जिससे वर्कआउट के लिए एनर्जी मिलती है। साथ ही साथ, इससे मसल्स को भी फायदा पहुंचता है।
- कार्ब साइकलिंग शरीर को कार्बोहाइड्रेट और फैट सहित अलग-अलग एनर्जी सोर्स का उपयोग करने में फ्लेक्सिबल होने में मदद करता है।
- कार्ब साइकिलिंग से इंसुलिन सेंसेटिविटी भी बेहतर होती है, जिससे आपकी ओवर ऑल हेल्थ को फायदा मिलता है।
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Image Credit- freepik
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