सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। हिंदू धर्म में श्रावण मास का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह शिव भक्तों का सबसे खास महीना होता है। इस महीने में आने वाला सोमवार शिव पूजा, उपासना और आराधना के लिए सबसे खास होता है।
सावन महीने में ही शिव का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक अत्यंत शुभ माना जाता है। इसमें लोग कांवड़ यात्रा पर जाते हैं। कई ऐसे लोग होते हैं, जो हर साल कांवड़ यात्रा में शामिल होते हैं। लेकिन इस साल अगर आप किसी वजह से यात्रा में शामिल नहीं हो रहे हैं, तो यह आर्टिकल आपके काम आएगा। आप इस सावन शिव के फेमस मंदिरों में दर्शन के लिए जा सकते हैं। इन मंदिरों को चमत्कारी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
श्री उमा महेश्वर स्वामी मंदिर क्यों माना जाता है चमत्कारी
आंध्र प्रदेश के कुरनूल शहर लगभग 90 किमी दूर स्थित यह मंदिर शिव भक्तों के लिए सबसे खास माना जाता है। इस प्राचीन मंदिर को पांचवीं शताब्दी का बताया जाता है। इसे लेकर अलग-अलग कहानियां प्रचलित है। कुछ लोगों के मानना है कि यह मंदिर पल्लवों ने बनवाया था। लेकिन कुछ वर्षों बाद विजयनगर के राजाओं ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। इस मंदिर में शिव को लिंग के रूप में नहीं बल्कि मूर्ति के रूप में मापा जाता है।
मंदिर की खासियत
- इस मंदिर में ही भोले बाबा के नंदी का आकार हर साल बढ़ता है। यहां रहने वाले लोगों का मानना है कि पहले नंदी का आकार बहुत छोटा था, लेकिन यह हर साल बढ़ता जा रहा है। इसके साथ ही मंदिर में आपको एक कुंड भी देखने को मिलेगा, जिसमें हमेशा पानी बहता रहता है।
- इस मंदिर को लेकर यह भी कहा गया है कि यहां एक भी कौआ अंदर प्रवेश नहीं कर सकता।
- लोकेशन- हैदराबाद हवाई अड्डा - 290 किमी।
- ट्रेन द्वारा- नंदयाला रेलवे स्टेशन - 48 किमी
- कुरनूल रेलवे स्टेशन - 77.7 किमी
समय
- सुबह 07:00 से 11:00 बजे तक
- शाम 05:00 से 08:00 बजे तक
भवानी संगमेश्वर मंदिर
इस मंदिर को थिरुनाना और थिरुकुडुथुरई के नाम से भी जाना जाता है। यह तमिलनाडु के इरोड जिले के भवानी में स्थित है। यह मंदिर भोलेनाथ को समर्पित है। सात नदियों के बीच स्थित संगमेश्वर मंदिर अद्वितीय है। सप्तनदी संगम के नाम से मशहूर भगवान शिव हर साल गर्मी के मौसम में ही भक्तों को दर्शन देते हैं। इसे दुनिया का एकमात्र शिव मंदिर माना जाता है, जहां सात नदियों का संगम होता है। यह तमिलनाडु के सबसे अच्छे मंदिर में से एक है।
- कैसे पहुंचे- अगर आप इरोड से आ रहे हैं, तो 15 किमी की दूरी तय करनी पड़ेगी। इसके अलावा गोबीचेट्टीपलयम से 30 किमी, सलेम से 56 किमी और कोयंबटूर से 106 किमी दूर है।
छाया सोमेश्वर
भोले बाबा का यह मंदिर हैदराबाद से लगभग 102 किमी दूर है। इस मंदिर में स्थित शिव लिंगम पर हर दिन एक छाया रहती है। इसलिए मंदिर को छाया सोमेश्वर के नाम से जाना जाता है।
- कैसे पहुंचे- पनागल बस स्टेशन से 1.4 किमी और नल गोंडा बस स्टेशन से 4 किमी की दूरी पर है।
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image credit- freepik
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