जब भी हेल्दी फूड की बात होती है, तो लोग कार्ब्स को अपनी डाइट से बाहर रखने की कोशिश करते हैं। खासतौर से, जो लोग वेट लॉस प्रोसेस में होते हैं, उन्हें तो कार्ब्स अपने सबसे बड़े दुश्मन लगते हैं। ऐसे लोग अक्सर कीटो या लो-कार्ब डाइट डाइट को फॉलो करते हैं, जिसमें वह कार्ब्स को काफी हद तक सीमित करते हैं। हालांकि, कार्ब्स भी शरीर के लिए उतने ही आवश्यक होते हैं, जितना कि प्रोटीन व फाइबर। वे एक आवश्यक मैक्रोन्यूट्रिएंट हैं। कार्ब्स पर बहुत अधिक कटौती करने से ऊर्जा का स्तर कम हो सकता है और आपको अधिक भूख लग सकती है।
दरअसल, कार्बोहाइड्रेट को लेकर बहुत सी धारणाएं व मिथ्स प्रचलित हैं, जिसके कारण लोग इसे अच्छा नहीं मानते। लेकिन यहां आपको यह जानना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति कार्ब्स को पूरी तरह से डाइट से बाहर नहीं कर सकता। इसके अलावा, कार्ब्स इनटेक के लिए आपके द्वारा चुने गए खाद्य पदार्थ भी एक बड़ा अंतर डालते हैं। तो चलिए आज इस लेख में सेंट्रल गवर्नमेंट हॉस्पिटल के ईएसआईसी अस्पताल की डायटीशियन रितु पुरी आपको कार्ब्स से जुड़े कुछ मिथ्स व उनकी सच्चाई के बारे में बता रही हैं-
सच्चाई- कार्बोहाइड्रेट मैक्रोन्यूट्रिएंट्स हैं जो आपके शरीर में ग्लूकोज में टूट जाता है। आमतौर पर, कार्बोहाइड्रेट दो प्रकार के होते हैं- सिंपल कार्बोहाइड्रेट और कॉम्पलेक्स कार्बोहाइड्रेट। सिंपल ण कार्ब्स मुख्य रूप से फलों और सब्जियों में पाए जाते हैं। साथ ही, रिफाइंड या प्रोसेस्डअनाज, केक और अन्य बेक्ड आइटम्स में भी सिंपल कार्ब्स होते हैं। वहीं, कॉम्प्लेक्स कार्ब्स साबुत अनाज की ब्रेड के साथ-साथ फलियां, आलू और अन्य स्टार्च वाली सब्जियों में पाए जाते हैं। इसलिए सिर्फ कुछ ही आइटम्स में कार्ब्स होते हैं, यह सोचना गलत है।
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सच्चाई- यह कार्ब्स को लेकर एक आम धारणा है। लोगों के मन में यह भ्रम है कि कार्ब्स शरीर के लिए खराब होते हैं और इसलिए इनका सेवन कम करना चाहिए। जबकि ऐसा नहीं है। यह शरीर में एनर्जी का मुख्य स्त्रोत है। इसलिए हर किसी को डेली डाइट में कार्ब्स को अवश्य शामिल करना चाहिए। हालांकि, यहां आपको यह देखना आवश्यक है कि आप किन खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं। मसलन, आपको अनरिफाइंड व होल ग्रेन्स को डाइट में अवश्य शामिल करना चाहिए। अनरिफाइंड कार्ब्स फाइबर का भी एक अच्छा स्त्रोत हैं और इसलिए यह आपके शरीर के लिए बेहद जरूरी है।
सच्चाई- जो लोग अपने वजन कम करना चाहते हैं, उन्हें ऐसा लगता है कि अगर वह कार्ब्स को डाइट से बाहर कर देंगे, तो उनका बॉडी स्टोर फैट जल्द बर्न होता है। हालांकि, यह भी पूरी तरह से सच नहीं है। अमूमन शरीर ईंधन के लिए फैट को बर्न करता है। मील्स के बीच में और डे टाइम एक्टिविटीज के दौरान फैट बर्न होता है। लेकिन यह प्रोसेस तब और भी बेहतर तरीके से हो पाता है, जब सेल्स में कार्ब्स के रूप में थोड़ा ईंधन पहले से ही स्टोर हो। अगर शरीर में ग्लाइकोजन नामक कार्बोहाइड्रेट नहीं होगा, तो शरीर इसे बनाने के लिए फैट के स्थान प्रोटीन को ब्रेक डाउन करता है, जो ठीक नहीं है। इसलिए, यदि आप शरीर की चर्बी को कम करना चाहते हैं, तो आपको अपने आहार में कुछ हद तक कार्बोहाइड्रेट को जरूर शामिल करना चाहिए।
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सच्चाई- यह देखने में आता है कि वर्कआउट से पहले और बाद में अधिकतर लोग मसल्स बिल्डिंग के लिए प्रोटीन इनटेक पर अधिक फोकस करते हैं। लेकिन इसके साथ-साथ कार्ब्स का सेवन करना भी उतना ही जरूरी है। प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट मसल्स को ना केवल ईंधन प्रदान करते हैं, बल्कि उसे रिबिल्ड करने और मजबूत बनाने में भी मदद करते है। ऐसे में यदि कार्बोहाइड्रेट को छोड़ दिया जाता है, तो आप वास्तव में मसल्स मास के लॉस होने या फिर स्लो रिकवरी होने का जोखिम उठाते हैं।
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