देश का एक मुख्य उत्सव और महाराष्ट्र का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार गणेश चतुर्थी आने वाला है। यह ऐसा त्यौहार है जिसकी तैयारी महाराष्ट्र में महीने भर पहले से हो जाती है। जगह-जगह भगवान गणेश के बड़े पंडाल लगते हैं। भगवान के भोज की तैयारियां हो जाती हैं और लड्डू के साथ बनते हैं, उनके प्रिय मोदक। मोदक एक महाराष्ट्रीयन मिठाई है जिसे खासतौर पर इसी उत्सव के लिए बनाया जाता है।
लड्डू तक तो ठीक है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मोदक कैसे बनाए गए होंगे? आखिर भगवान गणेश को यह मिठाई क्यों पसंद है? ऐसा माना जाता है कि बिना मोदक के उनकी पूजा पूरी नहीं हो सकती। आइए इस आर्टिकल में आज हम जानें कि मोदक और भगवान गणेश का क्या संबंध है।
हिंदू पुराणों के अनुसार, यह मिठाई भगवान गणेश को अति प्रिय है। पुराणों के अनुसार, देवी अनुसूया ने भगवान शिव को परिवार सहित अपने यहां खाने पर बुलाया था। इस निमंत्रण में भगवान शिव परिवार के साथ पहुंचे। देवी अनुसूया ने सभी से आग्रह किया कि जब गणपति बप्पा अपना खाना समाप्त करें, तभी सब भोज पर बैठें। लेकिन छोटे से गणपति बार-बार खाना मंगवाते रहे।
यह देख मां पार्वती ने खाने के बाद उन्हें एक मोदक दिया, जिसे खाते ही गणपति बप्पा ने लंबी-सी डकार ली। इतना ही नहीं, भगवान शिव ने भी इसके बाद 21 बार डकार ली। मां पार्वती ने देवी अनुसूया से आग्रह किया कि अब वह अपने बाकी मेहमानों को भोज के लिए बैठा सकती हैं, क्योंकि गणेश जी तृप्त हो चुके हैं। देवी अनुसूया यह देख हैरान हुई और उन्होंने इसकी रेसिपी मां पार्वती से मांगी। इसके बाद, पार्वती जी ने अनुरोध किया कि उनके पुत्र के सभी भक्त उन्हें इक्कीस मोदक अर्पित करें, करेंगे तो भगवान खुश होंगे और उनकी मनोकामना पूरी होगी।
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पाक इतिहासकारों की मानें, तो मोदक एक प्राचीन मिठाई है जो लगभग 200 ईसा पूर्व से अस्तित्व में है। ऐसा कहा जाता है कि इसका उल्लेख आयुर्वेद, रामायण, महाभारत में भी मिलता है जहां इसे मीठी स्टफिंग के साथ पकौड़ी मिष्ठान्न के रूप में बताया गया है।
वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि इस स्वीट डंपलिंग का आविष्कार एक चीनी चिकित्सा व्यवसायी झांग झोंगजिंग ने किया गया था। वह पूर्वी हान राजवंश के रहने वाले थे।
भारत में कई तरह से मोदक बनाए जाते हैं और इसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। इसके सबसे ज्यादा लोकप्रिय वर्जन को उकडीचे मोदक कहा जाता है, जिसे घी के साथ गर्मागर्म खाया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि मोदक की उत्पत्ति महाराष्ट्र में हुई, लेकिन इसे कैसे बनाया गया और किसने बनाया इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं है। भारत में इसके कई नाम हैं, जैसे तमिल में इसे मोथागम या कोझुकट्टई कहा जाता है। तेलुगु में इसे कुदुम कहते हैं और कन्नड़ में मोधका या कडुबु नाम से जाना जाता है।
इसे विशेष रूप से गणेश चतुर्थी के दौरान बनाया जाता है। यह गुड़, ताजा कसा हुआ नारियल, सूखे फल और मीठे हल्के मसालों से भरा हुआ एक एक स्वीट डंपलिंग है। इसका बाहरी शेल सॉफ्ट होता है, जो चावल के आटे या गेहूं के आटे में मैदा मिलाकर बनाया जाता है। अंदर तमाम फिलिंग्स भरी जाती हैं।
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जैसा कि हमने आपको बताया कि भारत में इसे अलग तरह से बनाया जाता है। इसे साइज, आकार और स्वाद में भी काफी भिन्नता होती है। मोदक का सबसे पारंपरिक रूप स्टीम मोदक हैं, जो चावल के आटे से बनाया जाता है और नारियल, गुड़ और मसालों के मिश्रण से भरा होता है। इसी तरह डीप फ्राई मोदक भी काफी लोकप्रिय होता है। इतना ही नहीं, मीठा खाने के शौकीन लोगों के लिए, चॉकलेट मोदक, मावा मोदक और अन्य स्वाद जैसे आम, नुटेला और यहां तक कि आइसक्रीम मोदक अब बाजार में उपलब्ध हैं।
हमें उम्मीद है कि मोदक से जुड़ी यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। इस बार भगवान गणेश का स्वागत तरह-तरह के मोदकों से करें। साथ ही आप भी इनका मजा लें। अगर लेख पसंद आया, तो इसे लाइक और शेयर करें और ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
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