भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए भारतीय मसालों को जान माना जाता है। अगर भारतीय व्यंजन में मसाला का इस्तेमाल न हो तो उसका स्वाद हमेशा ही अधूरा रहता है। एक तरह से स्वादिष्ट भोजन का उल्टा शब्द मसाला भी हो सकता है।
प्राचीन काल से लेकर आज तक भारतीय मसाला दुनिया भर में प्रसिद्ध है। आज भी प्राचीन काल की तरह भारतीय मसाला विश्व बाज़ार में बेचा जाता है और विदेशी लोग भी इसे बड़े से चाव के साथ भोजन में डालना पसंद करते हैं। शायद इसलिए भारत को मसालों का घर भी माना जाता है।
लेकिन अगर आपसे यह सवाल किया गए कि सिर्फ भारत को भी क्यों Land Of Spices (मसालों का घर) बोला जाता है तो फिर आपका जवाब क्या हो सकता है?
इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं आखिर क्यों भारत को Land Of Spices कहा जाता है। आइए जानते हैं।
भारतीय मसालों का प्राचीन इतिहास
भारत को मसालों का घर क्यों कहा जाता है इसे जानने के लिए प्राचीन इतिहास को जानना भी बहुत ज़रूरी है। जब इतिहास का पन्ना पलता जाता है तो यह मालूम चलता है कि भारतीय मसाला आज की तरह प्राचीन काल में भी फेमस था।
कई लोगों का मानना है कि प्राचीन काल में हिमालय में ऐसे कई रास्ते थे जिनके माध्यम से मसालों का व्यापार होता था। कहा जाता है कि 2000 ईसा पूर्व में दालचीनी, काली मिर्च और जीरा का व्यापार मिस्रवासियों के साथ होता था।
इन मसालों के साथ जड़ी-बूटियों का भी भी व्यापार होता था। इसके अलावा इंडोनेशियाई व्यापारी चीन, मध्य पूर्व और खाड़ी देशों के साथ प्राचीन काल में मसालों का व्यापार होता था।
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मध्यकाल में मसालों का इतिहास
प्राचीन काल से आते-आते मध्यकाल में मसालों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होने लगा। इस समय भोजन को जायकेदार बनाने के लिए काली मिर्च, दालचीनी जीरा, जायफल, अदरक, हल्दी, लौंग, हींग आदि मसाले भोजन में इस्तेमाल होने लगे थे।
भारतीय मसालों को लोकप्रिय बनाने में मुग़ल काल/ मुग़ल शसकों का भी अहम् योगदान माना जाता है। कहा जाता है कई मुग़ल राजा बिना मसाला के खाना तक नहीं खाते थे।
बाबर से लेकर अकबर, अकबर से लेकर हुमायूं और हिमायुं से लेकर जहांगीर, शाहजहां और औरंगज़ेब के शासन काल तक मसालों का इस्तेमाल बहुत किया जाता था। सिर्फ भोजन में ही इस्तेमाल नहीं होता बल्कि मुग़ल काल में देश और विदेश में मसालों का व्यापार भी होता था।(घर पर ऐसे बनाएं किचन किंग मसाला)
अंग्रेज और भारतीय मसालों का संबंध
भारतीय मसालों में विश्व मंच तक लेकर का श्रेय पुर्तगालियों को भी जाता है। कहा जाता है कि पुर्तगाल के राज्य के राजस्व का आधे से अधिक हिस्सा भारतीय काली मिर्च तथा अन्य मसालों से आता था, क्योंकि वो भारत से लेकर विश्व मंच पर बेचा करते थे। खासकर दक्षिण भारत से मसाला लेकर बेचा करते थे।
भारतीय मसालों का जिक्र हो और ब्रिटिश काल का जिक्र न ऐसा बहुत कम भी देखा जाता है। भारतीय मसाले को विश्व के हर कोने में पहुंचाने के लिए ब्रिटिश काल को भी बहुत श्रेय दिया जाता है। कहा जाता है कि जब भी अंग्रेज अपने देश को लौटते थे तो अपने साथ मसाले ज़रूर लेकर जाते थें। मुग़ल काल में सबसे अधिक मसालों का व्यापार इन्हीं से होता था।
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आधुनिक भारत में भारतीय मसालों का जिक्र
जिस तरह प्राचीन काल और मध्यकाल में बड़े-बड़े जहाजों के द्वारा मसाला भरकर विदेश भेजा जाता था वो चालन आज भी देखा जा सकता है। कहा जाता है कि साल 2021 और 22 में भारत में तक़रीबन 10 मिलियन टन से भी अधिक मसालों का उत्पादन किया गया और बाहर विदेश में भी भेजा गया है।
इलायची, लौंग, मिर्च, जीरा, हल्दी, काली मिर्च, दालचीनी अदरख, लहसुन आदि मसालों का व्यापार आज भी अन्य देशों के साथ होता है।(इस 1 मसाला को किसी भी डिश में कर सकते हैं इस्तेमाल)
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