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जानें क्या है हुगली नदी की उत्पत्ति की कहानी और उसका इतिहास

आइए जानें पश्चिम बंगाल की जीवन रेखा हुगली नदी के इतिहास और उद्गम की कहानी। 
Editorial
Updated:- 2021-12-14, 15:47 IST

जब भी हमारे देश में नदियों की बात आती है पवित्र नदियों में गंगा, यमुना, सरस्वती के साथ हुगली नदी का भी नाम लिया जाता है। वैसे आमतौर पर जब भी नदियों की पवित्रता की बात आती है दिमाग में गंगा नदी की ही बात ही आती है। लेकिन जब भी पश्चिमी बंगाल के इतिहास में नदियों की कहानी याद की जाती है तब हुगली नदी को भला कौन भूल सकता है। हावड़ा ब्रिज की खूबसूरती की बात आए तो इस नदी से ही ब्रिज की खूबसूरती कई गुना बढ़ जाती है। हुगली नदी पश्चिम बंगाल की महत्वपूर्ण नदियों में से एक है।

हुगली नदी सदियों से लगभग 260 किमी लंबी गंगा नदी की एक शाखा के रूप में अस्तिजत्व में है। यह नदी मुर्शिदाबाद से निकलती है जहां गंगा नदी दो भागों में विभाजित हो जाती है जिसमें बांग्लादेश से बहने वाले भाग को पद्मा कहा जाता है और दूसरा भाग हुगली नदी के नाम से जाना जाता है। हुगली नदी जो बंगाल की खाड़ी से मिलने के लिए पश्चिम बंगाल के एक भारी औद्योगिक क्षेत्र से दक्षिण की ओर बहती है उसे अगर पूरे पश्चिमी बंगाल की जान कहा जाए तो गलत नहीं होगा। आइए जानें क्या है हुगली नदी का इतिहास और इसका उद्गम कहां से होता है।

हुगली नदी का उद्गम स्थान

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हुगली नदी की उत्पत्ति की बात की जाए तो इसका उद्गम स्थान मुर्शिदाबाद ज़िले में गिरिया के समीप बताया जाता है, लेकिन नदी का अधिकांश जल वहां से न होकर फ़रक्का बांध से तिलडांगा के समीप गंगा नदी का जल लाने वाली फ़रक्का फ़ीडर नहर से आता है। फ़रक्का फ़ीडर नहर गंगा नदी के समानांतर चलती हुई धुलियान के पास से गुज़रती है और फिर जांगीपुर में भागीरथी नदी में मिल जाती है। हुगली नदी फिर दक्षिण की ओर मुर्शिदाबाद ज़िले में जियागंज-आज़िमगंज, मुर्शिदाबाद और बहरामपुर को पार कर पलाशी के उत्तर में गुज़रती है। इसके बाद यह नदी दक्षिण की ओर बहती हुई काटोया, नवद्वीप, कालना और जिराट को पार करती है। कालना के समीप इसका मार्ग पहले पश्चिम बंगाल के नदिया और हुगली जिले की सीमा था। हुगली नदी की दो सहायक नदियों के दामोदर नदी और रूपनारायण नदी हैं। गंगा नदी की अन्य धाराओं की भांति हुगली-भागीरथी नदी को भी हिन्दुओं द्वारा पवित्र माना जाता है।

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हुगली नदी की गहराई

हुगली नदी की गहराई की बात की जाए तो इसकी औसत गहराई लगभग 108 फीट और अधिकतम गहराई है 381 फीट है। हावड़ा में यह अधिकतम गहराई 147 फीट के साथ बहती है। बैरकपुर और सेरामपूर में इस नदी की अधिकतम गहराई 300 फीट है। नैहाटी और बैंडेल, तो इसकी अधिकतम गहराई 48 फीट के बीच है।

हुगली नदी का ज्वार-भाटा

हुगली नदी का ज्वार-भाटा एक ऐसी घटना है जो बहुत चर्चित विषय है, जो तेजी से चल रहे ज्वार का परिणाम है जो एक नदी की घटना को जन्म देती है। अक्सर 7 फीट से अधिक, ये ज्वार नदी और तट पर छोटी नावों को नष्ट करने के लिए जाने जाते हैं। शुष्क मौसम में पानी का सबसे निचला बिंदु और बारिश के मौसम में पानी के उच्चतम बिंदु में लगभग 20 फीट का अंतर होता है। हुगली नदी पश्चिम बंगाल के लोगों की जीवन रेखा में से एक है। हुगली नदियों के पास के महत्वपूर्ण शहर जियागंज, अजीमगंज, मुर्शिदाबाद और बहरामपुर हैं।

पश्चिम बंगाल की जीवन रेखा

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हुगली नदी पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए जीवन रेखा है। हुगली नदियों के पास के महत्वपूर्ण शहर जियागंज, अजीमगंज, मुर्शिदाबाद और बहरामपुर हैं। इतिहास में हुगली नदी के किनारे बहुत सारी व्यापारिक बस्तियां बनाई गईं थीं। पुर्तगालियों से लेकर फ्रांसीसी और ब्रिटिश तक, सभी की अपनी व्यावसायिक बस्तियां नदी के किनारे बसी थीं। अभी भी हुगली नदी के किनारे पश्चिम बंगाल का सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बसा हुआ है। इस नदी की इसकी कभी न खत्म होने वाली जल आपूर्ति से पूरा पश्चिम बंगाल लाभ लेता है।

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हुगली नदी का इतिहास सदियों पुराना है और सदियों से इस नदी ने पश्चिम बंगाल को अपने जल से सींचा है। इसका इतिहास इस नदी को बेहद खास बनाता है और भारत की पवित्र नदियों की कहानी बयां करता है।

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Image Credit: shutterstock, pixabay and unsplash

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