अल्फांसो आम का इतना अजीब नाम कैसे पड़ा?

अल्फांसो आम के बारे में आपने सुना तो होगा ही, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस देसी आम का विदेशी नाम कैसे पड़ा? 

How alphonso got its name

क्या आपको आम की अलग-अलग वेराइटी के बारे में पता है? दशहरी, तोतापरी, सिंदूरी, लगड़ा, सफेदा के साथ-साथ ये अल्फांसो आम भी बहुत ज्यादा फेमस है। अल्फांसो आम जिसने भी खाया है उसे ये तो पता होगा कि इसका सीजन बहुत छोटा होता है और ये बहुत ही ज्यादा महंगा होता है।

ये ना जाने कितने देशों में एक्सपोर्ट भी किया जाता है और ये अपने स्वाद के साथ-साथ अपने परफेक्ट रंग और खुशबू के लिए भी जाना जाता है। इसका गूदा कुछ-कुछ ऑरेंज होता है और स्वाद काफी स्मूद। ये आम भारत में उगाया जाता है, यहां से एक्सपोर्ट भी किया जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचने की कोशिश की है कि आखिर ये आम देसी होते हुए भी विदेशी क्यों लगता है और इसका नाम ऐसा क्यों है?

आखिर कैसे पड़ा अल्फांसो आम का नाम?

अल्फांसो आम असल में अफोंसो डे अल्बुकुरक्यू (Afonso de Albuquerque) के नाम पर पड़ा था जो भारत में पुर्तगाली कालोनी स्थापित करने के लिए आए थे।

alphonso mango and its variety

वो पुर्तगाली लोग ही थे जिन्होंने आम के पेड़ों को ग्राफ्टिंग के जरिए उगाने का तरीका बताया और इससे बना अल्फांसो आम। ये कोंकण, महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के कुछ इलाकों में पाया जाता है।

भारत में 1000 से भी ज्यादा है आम की वैरायटी

भारत में आम की वैरायटी 1000 से भी ज्यादा है और ऐसे में अल्फांसो को फलों का राजा इसलिए कहा जाता है क्योंकि वो खास तरह से उगाया जाता है। इस आम से बेस्ट ड्रिंक्स बनती है और साथ ही साथ इसमें गूदा भी बहुत अच्छा मिलता है। ऐसा नहीं है कि अल्फांसो की कई वेराइटी नहीं है, लेकिन बेस्ट अल्फांसो रत्नागिरी में उगाया जाता है जिसके लिए मौसम से लेकर पर्याप्त मिट्टी तक बहुत कुछ शामिल होता है। यही कारण है कि रत्नागिरी में मिलने वाला अल्फांसो महंगा होता है।

alphonso mango variety

आपने देखा होगा कि अल्फांसो आम हमेशा ही किसी तरह की ड्रिंक आदि में इस्तेमाल किया जाता है। बाहर मिलने वाली मैंगो ड्रिंक्स जैसे स्लाइस और फ्रूटी आदि में भी अल्फांसो का इस्तेमाल किया जाता है ऐसा दावा कंपनियां करती रहैं। अल्फांसो आम लंदन में भी बहुत फेमस है और इंगलैंड में इसका निर्यात किया जाता है।

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अल्फांसो आम की ग्राफ्टिंग की तकनीक को सिखाने वाले के नाम पर इसका नाम रख तो दिया गया, लेकिन उसके बाद से इसे लेकर कई एक्सपेरिमेंट्स किए गए। अल्फांसो आम को ना जाने कितनी तरह से उगाया जाता है और इसके लिए अब ज्योग्राफिकल रीजन भी निर्धारित कर दिया गया है। हालांकि, कुछ लोगों का दावा ये भी है कि अफांसो ने कोई तकनीक नहीं सिखाई थी बल्कि इतने आम खाने के बाद उसे जो आम सबसे ज्यादा पसंद आया था उसका नाम अल्फांसो रख दिया गया था।

आम के बारे में ये जानकारी आपको कैसी लगी ये हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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