आम को फलों का राजा कहा जाता है। भारत में आपको चौसा से लेकर कलमी तक, आम की खूब सारी वेराइटी खाने को मिलेगी। सभी किस्मों का अलग स्वाद और खासियत है, कुछ मीठे होते हैं, तो कुछ खट्टे। कुछ आम का उपयोग किचन में अचार बनाने के लिए जाता है, तो कुछ का जैम बनाने के लिए। ऐसे में जब आम की इतनी ही चर्चा हो रही है, तो क्यों न आज आम की एक खास किस्म के बारे में जानें। इस बेहद खास आम को ‘नूरजहां’ के नाम से जाना जाता है। इस आम के अनोखे स्वाद और आकार के कारण इसे आमों की मल्लिका या रानी भी कहा जाता है। इस आम का नाम मुगल रानी 'नूरजहां' के नाम पर रखा गया है। भारत में यह आम दुर्लभ होने के कारण इस आम को सरकारी सरंक्षण भी दिया जा रहा है। साइज में बड़ा होने के साथ साथ यह आम खाने में भी बेहद स्वादिष्ट है।
नूरजहां को मिल रहा सरकारी संरक्षण
देश में इस आम की किस्म मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा में बस पाया जाता है। चूंकि यह किस्म धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रही है, इसलिए इसे सरकार खास संरक्षण देकर बचा रही है। आम की इस किस्म की खेती अफगानिस्तान में हुई थी। इस पेड़ को पहले गुजरात में लगाया गया था, जिसके बाद इस आम के एक पेड़ को मध्य प्रदेश में लगाया गया। इस आम के पेड़ में जनवरी और फरवरी महीने में मंजर लग जाते हैं और जून तक बाजार में बिक्री के लिए तैयार हो जाता है।
इसलिए है महंगा और दुर्लभ
आम की इस खास किस्म के स्वाद और मिठास के कारण इसकी डिमांड मार्केट में बहुत ज्यादा है। इस पेड़ की खास बात यह है कि यह मध्य प्रदेशके वातावरण में ही अच्छे से फलता-फूलता है, इसलिए बहुत कोशिशों के बाद भी इसे दूसरी जगहों पर नहीं लगाया जा सका है। नूरजहां आम इतना खास है कि इसे साल 1999 और 2010 में नेशनल अवॉर्ड और ‘किंग ऑफ मैंगो’ से सम्मानित किया जा चुका है।
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नूरजहां आम की खासियत
नूरजहां आम हाथी झूल प्रजाति का आम है जो कि बुंदेलखंड और बघेलखंड के क्षेत्र में पाया जाता है। यह अपने स्वाद और मिठास से कहीं ज्यादा अपने आकार और वजन के लिए प्रसिद्ध है। जहांआम के किस्मएक किलो तक होती हैं, वहीं नूरजहां के एक फल का वजन साढ़े तीन से चार किलो तक होता है। इसके वजन को लेकर किसानों का कहना है कि ऐसा कट्ठीवाड़ा के खास वातावरण के कारण है।
नूरजहां के एक फल के दाम
खास होने के कारण इस आम की कीमत भी खास है। आम लोगों के बजट के बाहर इस आम के एक फल की औसतन कीमत 1000 से 1200 रुपये तक हो सकती है। गुजरातसे सटे कट्ठीवाड़ा के क्षेत्र में मिलने वाले इस आम की डिमांड देश विदेश कई लोग करते हैं। यह आम 15 जूनके बाद पकना शुरू होता है और पकने के बाद यह जल्दी खराब हो जाता है। इसलिए इसका उपयोग जल्दी करना पड़ता है।
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ये रही आमों की मल्लिका नूरजहां के बारे में कुछ खास जानकारी, यदि आपको इस आम के बारे में कुछ पता है तो हमें कमेंट कर बताएं। उम्मीद है आपको ये तरीके पसंद आए हों, इस लेख को लाइक और शेयर करें और ऐसे ही आर्टिकल पढ़ते रहने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ
Image Credit: Freepik, social media, amazon
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