भारतीय बाजारों में बेहद मशहूर है ये लाल-पीला फल, जानें इससे जुड़े फैक्ट

बाजार में आलूबुखारा का फल आने लगा है, यह एक पहाड़ी फल है जो सभी जगह आसानी से नहीं मिलता है। आज के इस लेख में हम इसके बारे में जानेंगे।

 
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भारत के पहाड़ी क्षेत्र में कई तरह के फलों के बागान हैं, जहां देश और दुनिया में सेब, लीची, अमरूद और चेरी समेत कई तरह के फल वितरित होते हैं। कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड से देश में पहाड़ी फल जैसे सेब, लीची, चैरी और आलूबुखारा जैसे फल आते हैं। गर्मियों में लीची, चेरी और ताजे सेब के अलावा आलूबुखारा जैसा रसीला फल मिलता है। आज के इस लेख में हम आपको आलूबुखारा फल के बारे में बताएंगे, इस फल को क्षेत्रीय भाषा में आलूचा भी कहते हैं। लाल, पीले और गुलाबी रंग के इस रसीले फल में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं, ऐसे में चलिए आज इस फल के बारे में जान लेते हैं।

भारतीय फल नहीं है आलूबुखारा

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इतिहासकारों के अनुसार आलूबुखारा मध्य एशिया से भारत व्यापारियों के साथ आया है, इसके अलावा इतिहासकारों का यह भी कहना है कि जैसे अन्य फल, सब्जी और मसाले यात्री और व्यापारियों के साथ भारत आता था, उसी तरह आलूबुखारा का आगम भी भारत में हुआ है। आलूबुखारा के लिए भारत के पहाड़ी क्षेत्र का तापमान बहुत अच्छा था, इसलिए इस फल की सबसे ज्यादा खेती भारत के पहाड़ी क्षेत्र यानी उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और कश्मीर में होती है। इतिहास में इस फल के भारत आगमन को लेकर सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन इतिहासकार का कहना है कि आलूबुखारा का फल भारत से पहले पश्चिमी एशिया और यूरोप में सदियों से उगाया जा रहा है।

मुगल काल में आलूबुखारा का उपयोग

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मुगल शासन के दौरान आलूबुखारा बहुत लोकप्रिय हुआ। मुगल शासकों को बागवानी का बेहद शौक था और वे अपने शासन काल में विभिन्न तरह के फल, फूल, सब्जी और पेड़-पौधे की खेती को बढ़ावा दिया करते थे। उसी में से एक आलूबुखारा भी है, जिसका उल्लेख मुगल काल के दस्तावेज और चित्रों में भी है। इसके अलावा आलूबुखारा का जिक्र आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी है, जहां इसका इस्तेमाल विभिन्न तरह के स्वास्थ्य उपचार और लाभ के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

आज के समय में आलूबुखारा की खेती या उत्पादन हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और उत्तराखंड समेत अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में किया जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों की जलवायु आलूबुखारा की खेती के लिए अनुकूल है। आज के समय में आलूबुखारा का उपयोग साधारण खाने के साथ-साथ, जैम, चटनी, ड्राई-फ्रूट्स और विभिन्न तरह के व्यंजन बनाने के लिए किया जाता है।

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Image Credit: Freepik

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