नहाय खाय के साथ इस साल 17 नवंबर को छठ पूजा शुरू हो गई है। चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व में व्रती पहले दिन व्रत रखने वाली महिलाएं सुबह स्नान कर पूजा करती है और बाद में साधारण और सादे भोजन ग्रहण करती हैं। इस दिन कद्दू भात या घीया भात का सेवन करती हैं। व्रती के लिए बने भोजन में लहसुन प्याज का उपयोग नहीं किया जाता है। बता दें कि छठी माई के पूजन में फल और सब्जी का विशेष महत्व बताया गया है। छठी मैया को के इस कठोर में कुछ विशेष सब्जियों को शामिल किया जाता है, इन सब्जियों का सेवन व्रती पूजन के बाद जरूर करती हैं। बहुत से लोगों छठ पूजा के डागर में शामिल किए जाने वाले सब्जियों के बारे में नहीं पता होता है। इसलिए आज के इस लेख में हम आपको उन सब्जी के बारे में बताएंगे।
छठी मइया के पूजन के पहले दिन को नहाय खाय कहा जाता है। इस दिन घर में नए चूल्हे या साफ गैस चूल्हा में लौकी की साधारण सब्जी (जिसमें लहसुन प्याज का उपयोग न हो) बनाई जाती है। साथ ही चावल बनाकर इस शुद्ध और सात्विक भोजन को व्रती के लिए बनाया जाता है और नहा धोकर व्रती इस भोजन को ग्रहण करती है।
मूली को भले ही दूसरे पूजा पाठ में शामिल न किया जाए लेकिन छठी मइया को अर्पित किए जाने वाले डागर और सूप में अनिवार्य रूप से 2-3 भाजी समेत मूली को रखा जाता है।
शकरकंद या मीठा आलू इससे आपने कई तरह की डिश खाई होगी लेकिन इसका छठ पूजा में आप महत्व नहीं जानते होंगे। शकरकंद को लेकर यह मान्यता है कि यह सब्जी बहुत शुद्ध और पवित्र होती है, इसे जमीन से खोदर निकाला जाता है इसलिए शकरकंद को सूप और डागर में शामिल किया जाता है।
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छोटे छोटे गोल गोल कद्दू को सूप और डागर में रखी अन्य फल और सब्जी के साथ रखकर छठी मइया और सूर्य देव को भोग लगाया जाता है। कद्दू का उपयोग पहले दिन यानी नहाय खाय के दिन साधारण सब्जी बनाकर चावल जिसे भात कहा जाता है उसके साथ परोसा जाता है।
मूली की तरह ही सूप और डागर में ताजे गाजर को भी शामिल कर छठी मैया को अर्पित किया जाता है।
सिंघाड़ा को लेकर यह मान्यता है कि छठी मैया को यह बहुत प्रिय है इसलिए तालाब से निकाले ताजे और कच्चे सिंघाड़े को पूजन में शामिल किया जाता है।
छठी मैया को अर्पित किए जाने वाले सूप और डागर में कच्ची और ताजी हल्दी और अदरक को भी रखा जाता है।
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