देश भर में भगवान सूर्य को समर्पित कई मंदिर है। भारत के साथ-साथ विदेशों में भी आपको सूर्य मंदिर देखने को मिल जाएंगे। सूर्य देव के इन मंदिरों को भक्तों की सुख-समृद्धि और लंबी आयु के लिए जाना जाता है। माना जाता है कि सूर्य देव आरोग्य देवता हैं। अगर कोई भक्त किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है, तो वह भगवान के दर्शन से अपने अच्छे स्वास्थ्य की मन्नत मांगने आ सकता है। साथ ही, भगवान सूर्य देव भक्तों के सभी पाप हर लेते हैं।
कई लोगों का मानना है कि सूर्य की पूजा करने से स्वास्थ्य, आय और धन की प्राप्ति होती है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां आप अपने पूरे परिवार के साथ दर्शन के लिए आ सकते हैं और उनके अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए मन्नत मांग सकते हैं।
कोणार्क सूर्य मंदिर
यह सुंदर और सबसे प्रसिद्ध सूर्य मंदिर ओडिशा के कोणार्क में स्थित है। इस मंदिर के बारे में लोग अलग-अलग इतिहास बताते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इसका निर्माण भगवान कृष्ण के पुत्र साम्ब ने करवाया था। यह मंदिर चंद्रभागा नदी के तट पर स्थित है। यहभारत के सबसे सुंदर मंदिरमें से एक है।
इस मंदिर का आकार देश के सबसे अनोखे मंदिरों में से एक माना जाता है। क्योंकि, यह रथ के आकार में बना हुआ है। इस मंदिर में आज भी कई रहस्य हैं। रथ के आकार के इस मंदिर में आपको 12 पहिए नजर आएंगे, जिसे 7 घोड़े खींच रहे हैं। यह मंदिर देश के सबसे खास मंदिरों में एक माना जाता है।
समय- मंदिर सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक खुला रहता है।
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रांची सूर्य मंदिर
झारखंड की राजधानी रांची में भी आपको एक सूर्य भगवान को समर्पित प्रसिद्ध मंदिर देखने को मिलेगा। यह रांची, टाटा रोड से 29 किमी दूर है। इस मंदिर में हम सूर्य को सात घोड़ों पर सवार होकर आते हुए देख सकते हैं। यह एक अनोखे आकार का मंदिर है, जो अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है।
समय- मंदिर सुबह 6 से शाम 730 बजे तक खुला रहता है।
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मोढेरा सूर्य मंदिर
गुजरात राज्य में स्थित इस सूर्य नारायण मंदिर में भी आप अपने परिवार के साथ दर्शन के लिए जा सकते हैं। इतिहास के अनुसार इस मंदिर का निर्माण सोलंकी राजघराने के राजा भीमदेव ने करवाया था। यह मंदिर मोढेरा नाम के गांव में पुष्पावती नदी के किनारे स्थित है। मंदिर तक पहुंचने में आपको कोई परेशानी नहीं होगी, क्योंकि यहां तक पहुंचने के लिए आपको साधन मिल जाएंगे।
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इसका निर्माण बेहद सोच-समझकर किया गया है। क्योंकि मंदिर का सूर्योदय होने पर सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह को रोशन करती है।
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