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ये खास फूल देखने के लिए अभी कर लीजिए तैयारी, नहीं तो साल 2030 तक करना होगा इंतजार

नीलकुरिंजी फूल भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के सैलानियों के लिए कौतुहल का विषय हैं। अगर आपने इस बार आपने यहां घूमने का मौका गंवाया तो साल 2030 तक करना होगा इंतजार। <div>&nbsp;</div>
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-08-30, 10:42 IST

घूमने के लिए यह मौसम पूरी तरह मुफीद है। अगर आप इस समय में दक्षिण का रुख करना चाहती हैं तो आपको कोडईकनाल के नीलकुरिंजी फूलों को देखने जरूर जाना चाहिए। इन फूलों की खासियत यह है कि ये 12 सालों में सिर्फ एक बार खिलते हैं। इस यात्रा पर जाते हुए आपको नीलकुरिंजी फूलों से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य जरूर जानने चाहिए-

Neelakurinji KODAIKANAL WESTERN GHAT FLOWER inside

अभी घूमें या साल 2030 में

इन दिनों पश्चिमी घाट नीलकुरिंजी के फूलों से गुलजार है। दक्षिण की पहाड़ियों पर ये फूल इससे पहले साल 2006 में खिले थे। हल्के नीले रंग के ये फूल बहुत मनमोहक होते हैं और इनसे पूरा इलाका ही नीला सा नजर आता है। कोडइकनाल की पहाड़ियों पर चारों तरफ नीलकुरिंजी के फूलों से नजारा अद्भुत हो जाता है। अगर आप इस बार यहां घूमने नहीं जा पा रहीं तो अगली प्लानिंग साल 2030 में ही करें क्योंकि इससे पहले आपको इस फूलों के दर्शन नहीं होने वाले।

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'नीलकुरिंजी' नाम ऐसे पड़ा

नीलकुरिंजी का नाम नीला दिखने की वजह से पड़ा। 'नील' यानी नीला रंग और 'कुरिंजी' का अर्थ स्थानीय भाषा में फूल होता है। इन फूलों के बीच अपने नियमित चक्र में हर तरफ बिखर जाते हैं और इसीलिए हर तरफ नीलकुरिंजी के फूल ही नजर आते हैं। यह रिच बायोडायवर्सिटी का प्रतीक है। यह ऐसा फूल है, जिसका पर्यावरणविदों को इंतजार रहता है। भारत और दुनियाभर से लोग इन फूलों को देखने के लिए यहां आते हैं। 

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शोला फॉरेस्ट के पश्चिमी घाटों की प्रजाति

यूं तो भारत में नीलकुरिंजी की 46 किस्में पाई जाती हैं, लेकिन नीलकुरिंजी पश्चिमी घाट के शोला जंगलों वाली किस्म है। शोला दक्षिण भारत के ट्रॉपिकल माउंटेन फॉरेस्ट हैं, कोडईकनाल के प्रिंसेस हिल्स के हिस्से के तौर पर शोला फॉरेस्ट में नीलकुरिंजी की बहार देखते ही बनती है। 

फूलों से उम्र का लगाया जाता था अंदाजा

कोडईकनाल में रहने वाली पालियान और पुलियान प्रजाति के लोग 'नीलकुरिंजी' से अपनी उम्र का अंदाजा लगाया करते थे। हर बार फूल खिलने पर इस प्रजाति के लोग अपनी उम्र में 12 साल और जोड़ लेते थे। 

 

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