बेहद खास है मंदाकिनी नदी, उद्गम स्थान और पौराणिक कथा के बारे में जानें

Mandakini River: अगर आप भी भारत की सबसे प्राचीन नदियों में शामिल मंकदानी नदी का उद्गम स्थल और पौराणिक कथा के बारे में जानना चाहते हैं तो फिर आपको इस लेख को जरूर पढ़ना चाहिए।

 

about mandakini river origin and history

Mandakini River Origin And History In Hindi: भारत का प्राचीन इतिहास जब भी पढ़ा जाता है तो नदियों का जिक्र जरूर होता है, क्योंकि प्राचीन काल में भी कुछ नदियां जीवनदायक का काम करती थी और आज भी करती हैं।

गंगा, यमुना, कावेरी, गोदावरी जैसी नदियों का पानी आज भी कई राज्यों और शहरों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए इन नदियों के संरक्षण पर भी खासा ध्यान दिया जाता है। वैसे तो उत्तराखंड की धरती से दर्जनभर से अधिक नदियां निकलती हैं, लेकिन मंदाकिनी नदी एक ऐसी नदी है जो सामरिक महत्व के साथ-साथ पौराणिक कहानियों के लिए भी प्रसिद्ध है।

इस लेख में हम आपको मंदाकिनी नदी का उद्गम स्थल, इतिहास और पौराणिक कथाओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे आप भी जरूर जानना चाहेंगे। आइए जानते हैं।

मंदाकिनी नदी का उद्गम स्थल

mandakini river origin

मन्दाकिनी/मंदाकिनी नदी भारत के उत्तराखंड राज्य में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। यह अलकनंदा नदी की एक उपनदी भी है। मंदाकिनी नदी उत्तराखंड के केदारनाथ के निकट से निलकती है।(भारत की श्रापित नदियां)

मंदाकिनी का स्रोत केदारनाथ के निकट चाराबाड़ी हिमनद है। सोनप्रयाग में मंदाकिनी नदी वासुकिगंगा नदी द्वारा जलपोषित होती है। रुद्रप्रयाग में यह नदी अलकनंदा नदी में मिल जाती है। इसके बाद अलकनन्दा नदी देवप्रयाग की ओर आगे बढ़ती है भागीरथी नदी से मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती है। इसलिए देवप्रयाग को पवित्र धार्मिक स्थल माना जाता है।

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मंदाकिनी नदी का महत्व

mandakini river

आज से नहीं बल्कि वर्षों से मंदाकिनी नदी भारत के लिए ऐतिहासिक महत्व रखती है। इस नदी का पानी उत्तराखंड के साथ-साथ मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई शहरों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। आज भी सिंचाई के लिए कई शहर इसी नदी का पानी इस्तेमाल करते हैं। सिंचाई के अलावा कई शहरों में इस नदी का पानी पीने के लिए भी उपयोग किया जाता है।

मंदाकिनी नदी की पौराणिक कथा

mandakini river mythology

मंदाकिनी नदी की पौराणिक कथा बेहद ही दिलचस्प है। पौराणिक मान्यता के अनुसार ऋषि अत्रि को एक दिन बहुत तेज प्यास लगी थी और उनकी पत्नी अनुसुइया के प्रयासों से इस नदी की जलधारा को प्रकट किया गया था। उद्गम स्थल से कुछ ही दूरी पर अनुसुइया का मंदिर भी है।(गिरि नदी का उद्गम स्थान और इतिहास)

एक अन्य कथा है कि रामायण, श्रीमद्भागवत व कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम जैसे प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में भी मंदाकिनी नदी का वर्णन देखने को मिलता है।

एक अन्य पौराणिक कथा है कि वनवास के दौरान चित्रकूट में भगवान श्रीराम ने मंदाकिनी नदी में डुबकी लगाई थी। जिस स्थान पर भगवान राम ने डुबकी लगाई थी उसे आज 'रामघाट' के नाम से जाना जाता है।

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मंदाकिनी नदी के जीर्णोद्धार का कार्य

about mandakini river

पिछले साल ही मध्य प्रदेश की सरकार द्वारा मंदाकिनी नदी के जीर्णोद्धार की खबर सामने आई थी। इसके द्वारा नदी की साफ-सफाई से लेकर नर्मदा और मंदाकिनी को मिलाने का कार्य भी निर्धारित किया गया था। इसके अलावा बांध बनाने का कार्य भी जीर्णोद्धार में शामिल है।

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