दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु में स्थित कांचीपुरम को वाराणसी के बाद देश के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। यहां पर एक या दो नहीं, बल्कि बहुत अधिक संख्या में मंदिर स्थित है, इसलिए इसे हज़ार मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। जो भी व्यक्ति एक अद्भुत आध्यात्मिक यात्रा का अनुभव करना चाहता है, वह कांचीपुरम अवश्य आता है। हिन्दू धम के अनुयायियों द्वारा इस शहर को एक तीर्थ स्थल के रूप में गिना जाता है।
ये मंदिर ना केवल धार्मिक दृष्टिकोण से अलग महत्व रखते हैं, बल्कि मंदिरों में खूबसूरत पत्थर की नक्काशी और कारीगरों की उत्कृष्ट शिल्पकला भी बस देखते ही बनती है। कांचीपुरम आने वाला हर यात्री अपनी ट्रेवल बकिट लिस्ट में इन मंदिरों को जरूर शामिल करता है। हर मंदिर की अपनी एक अलग महत्ता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कांचीपुरम में स्थित कुछ मंदिरों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें आपको एक बार जरूर देखना चाहिए-
कांची कामाक्षी अम्मन मंदिर (Kanchi Kamakshi Amman Temple)
तमिलनाडु और उसके आस-पास कई अम्मन मंदिर हैं, लेकिन इनमें सबसे प्रसिद्ध मंदिर कांचीपुरम में सर कामाक्षी अम्मन मंदिर है। यह मंदिर 5 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है और मदुरै मीनाक्षी अम्मन के बाद सबसे सुंदर अम्मन मंदिर है। श्री कामाक्षी अम्मन मंदिर के भक्त दुनिया भर से आते हैं और मंदिर में हमेशा भीड़ रहती है। इस मंदिर की वास्तुकला पूरी तरह से द्रविड़ियन है और माना जाता है कि यह 1000 साल पुराना है। भले ही यह एक अम्मन मंदिर है, लेकिन यहां अन्य हिंदू देवता भी मौजूद हैं। देवी लक्ष्मी, भगवान विनायक, भगवान अय्यप्पन, भगवान कालभैरवर, देवी महिषा सुर मर्थिनी, भगवान शिव, भगवान मुरुगा और कलवर पेरुमल के लिए अलग-अलग गर्भगृह हैं।
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एकम्बरेश्वर मंदिर (Ekambaresvara Temple)
एकम्बरेश्वर शब्द का शाब्दिक अर्थ है आम के पेड़ का भगवान। एकम्बरेश्वर की कथा 12वीं शताब्दी के ग्रंथ, प्रिय पुराणम में वर्णित है। ऐसा कहा जाता है कि उमा ने रेत से बने लिंग के रूप में यहाँ शिव की पूजा की थी। उमा की भक्ति से शिव प्रसन्न हुए और बाद में उनके सामने प्रकट हुए। अंत में, दिव्य युगल ने एक आम के पेड़ के नीचे विवाह किया। माना जाता है कि 3500 साल पुराने पेड़ के लिए एक मंदिर इस दिव्य घटना का स्थल है। एकम्बरेश्वर मंदिर न केवल कांचीपुरम बल्कि तमिलनाडु में भी सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। यहां का शिव लिंग ’पंचभूत लिंगों’ के समूह का हिस्सा है। पारंपरिक मान्यता के अनुसार, मंदिर का मुख्य लिंग वही है जिसे उमा ने रेत से बनाया था। इसलिए पुजारी लिंग पर अभिषेक नहीं करते, क्योंकि ऐसा करने से लिंग बह जाएगा।
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श्री वरदराज पेरुमल मंदिर (Sri Varadaraja Perumal Temple)
यह मंदिर भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर में 100 स्तंभों वाला हॉल है, जिसमें रामायण और महाभारत को दर्शाती सराहनीय मूर्तियां हैं। यह श्री वरदराज पेरुमल मंदिर की सबसे खास विशेषता है। इस मंदिर के मुख्य देवता भगवान वरदराज पेरुमल हैं। इस मंदिर की एक विशेषता विशाल अथिवरथर पेरुमल प्रतिमा है जिसे हर 40 साल में एक बार बाहर लाया जाता है।
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