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अंग्रेजों ने बनवाया था लखनऊ का ये सबसे पुराना चर्च, जानें क्या है इसका पूरा इतिहास

इस चर्च में हर साल लोगों की भीड़ उमड़ती है। यहां हर धर्म, जाति, मजहब के व्यक्ति शरीक होते हैं। साथ ही, नये साल के जश्न तक यहां क्रिसमस का जश्न चलता रहता है। <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2023-12-21, 18:19 IST

क्रिसमस के लिए बस कुछ दिन बचे हैं। इस दिन हर कोई चर्च में घूमने का प्लान बनाता है। भारत में ऐसे कई चर्च हैं, जहां का नजारा क्रिसमस के दिन वाकई देखने लायक होता है। लेकिन आज के इस आर्टिकल में हम आपको  लखनऊ के चर्च का इतिहास बताने वाले हैं।

माना जाता है कि इस चर्च को अंग्रेजों ने बनवाया था। लखनऊ के इस चर्च की पूरी जानकारी हम आज के इस आर्टिकल में देंगे। इस चर्च का आकार नाव के आकार का है, जो 1860 में बनकर तैयार हुआ था। 

क्यों बनाया गया यह चर्च?

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दरअसल, 1857 की  क्रांति से पहले यहां 3 चर्च थे। लेकिन यह युद्ध में नष्ट कर दिए गए थे। उस समय अंग्रेजो के पास रविवार की प्रार्थना के लिए भी कोई जगह नहीं बची थी। इसलिए उन्होंने एक नए चर्च की स्थापना का निर्णय लिया। (देश के इन फेमस फोर्ट पर सेलिब्रेट करें क्रिसमस)

अंग्रेज ईसाइयों ने यहां दो साल तक नियमित प्रार्थना सभा की। इस चर्च का डिजाइन रॉयल इंजीनियर्स समूह ने तैयार किया था। इस चर्च को तब  'अंग्रेजों का शहीद स्मारक के नाम से भी जाना जाता था। यहां चर्च में आपको अंग्रेज अफसरों के नाम, जन्मदिन, सेवाएं और मृत्यु की तारीख देखने को मिलेगी, जो 1857 की  क्रांति में मारे गए थे। 

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कहां है लखनऊ का कैथेड्रल चर्च?

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माना जाता है कि शहर का पहला चर्च डालीगंज में बना था। लेकिन जब वहां जगह की कमी हुई, तो 1860 में हजरत गंज की जमीन ली गई। कुछ समय तक यह चर्च छोटे से स्वरूप में ही चलाया जा रहा था। लेकिन 1987 में फिर से इसको नया रूप दिया गया।

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नाव के आकार में क्यों बनाया गया है चर्च?

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नाव के आकार का यह चर्च भारत और इटेलियन आर्किटेक्ट की सोच का प्रमाण है। इस आकार में चर्च बनाने का कारण, स्वर्ग से जुड़ा है। यह आकार लोगों को यह संदेश देता है कि इस नाव में बैठकर ही ईश्वर का रास्ता तय किया जाएगा। यह नाव ही हमें स्वर्ग तक लेकर जाएगी। यह सामाजिक कार्यों में भी भूमिका निभाता है।

यह गरीब परिवार के बच्चों की फीस माफ करवाने के साथ-साथ अनाथलय में भी अपनी सेवा देता है। क्रिसमस के दिन हजरतगंज के कैथेड्रल में जो रौनक उमड़ती है, जिसमें हर धर्म, जाति, मजहब का व्यक्ति शरीक होता है। नये साल के जश्न तक यह क्रिसमस का जश्न चलता रहता है।

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Image Credit- Freepik 

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