केरल के तिरुअनंतपुरम का नाम भगवान विष्णु को समर्पित कर रखा गया था। इसे भगवान अनन्त का शहर भी कहा जाता है और प्रख्यात श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर भी स्थित है। पद्मनाभ स्वामी, भगवान विष्णु की नाभि से खिलते हुए कमल पर बैठे भगवान ब्रह्मा (निर्माता) के उद्भव को दर्शाता है।
पद्मनाभ स्वामी नाम, जहां 'पद्म' कमल को संदर्भित करता है, 'नाभ' का अर्थ नाभि और 'स्वामी' भगवान है। यहां, भगवान पद्मनाभ स्वामी को आदि शेष (जिसे शेष नाग के नाम से भी जाना जाता है) पर लेटे हुए (अनंत शयनम, जिसका अर्थ शाश्वत नींद की स्थिति है) मुद्रा में देखा जाता है।
यह अपने अथाह धन-संपत्ति के कारण चर्चा में रहता है और इसी के साथ एक ऐसी चीज भी इस मंदिर से जुड़ी है, जो आज तक रहस्य बनी हुई है। इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर में कई गुप्त तहखाने बने हैं, जिनमें से कुछ को तो अतीत में खोला जा चुका है, लेकिन एक दरवाजा ऐसा है, जिसे खोल पाना नामुमकिन है।
ऐसा भी कहा जा सकता है कि इस दरवाजे को खोल पाना किसी के लिए संभव नहीं है और न ही कोई बता सकता है कि इसके पीछे आखिर क्या गहरा राज छिपा है। यह रहस्यमयी दरवाजा वॉल्ट बी के नाम से जाना जाता है। इसके पीछे की क्या कहानी है, आइए आपको बताएं।
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ऐसा माना जाता है कि इसे सोलहवीं सदी में त्रावणकोर के राजाओं ने ने बनाया था, जिसके हिसाब से यह लगभग 5000 साल पुराना है। ऐसा भी कहा जाता है कि त्रावणकोर के राजा भगवान विष्णु के परम भक्त हुआ करते थे और उन्होंने अपना सब कुछ भगवान विष्णु को समर्पित कर दिया था। उसके बाद 1750 में महाराज मार्तण्ड वर्मा ने खुद को भगवान का दास घोषित किया, जिसके बाद से मंदिर की देखरेख राजघराना करने लगा।
भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर में भगवान की इतनी बड़ी मूर्ति है कि उनके दर्शन मंदिर में बने तीन दरवाजों से की जा सकती है। पहले द्वार से देवता का सिर दिखाई देता है, केंद्र में द्वार से भक्त भगवान की नाभि से खिलते हुए कमल को देख सकता है और अंतिम द्वार से उसके चरण देख सकते हैं।
इस मंदिर को भारत के सबसे बड़े, रहस्यमयी और अथाह खजाने वाले मंदिर के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर में ऐसे तहखाने हैं, जिन्हें वॉल्ट ए,बी, सी, डी, ई और एफ नाम दिया गया है। हालांकि साल 2014 की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि यहां दो अन्य तहखान और हैं, जिन्हें वॉल्ट जी और एच नाम दिया गया।
सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी सुंदरराजन ने मंदिर के बेहिसाब खजाने का जायजा लेने के लिए 2011 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। साल 2011 में इस मंदिर के तहखाने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में खोले जा चुके हैं, जिसमें बहुत सा धन, सोने-चांदी और हीरे-जवाहरात मिले हैं और उनकी कीमत खरबों में आंकी गई है। वॉल्ट बी जिसे निलावरस या काल्लरा (Nilavaras/Kallara) कहा गया, वो खुला ही नहीं। ऐसा माना जाता है कि इससे खोलने का काम जो भी करेगा वो दुर्भाग्य को निमंत्रण देगा।
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माना जाता है कि वॉल्ट बी को नागों द्वारा संरक्षित किया जाता है। मान्यता है कि लोककथाओं वाला वैम्पायर जिसका नाम कांजीरोट्टू यक्षी था, अन्य अलौकिक देवता के साथ इसकी रक्षा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी दरवाजे खोलने की कोशिश करता है वह मुसीबत को आमंत्रित करता है। इस बात पर पहले शायद किसी को विश्वास न हुआ हो, मगर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले अधिकारी ने जब इसे खुलवाने की कोशिश की थी तो कुछ हफ्ते बाद ही उनकी मृत्यु ने इसे साबित कर दिया था।
ऐसा भी कहा जाता है कि साल 1931 में भगवान विष्णु के मंदिर के दरवाजे को खोलने की कोशिश की जा रही थी तो हजारों नागों ने मंदिर के तहखाने को घेर लिया था और उनके काटने से ऐसा कोशिश करने वालों की मौत हो गई थी।
यह रहस्यमयी दरवाजा लकड़ी है और ऐसा कहा जाता है कि यह किसी सांकल, जंजीर या बोल्ट आदि से नहीं बल्कि कुछ खास मंत्रों के उच्चारण से बंद किया गया था। दरवाजे पर दो सांपों की आकृति बताती है कि कुछ ऋषियों ने नाग पाशम जैसे शक्तिशाली मंत्र से बांधा है और अब गरुड़ मंत्र का सही उच्चारण जानने वाला कोई ज्ञानी ही इसे खोल सकता है, लेकिन यह इतना मुश्किल है कि उच्चारण में थोड़ी सी चूक भी किसी के लिए मुसीबत खड़ी सकती है (भारत के रहस्यसी मंदिर)।
इस मंदिर में भृगु मुनि और मार्कण्डेय मुनि (कटुसरका से बनी), गरुड़ (भगवान विष्णु के वाहन), नारद (भगवान विष्णु के परम भक्त), तंबुरु (एक खगोलीय संगीतकार), सूर्य ( सूर्य देव), चंद्र (चंद्र देव), सप्तर्षि (सात ऋषि), मधु और कैटभ (दो राक्षस) की मूर्तियां भी हैं, जिनके दर्शन किए जा सकते हैं।
आप अगर इस मंदिर के दर्शन कर चुके हैं तो अपने अनुभव हमारे साथ शेयर जरूर करें। इस रहस्यमयी दरवाजे के बारे में आपका क्या मानना है वो भी बताएं। अगर आपको यह लेख पसंद आया तो इसे लाइक और शेयर जरूर करें। ऐसे अन्य रोचक ट्रैवल डेस्टिनेशन के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहें हरजिंदगी।
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