भारत के इन चार मंदिरों में होती है जानवरों की पूजा, जानिए

भारत में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां पर जानवरों की पूजा की जाती है। जानिए इन मंदिरों के बारे में।

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भारत एक एक ऐसा देश है, जहां पर लोग विभिन्न मान्यताओं को मानते हैं और अपने धर्म व आस्था के अनुसार वह मंदिरों के पूजा-पाठ करते हैं। आपने भी कई तरह के मंदिरों के बारे में सुना होगा और वहां पर दर्शन भी किए होंगे। लेकिन क्या आपने किसी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है, जहां पर जानवरों की पूजा की जाती हो। इतना ही नहीं, इन मंदिरों में लोग जानवरों को बेहद श्रद्धाभाव से देखा जाता है और लोग उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। ना ही वह जानवर आने वाले श्रद्धालुओं को परेशान करते हैं।

आमतौर पर, हिन्दू धर्म में अलग-अलग भगवान के ऐसे कई वाहन है, जो जानवर है और इसलिए उनकी अपनी एक अलग मान्यता है। इसके अलावा, इन मंदिरों में जानवरों की पूजा के पीछे कुछ किदवंतियां भी प्रचलित हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे ही मंदिरों के बारे में बता रहे हैं, जहां पर जानवरों की पूजा होती है-

डॉग टेम्पल, कर्नाटक

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यह डॉग टेम्पल कर्नाटक के रामनगर जिले के चन्नापटना में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण वर्ष 2010 में एक व्यवसायी द्वारा किया गया था। इसी व्यवसायी ने केम्पम्मा मंदिर का निर्माण भी करवाया था, जो गांव की मुख्य देवी केम्पम्मा को समर्पित है। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, कहा जाता है कि मंदिर की स्थापना तब हुई थी जब ग्रामीणों को देवी केम्पम्मा द्वारा दो कुत्तों को खोजने का निर्देश दिया गया था, जो बहुत पहले गांव से गायब हो गए थे, ताकि उनके मंदिर को बुराई से बचाया जा सके।

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चूंकि ग्रामीणों को कुत्ते नहीं मिले, इसलिए उन्होंने एक मंदिर बनाया और उसके अंदर दो कुत्तों की मूर्तियां लगा दीं। आज गांव वाले कुत्तों की इन मूर्तियों की पूजा करते हैं। वहीं एक अन्य किंवदंती के अनुसार, डॉग टेम्पल का निर्माण मनुष्यों के प्रति वफादारी कुत्तों के सम्मान के लिए किया गया था।

भालू मंदिर - छत्तीसगढ़

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छत्तीसगढ़ में स्थित है चंडी माता मंदिर। यह मंदिर कई मायनो में बेहद खास है। छत्तीसगढ़ के महासमुंद के इस मंदिर में आरती के समय कुछ भालू इस मंदिर में आते हैं, पुजारी से प्रसाद खाते हैं और नौ बार परिक्रमा करते हैं और चले जाते हैं। इतना ही नहीं, श्रद्धालु भी यहां पर भालूओं को भोजन व प्रसाद देते हैं। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने मंदिर के लोगों को कभी चोट नहीं पहुंचाई। भालूओं की उपस्थिति के कारण चंडी माता मंदिर को भालू मंदिर के नाम से लोगों के बीच प्रसिद्ध हो गया है।

मंकी मंदिर - जयपुर

राजस्थान के जयपुर की पहाड़ियों में एक मंदिर स्थित है गलता जी। जहां तीर्थयात्री पवित्र जल में स्नान करने आते हैं। इस परिसर के भीतर रामगोपालजी नामक एक मंदिर है, जहां पर मकाक और लंगूर बंदर बड़ी संख्या में रहते हैं। बंदरों की बड़ी मात्रा में उपस्थिति के कारण इसे प्यार से बंदर मंदिर का उपनाम दिया गया है। जैसा कि बंदरों को हनुमान, भगवान का प्रतिनिधि माना जाता है, इसलिए लोग उन्हें मंदिर में बेहद ही श्रद्धा भाव से देखते हैं।

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मन्नारसला नागराज मंदिर - हरिपद, केरल

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केरल के हरिपद में स्थित है मन्नारसला नागराज मंदिर। यह एक बेहद ही प्राचीन मंदिर है और नागराज देव को समर्पित है। यह मंदिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है। यह भारत के केरल राज्य में अपनी तरह का एकमात्र मंदिर है। इस मंदिर में सुंदर सांप की मूर्तियों से लेकर बेहतरीन नक्काशी की गई है। मन्नारसला मंदिर में रास्तों और पेड़ों के बीच सांपों की 100,000 से अधिक छवियां हैं।

यूं तो इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं, लेकिन बच्चे की आस करने वाला जोड़ा यहां पर विशेष रूप से पूजा-पाठ करवाता है। साथ ही अपने बच्चे के जन्म पर यहां धन्यवाद समारोह आयोजित करने आते हैं और अक्सर सांप की छवियों को प्रसाद के रूप में यहां पर चढ़ाते भी हैं।

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