Maha Shivaratri 2025: नटराज रूप में स्थापित है यहां भगवान शिव, सिर्फ दर्शन मात्र से मुरादें होती हैं पूरी

Famous Shiva Temples: अगर आप भी महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान शिव का दर्शन करना चाहते हैं, तो दक्षिण भारत के इस पवित्र और प्रसिद्ध मंदिर पहुंच जाए। यह देश के उन मंदिरों में से एक है, जहां भगवान शिव नटराज के रूप में विराजमान है।
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South India Famous Shiva Temples: इस साल 26 फरवरी को पूरे देश भर में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। इस खास मौके पर कई शिव भक्त दिन भर उपवास रखते हैं, तो कई शिव भक्त भगवान शिव का दर्शन करने मंदिर पहुंचते हैं।

देश में ऐसे कई विश्व प्रसिद्ध और पवित्र शिव मंदिर मौजूद हैं, जहां सिर्फ महाशिवरात्रि के मौके पर ही नहीं, बल्कि अन्य दिनों में भी हजारों की संख्या में भक्त अपनी-अपनी मुरादें लेकर पहुंचते हैं।

देश के अन्य हिस्सों की तरह दक्षिण भारत में से भी एक से बढ़कर एक विश्व प्रसिद्ध और पवित्र शिव मंदिर मौजूद हैं। दक्षिण भारत में स्थित थिल्लई नटराज भी एक ऐसा ही शिव मंदिर है, जिसके दर्शन मात्र से भक्तों की मुरादें पूरी हो जाती हैं।

इस आर्टिकल में आपको थिल्लई नटराज मंदिर का इतिहास, पौराणिक कथा और अन्य जुड़े कई तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर आप भी यहां पहुंच सकते हैं।

थिल्लई नटराज मंदिर कहां है? (Where Is Thillai Nataraja Temple)

Where Is Thillai Nataraja Temple

थिल्लई नटराज मंदिर का इतिहास और पौराणिक कथा जानने से पहले आपको यह बता दें कि यह पवित्र मंदिर दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित है। जी हां, यह मंदिर तमिलनाडु के चिदंबरम शहर में स्थित है, इसलिए इस मंदिर को कई लोग चिदंबरम शिव मंदिर के नाम से भी जानते हैं। यह देश के उन मंदिरों में से एक है, जहां भगवान शिव नटराज के रूप में विराजमान है।

आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दें कि थिल्लई नटराज मंदिर, तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से करीब 235 किमी दूर है। इसके अलावा, यह मंदिर पुडुचेरी से करीब 69 किमी और तमिलनाडु के मयिलाड़ुतुरै शहर से सिर्फ 39 किमी की दूरी पर मौजूद है।

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थिल्लई नटराज मंदिर का इतिहास (Thillai Nataraja Temple History)

Thillai Nataraja Temple History

थिल्लई नटराज मंदिर यानी चिदंबरम शिव मंदिर का इतिहास काफी पुराना माना जाता है। इस मंदिर के इतिहास को लेकर प्रमाणिक तथ्य नहीं है कि इसका निर्माण कब हुआ था, लेकिन कई लोगों का मानना है कि इसका निर्माण 5 वीं शताब्दी के आसपास में हुआ था।

एक अन्य लोककथा के अनुसार इस भव्य मंदिर का निर्माण 7 वीं शताब्दी के आसपास में पल्लव राजाओं द्वारा बनवाया गया था और कई वर्षों बाद में चोल और विजयनगर राजवंशों द्वारा रखरखाव देखा गया था।

थिल्लई नटराज मंदिर की वास्तुकला (Thillai Nataraja Temple Architecture)

Thillai Nataraja Temple Architecture

थिल्लई नटराज मंदिर अपनी वास्तुकला से भी भक्तों को खूब आकर्षित करता है। कहा जाता है कि यहां स्थित पत्थर और खंभे पर शिव का अनोखा रूप दिखाई देता है। यहां हर जगह भरतनाट्यम नृत्य की मुद्राएं उकेरी गई हैं, जिसे भक्त देखकर हैरान हो जाते हैं।

थिल्लई नटराज मंदिर में नौ द्वार हैं। माना जाता है कि इस मंदिर में पांच मुख्य हॉल और सभा घर है। इस मंदिर की बाहरी दीवारों की वास्तुकला भी सैलानियों को खूब आकर्षित करती है। इस मंदिर परिसर में गोविंदराज और पंदरीगावाल्ली का भी मंदिर मौजूद है।

थिल्लई नटराज मंदिर की पौराणिक कथा (Thillai Nataraja Temple Myth)

Thillai Nataraja Temple Myth

थिल्लई नटराज मंदिर की पौराणिक कथा काफी दिलचस्प है। पौराणिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव और देवी पार्वती में नृत्य प्रतिस्पर्धा हुई, लेकिन इस नृत्य में कोई जीत हासिल न कर सका। इसके बाद भगवान शिव पैर से उठाई मुद्रा में नृत्य करने का फैसला किया। जब भगवान शिव ने उठाई मुद्रा में नृत्य किया तो माता पार्वती हार मां गई। इसके बाद भगवान शिव को यहां नटराज के रूप में स्थापित किया गया था।

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थिल्लई नटराज मंदिर दर्शन का समय (Thillai Nataraja Temple Timing)

Thillai Nataraja Temple Timing

थिल्लई नटराज मंदिर दर्शन का समय सुबह 6 बजे से लेकर 12 बजे तक और फिर 5 बजे से लेकर रात 10 बजे तक माना जाता है। यह मंदिर सप्ताह के हर दिन खुला रहता है। महाशिवरात्रि और अन्य कई विशेष मौके पर यहां लाखों की संख्या में शिव भक्त अपनी-अपनी मुरादें लेकर पहुंचते हैं। कहा जाता है कि यहां जो भी सच्चे मन से पहुंचता है, उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं।

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